रक्षाबंधन हर साल सावन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। इस बार पूर्णिमा तिथि दो दिन है यानी 11 व 12 अगस्त। दो दिन पूर्णिमा तिथि होने से लोगों के बीच असमंजस है कि आखिर किस दिन राखी का त्योहार मनाना शुभ रहेगा और रक्षासूत्र बांधने का उत्तम मुहूर्त क्या है। पंचांग के हिसाब से 11 अगस्त को भद्राकाल सुबह से रात 08 बजकर 51 मिनट तक है। हिंदू धर्म में वैदिक काल से ही हर त्योहार में भद्रा का विशेष ध्यान रखा जाता है।
इस बार राखी में भी भद्रा काल पड़ने वाला है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार सूर्यास्त के बाद किसी भी शुभ कार्य की मनाही होती है। इसलिए कुछ पंडित 12 अगस्त को ही रक्षा बंधन मनाना शुभ मान रहे हैं। उत्तरपाली दुर्गा मंदिर के पंडित जगन्नाथ झा के अनुसार विश्वविद्यालय पंचांग (मिथिला) शुक्रवार को सुबह 07:30 बजे तक पूर्णिमा है इसलिए शुक्रवार को ही रक्षाबंधन मनाया जाएगा। पंडित सह अधिवक्ता दिवाकर मिश्रा के अनुसार रक्षाबंधन सावन माह के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। काशी पंचांग के अनुसार भी गुरुवार को शाम 08:25 के बाद पूर्णिमा है और चूंकि पूर्णिमा का सूर्योदय शुक्रवार को होगा इसलिए शुक्रवार को रक्षाबंधन मनाया जाएगा।
मिथिला पंचांग के अनुसार किसी भी दिन की गणना सूर्योदय के आधार पर किया जाता है। उन्होंने कहा कि मिथिला पंचांग के अगस्त को उदयव्यापी पूर्णिमा होने के कारण से इसी दिन रक्षाबंधन त्योहार मनाना उचित होगा। कुछ पंचांगों में भद्राकाल का समय गुरुवार को दोपहर 2:38 तक ही है। बावजूद इसके पंडितों का कहना है कि भद्रा योग समाप्त होने पर राखी बंधवाएं और ज्यादा जरूरी हो तो प्रदोषकाल में शुभ, लाभ, अमृत में से कोई एक चौघड़िया देखकर राखी बंधवा लें।
सारस न्यूज टीम, किशनगंज।
रक्षाबंधन हर साल सावन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। इस बार पूर्णिमा तिथि दो दिन है यानी 11 व 12 अगस्त। दो दिन पूर्णिमा तिथि होने से लोगों के बीच असमंजस है कि आखिर किस दिन राखी का त्योहार मनाना शुभ रहेगा और रक्षासूत्र बांधने का उत्तम मुहूर्त क्या है। पंचांग के हिसाब से 11 अगस्त को भद्राकाल सुबह से रात 08 बजकर 51 मिनट तक है। हिंदू धर्म में वैदिक काल से ही हर त्योहार में भद्रा का विशेष ध्यान रखा जाता है।
इस बार राखी में भी भद्रा काल पड़ने वाला है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार सूर्यास्त के बाद किसी भी शुभ कार्य की मनाही होती है। इसलिए कुछ पंडित 12 अगस्त को ही रक्षा बंधन मनाना शुभ मान रहे हैं। उत्तरपाली दुर्गा मंदिर के पंडित जगन्नाथ झा के अनुसार विश्वविद्यालय पंचांग (मिथिला) शुक्रवार को सुबह 07:30 बजे तक पूर्णिमा है इसलिए शुक्रवार को ही रक्षाबंधन मनाया जाएगा। पंडित सह अधिवक्ता दिवाकर मिश्रा के अनुसार रक्षाबंधन सावन माह के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। काशी पंचांग के अनुसार भी गुरुवार को शाम 08:25 के बाद पूर्णिमा है और चूंकि पूर्णिमा का सूर्योदय शुक्रवार को होगा इसलिए शुक्रवार को रक्षाबंधन मनाया जाएगा।
मिथिला पंचांग के अनुसार किसी भी दिन की गणना सूर्योदय के आधार पर किया जाता है। उन्होंने कहा कि मिथिला पंचांग के अगस्त को उदयव्यापी पूर्णिमा होने के कारण से इसी दिन रक्षाबंधन त्योहार मनाना उचित होगा। कुछ पंचांगों में भद्राकाल का समय गुरुवार को दोपहर 2:38 तक ही है। बावजूद इसके पंडितों का कहना है कि भद्रा योग समाप्त होने पर राखी बंधवाएं और ज्यादा जरूरी हो तो प्रदोषकाल में शुभ, लाभ, अमृत में से कोई एक चौघड़िया देखकर राखी बंधवा लें।
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