जिले में सोमवार को महापर्व छठ उल्लासपूर्वक संपन्न हो गया। पूर्वोत्तर का प्रवेश द्वार कहे जाने वाले किशनगंज में सूबे में सबसे पहले सूर्योदय होता है। उत्तर की ओर दार्जिलिंग जिले की सीमा है।
यहीं बहने वाली मेची नदी है। जिसके एक तट पर भारतीय व दूसरे तट पर नेपाली नागरिक प्रकृति का पर्व छठ मनाते हैं।
सोमवार की सुबह जब एक साथ लाखों हाथ सूर्य की आराधना के लिए उठे तो इसका गवाह जिले के उत्तर में स्थित विश्व की दूसरी सबसे ऊंची पर्वत कंचनजंगा भी बना। कंचनजंगा की ऊंचाई 8586 मीटर है और यह किशनगंज से 179 किमी दूर है।
सारस न्यूज टीम, किशनगंज।
जिले में सोमवार को महापर्व छठ उल्लासपूर्वक संपन्न हो गया। पूर्वोत्तर का प्रवेश द्वार कहे जाने वाले किशनगंज में सूबे में सबसे पहले सूर्योदय होता है। उत्तर की ओर दार्जिलिंग जिले की सीमा है।
यहीं बहने वाली मेची नदी है। जिसके एक तट पर भारतीय व दूसरे तट पर नेपाली नागरिक प्रकृति का पर्व छठ मनाते हैं।
सोमवार की सुबह जब एक साथ लाखों हाथ सूर्य की आराधना के लिए उठे तो इसका गवाह जिले के उत्तर में स्थित विश्व की दूसरी सबसे ऊंची पर्वत कंचनजंगा भी बना। कंचनजंगा की ऊंचाई 8586 मीटर है और यह किशनगंज से 179 किमी दूर है।
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