सारस न्यूज टीम, ठाकुरगंज।
सोमवार को दशलक्षण पर्व के छठे दिन उत्तम संयम धर्म के रूप में मनाया गया। सुंगध दशमी जैन समाज की ओर से मनाई गई। इस मौके पर धूप के खेवन से जिनालय महक उठा। इस मौके पर पंडित सुदेश जैन शास्त्री ने भक्तों को बताया कि जीवन में एक संयम और एक नियम तो होना ही चाहिये। मन के साथ शरीर को मत जोडो अगर मन के साथ शरीर भी जुड़ गया तो फिर संयम का पालन करना असम्भव हो जाएगा। दिगंबर जैन धर्म के पावन पर्व दश लक्षण पर्व के छठे दिन मंदिर में भक्तों को संबोधित कर रहे थे।
उत्तम संयम धर्म के रूप में मनाएं गए छठे दिन उन्होंने कहा कि मन तो चंचल होता है। वह कहीं भी और किसी में भी लग सकता है। इससे संयम नहीं टूटता है। लेकिन मन के सहारे शरीर को भी आप वहां पर ले गये तो संयम का पालन होना मुश्किल होता है। जीवन में उत्तम संयम धर्म की पालना करनी है तो मन रूपी धनुष पर कभी भी शरीर रूपी बाण मत चढाओ अगर ऐसा होगा तो जहां मन जा रहा है वहां आपका शरीर जाएगा ही नहीं और जब शरीर वहां तक जाएगा ही नहीं जहां तक मन जा रहा है तो उत्तम संयम धर्म कभी नहीं टूट सकता।