सारस न्यूज, किशनगंज।
राज्य सरकार प्रारंभिक और माध्यमिक विद्यालय स्तर पर कृषि की पढ़ाई के लिए कई तरह की कवायदें शुरु कर दी और कृषि को स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम में लाया जाए, इसके लिए सरकार प्रयास कर रही है। कृषि के क्षेत्र में भी रोजगार के बहुत सारे अवसर सृजित किए जा सकते हैं। सरकार भी कृषि शिक्षा पर काफी फोकस हो रही है। बहुत जल्द कृषि को स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम में लेकर आएगी और अब कृषि शिक्षा निचले स्तर से शुरू होगी। उक्त बातें बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के राज्य साधन सेवी डॉ भरत भूषण ने सोमवार को ठाकुरगंज में ड्रेगन फ्रूट की खेती को देखने के बाद कहीं। उन्होंने कहा कि देश में कृषि क्षेत्र का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है और बड़ी आबादी की आजीविका कृषि क्षेत्र पर निर्भर है। कृषि भारत की ताकत है और इसकी प्रधानता है जो आगे भी रहने वाली है, बल्कि इसका विस्तार भी होगा। इसके मद्देनजर शिक्षा प्रणाली में कृषि जगत को जोड़ने का प्रयास जरूरी है। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र ने प्रतिकूल परिस्थितियों में भी देश का साथ दिया है।
कोविड संकट काल में भी हमारे कृषि क्षेत्र ने सकारात्मक प्रदर्शन किया है। इस क्षेत्र में निरंतर सुधार, निवेश बढ़ाने व तकनीक का समर्थन करने की जरूरत रहती है। उन्होंने कहा कि स्कूली शिक्षा में कृषि भी स्थान पाए तथा कृषि में निरंतरता रहे एवं प्रत्येक भारतवासी का इससे जुड़ाव रहें, यह जरूरी है। बच्चों में कृषि के प्रति रूझान स्कूलों से ही रहेगा तो वे आगे चलकर कॉलेज की पढ़ाई अथवा उच्च शिक्षा के बाद भी खेती की ओर रुझान करेंगे। उन्होंने बताया कृषि से आज कल लोगों का मोह भंग हो रहा है। ऐसे में यदि ऐसी खेती की जानकारी आनेवाली पीढ़ी को हो तो लोगों का रुझान वापस कृषि की तरफ होगा। इस मामले में ड्रेगन फ्रूट, कीवी, अनानास जैसी फसलें काफी कारगर सिद्ध हो सकती है। वहीं इस दौरान उन्होंने ड्रेगन फ्रूट के खेती से संबंधित इसके नर्सरी, रोपण, उत्पादन, संग्रहण, बाजार आदि विंदुओं पर कृषक बच्छराज नखत से जानकारी प्राप्त की। इस मौके पर जिला संभाग प्रभारी राजेश कुमार ठाकुर, शिक्षिका गुड्डी कुमारी, मधु श्रद्धा सहित अन्य कृषक आदि मौजुद थे।