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खोरीबाड़ी व नक्सलबाडी में दुर्गा पूजा की तैयारी जोरो पर, बन रही आकर्षक व भव्य पंडालें।

सारस न्यूज, चंदन मंडल, खोरीबाड़ी।

दुर्गा प्रतिमाओं को भी अंतिम रूप देने में जुटे मूर्तिकार।

पश्चिम बंगाल के विश्व धरोहर का दर्जा प्राप्त दुर्गापूजा इस बार बड़ा खास है और पूरे राज्य में खुशी का माहौल भी है। वहीं दुर्गा माता की पूजा आराधना और नौ दिवसीय का उपासना शारदीय नवरात्रि पर्व शुरू होने में तीन दिन का समय रह गया है। मूर्तिकारों ने दुर्गा प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं । खोरीबाड़ी व नक्सलबाड़ी में पूजा की तैयारियां जोरो पर है।

पूजा पंडाल विशाल बनाये जा रहे हैं। पंडालों को अधिक से अधिक आकर्षक बनाने के लिए उन्हें देश दुनिया के चर्चित मंदिरों व ऐतिहासिक स्मारकों की तरह भव्य बनाया जा रहा है। लोगों में उत्साह और उमंग का वातावरण चारों ओर दिख रहा है । मालूम हो कि कोविड-19 (कोरोना महामारी )के कारण विगत दो वर्षों से लोग पर्व-त्योहार ठीक तरह से नहीं मना पाएं थे। दुर्गा पूजा के तीन दिन ही शेष रह गए हैं।

ऐसे में इन दिनों रौनक का माहौल बना हुआ है। इस वर्ष लोग भी दुर्गा पूजा धूमधाम से मनाने का मन भी मना लिया है। वहीं तमाम मूर्तिकार मां दुर्गा की मूर्ति बनाने में जोर शोर से जुटे हैं। उन्हें प्रतिमाओं का ऑर्डर भी खूब मिल रहे हैं। जिससे मूर्तिकारों को दो साल बाद खुशी से चेहरे खिल उठे हैं। महंगे होने के बावजूद बाजार में कच्ची मिट्टी की बनी मां दुर्गा की मूर्ति लोगों की डिमांड लिस्ट का हिस्सा है। बतासी के मूर्तिकार तपन पाल ने बताया कि मूर्ति बनाने का कार्य लगभग पूरा हो चुका है।

मूर्तियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है और मूर्ति में रंगाई का कार्य अब भी शेष है। इसके मद्देनजर जोर शोर से कार्य में जुटे हुए हैं। ऐसे में समय रहते कार्य पूरा कर लिया जाएगा। वहीं जहां तक मां दुर्गा की मूर्ति की बात है उन्हें भी बदलते दौर में आकर्षक रूप दिया गया है। मां की मूर्ति में विशेष रूप से उनके श्रृंगार पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। शेर पर सवार मां दुर्गा की छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी सभी आकार की मूर्ति बनाई जा रही है। इसके अलावा पूजन में इस्तेमाल होने वाले कलश और अन्य चीजों को भी तैयार कर लिया गया है।

मूर्तियों को अधिक आकर्षित बनाने के लिए मूर्ति को कपड़े और आभूषण भी पहनाए गए हैं और साथ ही उन पर चमकीली चीजें भी लगाई गई हैं।

बंगाल में नारी-पूजा की परंपरा प्राचीन समय से प्रचलित:-

बताते चलें कि राज्य में नारी-पूजा की परंपरा प्राचीन समय से प्रचलित है ।इसलिए यहां शक्ति की पूजा करने वाले शाक्त संप्रदाय का काफी असर है। दूसरी ओर वहां वैष्णव संत भी हुए हैं। जो राम और कृष्ण की आराधना में यकीन रखते हैं।

राज्य में दशहरा पर्व दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है। नवरात्र में शुरू होने वाला यह बंगालियों का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। यहां देवी दुर्गा को भव्य सुशोभित पंडालों विराजमान करते हैं। देश भर के नामी कलाकार दुर्गा की मूर्ति तैयार करते हैं। इसके साथ अन्य देवी द्वेवताओं की भी कई मूर्तियां बनाई जाती हैं।

बंगाल में माना जाता है मां दुर्गा का मायका:-

जानकार बताते हैं कि बंगाल में प्राचीन समय से ही मां दुर्गा का मायका माना जाता है। मान्यता है कि मां दुर्गा के मायके के आने के साथ ही नवरात्र व्रत शुरु हो जाते हैं।

10 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार के दौरान वहां का पूरा माहौल शक्ति की देवी दुर्गा के रंग का हो जाता है। राज्य में बंगाली हिंदुओं के लिए दुर्गा और काली की आराधना से बड़ा कोई उत्सव नहीं है। वे देश-विदेश जहां कहीं भी रहें। इस पर्व को खास बनाने में वे कोई कसर नहीं छोड़ते हैं।

25 -30 फीसद तक बढ़ गए सजावट के सामान के दाम:-

तपन पाल ने बताया दुर्गा प्रतिमाओं को सजाने में इस्तेमाल सामान के दाम बढ़ा दिए गए हैं।

कोरोना के कारण दो वर्षों से लंबे समय तक लॉकडाउन होने के कारण मुकुट, साड़ी, शस्त्र, बाल आदि की करीब 25 से 30 फीसदी कीमत बढ़ गयी है। इसके चलते मूर्तियों की लागत भी बढ़ी है।

एक अक्‍टूबर से पंडालों में स्‍थापित होंगी दुर्गा प्रतिमाएं:-

एक अक्टूबर से खोरीबाड़ी व नक्सलबाड़ी के विभिन्न पूजा पंडालों में दुर्गा पूजा पर्व शुरू हो जाएगा।

इसी दिन सभी स्थानों पर प्रतिमाओं की स्थापना हो जाएगी और अगले दिन प्रतिमाओं के पट भी खुल जाएंगे। इसके बाद श्रद्धालु मां दुर्गा के चरणों में माथा टेककर अपने परिवार के लिए सुख शांति व समृद्धि के लिए मां दुर्गा से कामना करेंगे।


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