आनंद मार्ग प्रचारक संघ, किशनगंज की ओर से नगर पंचायत ठाकुरगंज स्थित आनंद मार्ग जागृति स्कूल के प्रार्थना सभाकक्ष में तीन घंटे का बाबा नाम केवलम अखंड कीर्तन हुआ। इस कार्यक्रम में सर्वप्रथम आनंदमार्ग के संस्थापक व प्रवर्तक श्री श्री आनंदमूर्ति जी के तैलीय चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित और दीप जलाया गया। इसके बाद प्रभात संगीत, धर्म चक्र व गुरुपूजा आनंदमार्ग के विधि से की गई एवं तीन घण्टे का अष्टाक्षरी सिद्ध महामंत्र अखंड बाबा नाम केवलम संकीर्तन से प्रारम्भ हुई। तीन घण्टे के अखंड संकीर्त्तन के बाद अपने नियमानुसार आनंदमार्गियों ने साधना में बैठे। इसके बाद बड़ी संख्या में लोगों को नारायण सेवा कार्यक्रम के तहत जरूरतमंदों के बीच सात्विक भोजन कराया गया। इस अवसर पर आनंद मार्ग प्रचारक संघ के जिला भुक्ति प्रधान सुमन भारती ने कहा कि आनंद मार्ग के प्रवर्तक भगवान श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने आज ही के दिन वर्ष 1939 में प्रथम दीक्षा श्रावणी पूर्णिमा की रात्रि में काशीमित्रा घाट पर दुर्दांत डकैत कालीचरण चट्टोपाध्याय को दी थी। इसी दिन एक नई सभ्यता की नींव रखी है। इसी दिन से विश्व को नई दिशा देने के लिए गुरुदेव श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने योग और तंत्र साधना मुक्ति आकांक्षा प्राप्त व्यक्ति को देने लगे। आज पूरे विश्व में लाखों- लाख आनंदमार्गी आत्म मोक्ष और जगत हित के काम में लगे हैं। इस अवसर पर अनेक साधक-साधिका अपने संकल्प को पुनः दोहराते हुए अपने जीवन रथ को आलोकमय करने में पूरी शक्ति के साथ लग जाते हैं।
आचार्य लीलाधीशानंद अवधूत ने कहा कि आज से 83 वर्ष पूर्व वर्ष 1939 में प्रथम दीक्षा हुई थी और आज 2022 में आनंद मार्ग समग्र दुनिया के 180 देशों में फैल गया है जहां साधक साधिका योग साधना का लाभ उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मनुष्य साधना, सेवा और त्याग से महान बनता है। मनुष्य के जीवन की सार्थकता इन्हीं तीन चीजों पर निर्भर करती है। आगे उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि नैतिकता साधना की आधार भूमि है। साधना लक्ष्य प्राप्त करने का माध्यम है। दिव्य जीवन की प्राप्ति मनुष्य जीवन का लक्ष्य है। मनुष्य नीति को जितनी कठोरता से मान कर चलेंगे उनका जीवन उतना ही सहज हो जाएगा। उन्होंने कहा कि आत्म मोक्षार्थ के लिए आनंदमार्ग किसी संप्रदाय के रूढ़वादी, अंधविश्वासी परम्परा को प्रश्रय नहीं देता है। आनंद मार्ग में व्यक्ति योग, साधना एवं सेवा के बल पर ईश्वर की ओर बढ़ने की चेष्टा करता है।
इस अवसर पर आमोद साह, प्रकाश मंडल, रंजीत सरकार, कृष्ण प्रसाद सिंह, राजीव रंजन, नीरज यादव, अजय कुमार सिंह, दीपक गोसाई, मंगला देवी, लक्ष्मी देवी, प्रेमा दी, तिलसरी देवी, सीता देवी आदि सहित बड़ी संख्या में आनन्दमार्गीगण मौजुद थे।
सारस न्यूज, किशनगंज।
