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गलगलिया में नशे के दलदल में धंस रही युवा पीढ़ी, स्मैक के लिए अपराध बढ़ने की लोगों ने जताई संभावना।

विजय गुप्ता, सारस न्यूज, गलगलिया।

किशनगंज जिले का सीमावर्ती क्षेत्र गलगलिया स्मैकर व असमाजिक तत्वों का अड्डा बन गया है। गलगलिया रेलवे स्टेशन के आस-पास एवं पटरियों के किनारे बसे झुग्गियों में खुले आम स्मैक का कारोबार फल फूल रहा है। यहां स्मैक मिलने के कारण हर समय नेपाली युवकों व असमाजिक तत्वों का आना जाना लगा रहता है जिससे स्थानीय लोग परेशान हैं।कई बार स्थानीय लोगों के द्वारा विरोध किया गया
लेकिन, इसके बावजूद भी स्टेशन के आस-पास खुलेआम स्मैक का कारोबार चल रहा है। स्मैक का सेवन करने के लिए नेपाल से भी काफी संख्या में युवक व कई युवतियां आती है जो स्मैक की पुड़िया खरीद एकांत जगहों पर इसका सेवन कर वापस लौट जाते हैं। इतना ही नहीं नशेड़ी अपने इस नशे की लत को पूरी करने के लिए अपने ही घर में कीमती सामानों की चोरी भी करते हैं। वहीं घर से बाहर भी चोरी की वारदात को अंजाम देते हैं। चोरी के सामान को स्मैक बेचने वाले कारोबारी, नशे की पुड़िया देकर या थोड़ी सी रकम देकर ले लेते हैं। अभी हाल ही में एक मामला देखने को मिला जब नेपाल पुलिस गलगलिया पहुँच कर चोरी की 06 भरी सोना बरामद करके ले गई। जानकारी मिली कि स्मैक की लत में पड़े भद्रपुर के कुछ युवकों ने भद्रपुर के ही किसी घर में चोरी की वारदात को अंजाम देकर 12 भरी सोना चोरी किया।जिसमें 06 भरी सोना गलगलिया के किसी व्यक्ति से मात्र 40 हजार रुपये में बिक्री कर दिया था। बाकि के 06 भरी नेपाल में बेचा था जिसे भी नेपाल पुलिस ने बरामद कर लिया है। ऐसा नही है कि स्थानीय पुलिस नशे के इस काले धंधे से वाकिफ नही हैं। पुलिस द्वारा समय-समय पर ऐसे अपराधियों को पकड़ने के लिए अभियान चलाकर धरपकड़ भी की जाती है लेकिन, नशा तस्करों का इतना गहरा जाल बन चुका है कि पुलिस की पकड़ में हमेशा सेवन करने वाले या छोटे-मोटे तस्कर ही आते हैं बड़ी मछलियां अभी भी पुलिस की पकड़ से दूर हैं। स्थानीय लोगों द्वारा
स्मैक के कारोबार से अपराध बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।

स्मैक नशे की गिरफ्त में फंसे युवाओं को बाहर निकालना है कठिन

जानकारों के अनुसार स्मैक के लत व्यक्ति को किसी भी हालात में स्मैक की डोज चाहिए ही। नहीं तो चक्कर आने, उल्टियां होने और शरीर में घबराहट होने लगती है। शराब के नशे से एक बार तो लोगों को दूर किया जा सकता है, लेकिन स्मैक जैसे खतरनाक नशे की गिरफ्त में फंसे युवाओं को इससे बाहर निकालना बहुत ही कठिन है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि शराब का नशा करने वाला व्यक्ति अपनी हरकतों के कारण सबकी नजरों में आ जाता है, लेकिन स्मैक जैसा नशा करने वाले शुरुआत में एक सामान्य व्यक्ति की तरह व्यवहार करते हैं, उनके नशे की गिरफ्त में होने के बारे में बहुत आसानी से उनके घर वालों को भी पता नहीं चल पता है। जब तक इस बारे में पता चलता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।

स्मैक खरीदने के पैसे नहीं होने से पेडलर बनकर बेचते हैं स्मैक

स्मैक बेचने वाले को पेडलर कहा जाता है सूत्रों के अनुसार एक पेडलर द्वारा एक दिन में हजारों रुपये से ज्यादा का माल बेचा जाता है।जो स्मैक पीने वाले लोग होते हैं वो ही आगे चल कर पेडलर बन जाते हैं। जब स्मैक खरीदने के पैसे नहीं होते तब लोग या तो छोटी मोटी चोरियां करना शुरू कर देते हैं या फिर पेडलर बनकर दूसरे लोगों को स्मैक बेचना शुरू कर देते हैं जिससे उनके स्मैक पीने का खर्चा निकल जाता है।ऐसा नहीं है कि सिर्फ गरीब या मजदूरी करने वाले लोग ही स्मैक का नशा करते हैं।नेपाल व अन्य जगह से कुछ अमीर घरों के लोग भी कार से इनके पास आकर स्मैक खरीदते हैं।

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