सारस न्यूज टीम, वेब डेस्क।
ब्रिटिश इंडिया में इंग्लैंड से अंग्रेजों ने साइमन कमीशन को भारत में वैधानिक सुधार के नाम पर भेजा था। इस आयोग में एक भी भारतीय सदस्य नहीं था। ऐसे में कांग्रेस की अगुवाई में देश भर में इसका विरोध हुआ था।गांधी जी के नेतृत्व में कांग्रेस शांतिपूर्ण विरोध कर रही थी। देशभर में साइमन गो बैक का नारा गूंज उठा था।पंजाब में आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे लाला लाजपत राय। अंग्रेजों ने लाठीचार्ज किया था। जिसमें लालाजी बुरी तरह घायल हो गए थे। उन्हें अस्पताल ले जाया गया। जख्मी अवस्था में उन्होंने कहा था कि उन पर पड़ी एक एक लाठी ब्रिटिश राज के ताबूत में आखिरी कील साबित होगी। और उनके बलिदान ने सच में आजादी के आंदोलन में प्राण फूंक दिया था। अस्पताल में 18 दिनों तक जिंदगी और मौत के बीच जूझते हुए 17 नवंबर 1928 को वे चल बसे उनकी मौत से देशभर में आक्रोश फैल गया।
