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बंगाली समुदाय द्वारा मां कोजागरी लक्खी की पूजा-अर्चना ठाकुरगंज सहित गलगलिया में धूमधाम से मनाया गया।

विजय गुप्ता, सारस न्यूज, गलगलिया।

दुर्गोत्सव का समापन होने के साथ ही बंगाल के एक और लोकपर्व मां कोजागरी लक्ष्मी (लक्खी) की पूजा-अर्चना ठाकुरगंज सहित गलगलिया सीमावर्ती क्षेत्र के बंगाली समुदाय द्वारा रविवार को धूमधाम से मनायी गई। देर शाम तक इनके घरों में प्रसाद खाने वाले लोगों की भीड़ देखी गई। पूजा व प्रसाद सामग्री की खरीदारी के लिए ठाकुरगंज और गलगलिया के बाजारों में दो दिन पहले से ही भीड़-भाड़ नजर आ रही थी। सुख व समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी की आराधना के लिए ठाकुरगंज, गलगलिया घोषपाड़ा व इससे सटे बंगाल के देवीगंज, सिंघियाजोत में व्रती महिलाओं ने अपने-अपने घरों को सजाया। इस दिन प्रत्येक बंगाली परिवार की महिलाएं पूजा में भाग लेती हैं। वे अपने सगे संबंधी व दोस्त को निमंत्रित कर मां को भोग लगा प्रसाद खिलाती हैं। इस संबंध में गलगलिया के जानकार बताते हैं कि आश्विन माह के पूर्णिमा को मनाया जाने वाले लक्ष्मी पूजा को कोजागरी लक्ष्मी पूजा के नाम से जाना जाता है। इस दिन घर की महिलाएं दिनभर उपवास रख कर पुरोहित या पंडित जी के माध्यम से मंत्रोच्चरण कर मां लक्ष्मी की पूजा करती हैं। पूजा के विशेष प्रसाद के रुप में घर की महिलाएं नारियल व तिल का लडडू, धान का लाखा, खिचड़ी व फल चढ़ाती हैं। बताया गया कि मां लक्ष्मी की पूजा घर में सुख, समृद्धि व धन संपदा की कामना के लिए की जाती है। वहीं गलगलिया की बंगाली समुदाय की सुषमा घोष, पापिया घोष, बिकास घोष, शंकर घोष आदि बताते हैं कि मां लक्ष्मी की पूजा के क्रम में केला पौधा के छिलके से नाव बनाकर उसमें पांच तरह से अनाज डालकर तथा फल-फूल का चढ़ावा चढ़ाकर पूजा करते हैं। उनका कहना है कि इससे घर में अन्न, धन की कभी कमी नहीं होती है। पूजा के उपरांत अपने सगे संबंधी व समाज के लोगों को आमंत्रित कर प्रसाद का वितरण किया जाता है। 

इनलोगों ने बताया कि इस पूजा में घरों की साफ-सफाई कर तरह-तरह की रंगोली बनाई जाती है। रंगोली में मां लक्ष्मी का पदचिन्द विशेष आकर्षक होता है। धान की फसल पकने के साथ ही इस पूजा का आयोजन किया जाता है, इस पूजा में धान के पौधे की भी विशेष पूजा होती है।

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