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ठाकुरगंज, दिघलबैंक एवम टेढ़ागाछ प्रखंड के 202 गांवों के विकास हेतु 3 वर्षों से अधर में पड़ी योजना के लिए जल्द ही राशि स्वीकृति की उम्मीद।

सारस न्यूज टीम, दिघलबैंक।

सीमा क्षेत्र विकास योजना के लिए चयनित तीन प्रखंडों के 202 गांवों का जल्द कायाकल्प होगा। योजना तीन वर्ष पूर्व बनी थी जो अब तक राशि नहीं मिलने के कारण अटकी पड़ी थी। इसी महीने सितंबर में राशि मिलने का संकेत मिलने के बाद इन गांव के लोगों में विकास की उम्मीद जगी है।

जिला योजना पदाधिकारी मनीष कुमार पांडेय ने इसी माह राशि मिलने की संभावना जताई है। योजना के तहत वर्ष 2020 में जिले के तीन प्रखंडों के 202 गांव का सर्वांगीण विकास के लिये चयन किया गया था। इंडो-नेपाल सीमा से भारतीय क्षेत्र में 10 किलोमीटर की रेंज में आने वाले गांवों का चरणबद्ध तरीके से विकसित करने का माइक्रोप्लान तैयार किया गया।

वित्तीय वर्ष 2023-24 तक सभी योजनाओं को पूर्ण किये जाने का डेडलाइन था। लेकिन राशि अबतक नहीं पहुंची। वित्तीय वर्ष 2020-21 से वित्तीय वर्ष 2023-24 तक प्रति वित्तीय वर्ष 9.20 करोड़ राशि खर्च करने का प्रस्ताव विभाग को भेजा गया था। इसमें 60 फीसदी राशि केंद्र सरकार एवं 40 फीसदी राशि राज्य सरकार को देने का प्रावधान है।

इस योजना के तहत इंडो-नेपाल की सीमा से लगे ठाकुरगंज प्रखंड के 76 गांव, दिघलबैंक प्रखंड के 71 गांव एवं टेढ़ागाछ प्रखंड के 55 गांवों को चिन्हित किया गया था। जो इंडो-नेपाल की सीमा से 10 किलोमीटर की परिधि में है। जिला योजना विभाग से प्राक्कलन तैयार कर राज्य सरकार को भेज दिया गया था। राज्य सरकार ने इसे केंद्र सरकार को भी भेज दिया।लेकिन तीन वर्ष बाद भी अबतक इस योजना की राशि नहीं मिलने से एक भी कार्य प्रारंभ नहीं किया जा सका।

सीम क्षेत्र के तीन प्रखंडों के 202 गांव के 456916 लोगों को मिलेगा सीधा लाभ
सीमा क्षेत्र विकास योजना के तहत अगर राशि मिलती है तो तीन प्रखंडों के 202 गांवों के चार लाख 56 हजार 916 लोगों के जीवनशैली में बदलाव आना तय माना जा रहा है। नेपाल बॉर्डर से भारतीय सीमा क्षेत्र के 10 किलोमीटर की परिधि में ठाकुरगंज प्रखण्ड के 76 गांव के एक लाख 87 हजार 984 लोग, दिघलबैंक प्रखंड के 71 गांव के 56 हजार 928 लोग, एवं टेढ़ागाछ प्रखंड के 55 गांव के एक लाख 10 हजार 804 लोगों को सीधा लाभ मिलेगा।

योजना के क्रियान्वयन और राशि मिलने के मामले में बढ़ी आशंका
योजना के क्रियान्वयन और राशि मिलने के मामले में ग्रामीणों की आशंका भी बढ़ी है। एनडीए सरकार में हुई टूट का असर इस योजना पर पड़ने की संभावना कई लोग जता रहे हैं। लोगों का कहना है कि पहले बिहार में एनडीए गठबंधन की सरकार थी। जिसमें भाजपा शामिल थी। लेकिन अब महागठबंधन ने सरकार बना लिया है। केंद्र में भाजपा की सरकार है। खर्च का 60 फीसदी केंद्र सरकार को ही देना है।

गांवों को टूरिज्म प्लेस के रूप में विकसित करने की योजना
सीमा क्षेत्र विकास योजना के तहत सीमा से सटे 10 किलोमीटर के रेडियस में बसे 202 गांवों का शहरीकरण किया जाना ही इस योजना का उद्देश्य है। इस योजना के तहत गांवों में आधुनिक सुविधाओं से लैस प्राइमरी हेल्थ सेंटर, प्राइमरी से उच्च शिक्षा के लिए हाइ स्कूल, खेल का मैदान, शुद्ध पेयजल, सामुदायिक भवन, पक्की सड़क, पक्की नाली, विद्युत आपूर्ति, स्ट्रीट लाइट, सानुदायिक शौचालय सहित अन्य सुविधा बहाल करने की योजना है। इसके साथ साथ इस योजना में स्वच्छता अभियान, स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम, खेलकूद को बढ़ावा के साथ साथ गांव को टूरिज्म प्लेस के रूप में विकसित करने की योजना है।

सितंबर में राशि मिलने की उम्मीद
जिला योजना पदाधिकारी मनीष कुमार पांडेय ने कहा कि जिले से प्राक्कलन बनाकर राज्य सरकार को भेज दिया गया था। सितंबर में राशि मिलने की उम्मीद है। राशि मिलते ही प्राथमिकता के आधार पर योजना का क्रियान्वयन किया जाएगा।

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