सारस न्यूज टीम, सारस न्यूज।
आयुर्वेद एक प्राचीन चिकित्सा विज्ञान है। जिसमें भोजन करने के कुछ सिद्धांत हैं। इन सिद्धांतों के अनुसार, जिन फूड्स को सुपरफूड माना गया है। उनका सेवन सीमित ही रहना चाहिए। आयुर्वेद के हिसाब से इन चीज़ों का ज़रूरत से ज़्यादा सेवन शरीर में संतुलन को बिगाड़ सकता है। आज हम ऐसी ही एक फूड की बात रहे हैं। जिसे फ्लेक्स सीड्स या अलसी, तीसी के नाम से जाना जाता है।
अलसी क्यों डाइट का हिस्सा होने चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार कहा जाता है कि ये बीज शरीर के वात, तत्व को संतुलित करते हैं। इन्हें बल्या (स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा बूस्टर) और मेध्य (मस्तिष्क बूस्टर) दोनों के रूप में माना जाता है। यह बीज ओमेगा-3 और ओमेगा-6 से भरपूर होते हैं और हाइपरटेंशन और अल्ज़ाइमर्ज़ जैसी बीमारियों में फायदा पहुंचाने का काम करते हैं।
अलसी की सीमित मात्रा ही क्यों ठीक होती है? आयुर्वेद के अनुसार, अलसी का सेवन करते समय सचेत रहना ज़रूरी है। क्योंकि इनकी तासीर गर्म होती है। तो यह शरीर में पित्त और काफ का संतुलन बिगाड़ सकते हैं। इसलिए दवा की तरह सीमित मात्रा ही लें। अलसी का सीमित सेवन त्वचा के रूखेपन समय से पहले झुर्रियां, सूजन आदि जैसी दिक्कतों को भी दूर करता है।
किन लोगों को इन बीज का सेवन करना चाहिए?
आयुर्वेद के मुताबिक, जो लोग कुपोषण, हड्डियों और जोड़ों में दर्द, कमजोरी और पीरियड्स के दौरान कम प्रवाह की समस्या से गुज़रते हैं। उन्हें फ्लेक्स सीड्स का सेवन ज़रूर करना चाहिए। इन बीज की तासीर गर्म होती है। इसलिए यह इस दिक्कतों में आराम पहुंचाते हैं। साथ ही अगर आपके शरीर में पानी की कमी होती रहती है। तो भी इन बीज को रोज़ खाने में शामिल करें।