सारस न्यूज टीम, किशनगंज।
आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी संगीत श्री व सहयोगी तीन साध्वियों के सानिध्य में पर्युषण पर्व का चतुर्थ दिवस मौन दिवस के रूप में मनाया गया। ज्ञानशाला द्वारा मंगलगीत से तेरापंथ भवन में आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इस अवसर पर साध्वी संगीत श्री ने अपने प्रवचन में बताया कि मौन रहना समस्या का समाधान है। अपनी वाणी को वश में रखना मतलब अपने आपको जानना है। वहीं दिगम्बर समाज के अध्यक्ष तिलोकचंद जैन ने अपने वक्तव्य में बताया कि मौन का अर्थ है वाणी की पूर्ण शान्ति। शान्ति में वह शक्ति है जो आत्मा को परमात्मा से जोड़ने में सार्थक सिद्ध होती है। मौन का अर्थ केवल चुप रहना नहीं है।
मौन एक गहरी साधना है जिसके माध्यम से मनुष्य अपने भीतर की परतों को हटाकर अपने वास्तविक स्वरूप का परिचय प्राप्त करता है। मौन भीतर प्रवेश का प्रथम द्वार है। मौन से बुरे संस्कारों का शोधन होता है। निराहार रहकर तपस्या करने वाले युवक यश लोढा का तपोभिनंदन : मात्र 18 वर्ष की अवस्था में एक माह तक निराहार रखकर तपस्या करने वाले यश लोढा का तपोभिनंदन कार्यक्रम तेरापंथ भवन में आयोजित किया गया। इससे पूर्व धर्मगंज स्थित तपस्वी यश लोढा के निवास से तेरापंथ धर्मसंघ के अनुयायियों के साथ जुलूस के रूप में तेरापंथ भवन पहुंचा।
जहां तपस्वी के तपोभिनंदन का कार्यक्रम आयोजित हुआ। साध्वी संगीत श्री, शांति प्रभा, साध्वी मुदिता श्री, तेरापंथ सभाध्यक्ष विमल दफ्तरी, महासभा संरक्षक डॉ राजकरण दफ्तरी, दिगम्बर समाज के अध्यक्ष तिलोकचंद जैन, तेरापंथ सभा मंत्री अजय सिंह बैद, रचना बोथरा, अमित दफ्तरी, चैनरुप दुगड़, संजय बैद, सायर बाई कोठारी, मारवाडी युवा मंच अध्यक्ष दिनेश पारीक, महेंद्र लोढा, नेहा लोढा, प्रभा गोलछा, कमल कोठारी, प्रकाश बोथरा, राजू कोठारी, ऋतु देवी, राजीव डागा आदि ने अपने वक्तव्यों व गीतिका के माध्यम से तपस्वी यश लोढा के तप की अनुमोदना की। कार्यक्रम के अंत मे तेरापंथ सभा, महिलामण्डल, युवक परिषद, अणुव्रत समिति ने तपस्वी यश लोढा के तप का अभिनंदन करते हुए अभिनंदन पत्र व साहित्य समर्पित किया। मंच संचालन साध्वी कमल विभा द्वारा किया गया।