आनंद मार्ग प्रचारक संघ, किशनगंज की ओर से नगर पंचायत ठाकुरगंज स्थित आनंद मार्ग जागृति स्कूल के प्रार्थना सभाकक्ष में तीन घंटे का बाबा नाम केवलम अखंड कीर्तन हुआ। इस कार्यक्रम में सर्वप्रथम आनंदमार्ग के संस्थापक व प्रवर्तक श्री श्री आनंदमूर्ति जी के तैलीय चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित और दीप जलाया गया। इसके बाद प्रभात संगीत, धर्म चक्र व गुरुपूजा आनंदमार्ग के विधि से की गई एवं तीन घण्टे का अष्टाक्षरी सिद्ध महामंत्र अखंड बाबा नाम केवलम संकीर्तन से प्रारम्भ हुई। तीन घण्टे के अखंड संकीर्त्तन के बाद अपने नियमानुसार आनंदमार्गियों ने साधना में बैठे। इसके बाद बड़ी संख्या में लोगों को नारायण सेवा कार्यक्रम के तहत जरूरतमंदों के बीच सात्विक भोजन कराया गया। इस अवसर पर आनंद मार्ग प्रचारक संघ के जिला भुक्ति प्रधान सुमन भारती ने कहा कि आनंद मार्ग के प्रवर्तक भगवान श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने आज ही के दिन वर्ष 1939 में प्रथम दीक्षा श्रावणी पूर्णिमा की रात्रि में काशीमित्रा घाट पर दुर्दांत डकैत कालीचरण चट्टोपाध्याय को दी थी। इसी दिन एक नई सभ्यता की नींव रखी है। इसी दिन से विश्व को नई दिशा देने के लिए गुरुदेव श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने योग और तंत्र साधना मुक्ति आकांक्षा प्राप्त व्यक्ति को देने लगे। आज पूरे विश्व में लाखों- लाख आनंदमार्गी आत्म मोक्ष और जगत हित के काम में लगे हैं। इस अवसर पर अनेक साधक-साधिका अपने संकल्प को पुनः दोहराते हुए अपने जीवन रथ को आलोकमय करने में पूरी शक्ति के साथ लग जाते हैं।
आचार्य लीलाधीशानंद अवधूत ने कहा कि आज से 83 वर्ष पूर्व वर्ष 1939 में प्रथम दीक्षा हुई थी और आज 2022 में आनंद मार्ग समग्र दुनिया के 180 देशों में फैल गया है जहां साधक साधिका योग साधना का लाभ उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मनुष्य साधना, सेवा और त्याग से महान बनता है। मनुष्य के जीवन की सार्थकता इन्हीं तीन चीजों पर निर्भर करती है। आगे उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि नैतिकता साधना की आधार भूमि है। साधना लक्ष्य प्राप्त करने का माध्यम है। दिव्य जीवन की प्राप्ति मनुष्य जीवन का लक्ष्य है। मनुष्य नीति को जितनी कठोरता से मान कर चलेंगे उनका जीवन उतना ही सहज हो जाएगा। उन्होंने कहा कि आत्म मोक्षार्थ के लिए आनंदमार्ग किसी संप्रदाय के रूढ़वादी, अंधविश्वासी परम्परा को प्रश्रय नहीं देता है। आनंद मार्ग में व्यक्ति योग, साधना एवं सेवा के बल पर ईश्वर की ओर बढ़ने की चेष्टा करता है।
इस अवसर पर आमोद साह, प्रकाश मंडल, रंजीत सरकार, कृष्ण प्रसाद सिंह, राजीव रंजन, नीरज यादव, अजय कुमार सिंह, दीपक गोसाई, मंगला देवी, लक्ष्मी देवी, प्रेमा दी, तिलसरी देवी, सीता देवी आदि सहित बड़ी संख्या में आनन्दमार्गीगण मौजुद थे।
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