किशनगंज शहर स्थित तेरापंथ भवन में जैन धर्मावलम्बी आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी संगीत श्री व सहयोगी तीन साध्वियों के सानिध्य में पर्युषण पर्व मना रहे हैं। आठ दिनों तक चलने वाले इस पर्व का द्वितीय दिवस गुरुवार को स्वाध्याय दिवस के रूप में मनाया गया। इस दौरान जैन धर्म के अनुयायियों ने तेरापंथ भवन में चातुर्मासिक प्रवास कर रही साध्वियों के प्रवचन का लाभ उठाया। साध्वी संगीत श्री ने स्वाध्याय दिवस पर अपने व्याख्यान में उपस्थित समुदाय को जानकारी देते हुए कहा कि स्वाध्याय यानी-मैं कौन हूँ ? इसी को जानने का महान साधन है स्वाध्याय।
उन्होंने बताया कि स्व+आ+ध्याय-सत साहित्य का अध्ययन करना ही स्वाध्याय है। आचार्य श्री तुलसी के मनोनुशासनम का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि उसमे स्वाध्याय के पांच प्रकार बताए गए हैं। पहला वाचना,दूसरा पृच्छना, तीसरा परिवर्तना, चौथा अनुप्रेक्षा व पांचवा धर्म कथा। इन पांचों प्रकार को समझना व इसका अपने आप में अवलोकन करना जरूरी है। स्वाध्याय को दर्पण जैसा बताते हुए साध्वी ने कहा कि दर्पण रूपी स्वाध्याय से हम अपना निरीक्षण परीक्षण कर सकते हैं।
अपने आपको देख सकते हैं। उन्होंने आगम घटनाओं के साथ स्वाध्याय को विस्तार से बताया। वहीं साध्वी कमल विभा ने स्वाध्याय को एक पायलट बताते हुए कहा कि जिस प्रकार पायलट हवाई जहाज को ऊपर उड़ाता है। ठीक उसी प्रकार स्वाध्याय आत्मा को ऊपर की ओर ले जाता है।
सारस न्यूज, किशनगंज।
किशनगंज शहर स्थित तेरापंथ भवन में जैन धर्मावलम्बी आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी संगीत श्री व सहयोगी तीन साध्वियों के सानिध्य में पर्युषण पर्व मना रहे हैं। आठ दिनों तक चलने वाले इस पर्व का द्वितीय दिवस गुरुवार को स्वाध्याय दिवस के रूप में मनाया गया। इस दौरान जैन धर्म के अनुयायियों ने तेरापंथ भवन में चातुर्मासिक प्रवास कर रही साध्वियों के प्रवचन का लाभ उठाया। साध्वी संगीत श्री ने स्वाध्याय दिवस पर अपने व्याख्यान में उपस्थित समुदाय को जानकारी देते हुए कहा कि स्वाध्याय यानी-मैं कौन हूँ ? इसी को जानने का महान साधन है स्वाध्याय।
उन्होंने बताया कि स्व+आ+ध्याय-सत साहित्य का अध्ययन करना ही स्वाध्याय है। आचार्य श्री तुलसी के मनोनुशासनम का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि उसमे स्वाध्याय के पांच प्रकार बताए गए हैं। पहला वाचना,दूसरा पृच्छना, तीसरा परिवर्तना, चौथा अनुप्रेक्षा व पांचवा धर्म कथा। इन पांचों प्रकार को समझना व इसका अपने आप में अवलोकन करना जरूरी है। स्वाध्याय को दर्पण जैसा बताते हुए साध्वी ने कहा कि दर्पण रूपी स्वाध्याय से हम अपना निरीक्षण परीक्षण कर सकते हैं।
अपने आपको देख सकते हैं। उन्होंने आगम घटनाओं के साथ स्वाध्याय को विस्तार से बताया। वहीं साध्वी कमल विभा ने स्वाध्याय को एक पायलट बताते हुए कहा कि जिस प्रकार पायलट हवाई जहाज को ऊपर उड़ाता है। ठीक उसी प्रकार स्वाध्याय आत्मा को ऊपर की ओर ले जाता है।
Leave a Reply