सारस न्यूज टीम, किशनगंज।
प्रसव पूर्व देखभाल का संबंध गर्भवती महिलाओं को दी जाने वाली स्वास्थ्य की जानकारी और नियमित चिकित्सा जांच से होता है जिससे कि प्रसव सुरक्षित हो सके। मातृत्व अस्वस्थता और मातृ मृत्यु के मामलों की पहले ही जांच और चिकित्सा कर इन मामलों में कमी लायी जा सकती है। गंभीर खतरों वाली गर्भावस्था और उच्च प्रसव वेदना की छानबीन के लिए प्रसव पूर्व जांच (ए एन सी) भी आवश्यक है।
सदर अस्पताल की महिला चिकित्सिका डॉ. शबनम यासमीन ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान वजन उचाई रक्तचाप का रखे विशेष ध्यान रखना चाहिए। महिला डाक्टर डॉ. शबनम यासमीन ने बताया कि जब भी गर्भवती महिला स्वास्थ्य जांच के लिए जाती है तो उसके वजन की जांच की जाती है ।
सामान्यतया गर्भवती महिला का वजन 9 से 11 कि. ग्राम तक बढ़ जाना चाहिए। पहली तिमाही के पश्चात गर्भवती महिला का वजन 2 किलो ग्राम प्रति माह अथवा 0.5 प्रति सप्ताह बढ़ना चाहिए। यदि आवश्यक कैलोरी की मात्रा से खुराक पर्याप्त नहीं हो तो महिला अपनी गर्भावस्था के दौरान 5 से 6 किलो ग्राम वजन ही बढ़ा सकती है। यदि महिला का वजन प्रतिमाह 2 किलो ग्राम से कम बढ़ता हो तो अपर्याप्त खुराक समझनी चाहिए। उसके लिए अतिरिक्त खाद्य आवश्यक होता है। गर्भवती महिला के रक्तचाप की जांच बहुत ही महत्वपूर्ण होता है जिससे कि गर्भाधान के दौरान अति तनाव का विकार न होने पाए।
टेटनस टोक्साईड का इंजेक्शन देना:नवजात शिशु की टेटनस से रोकथाम के लिए टी टी इंजेक्शन की 2 मात्रा देना बहुत ही महत्वपूर्ण है। टी-टी इंजेक्शन की पहली खुराक पहली तिमाही के ठीक बाद में या जैसे ही कोई महिला ए एन सी के लिए अपना नाम दर्ज कराए जो भी बाद में हो देनी चाहिए। गर्भाधान की पहली तिमाही के दौरान टी टी इंजेक्शन नहीं देना चाहिए।