जिला बाल संरक्षण इकाई के तत्वावधान में पॉक्सो 2012, जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 एवं बाल संरक्षण से संबंधित अन्य प्रावधानों के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु एक दिवसीय प्रशिक्षण सह उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें जिले के सभी थानाध्यक्षों, सभी बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी एवं अन्य सभी पुलिस पदाधिकारी तथा बाल संरक्षण से जुड़े अन्य हितधारक मौजूद रहे। डीआरडीए के रचना भवन में आयोजित उक्त कार्यशाला का उद्घाटन उप विकास आयुक्त मनन राम द्वारा किया गया। कार्यशाला में जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक रविशंकर तिवारी, सामाजिक सुरक्षा के सहायक निदेशक मो मिनहाजुद्दीन, आईसीडीएस के डीपीओ सुमन सिंहा, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी जावेद अनवर अंसारी, श्रम अधीक्षक बीरेंद्र कुमार महतो, आईसीडीएस के डीपीओ, किशोर न्याय इकाई के सदस्य सहित जिले के कई पदाधिकारी उपस्थित रहे।
कार्यशाला में यूनिसेफ सह एससीपीएस, बिहार के कंसल्टेंट शाहिद जावेद एवं परामर्शी सैफुर्रहमान ने रिसोर्स पर्सन के रूप में सभी थानाध्यक्षों, बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारियों एवं बाल संरक्षण से जुड़े अन्य स्टेकहोल्डर्स को जेजे एक्ट, 2015 एवं पास्को एक्ट, 2012 इनसे संबंधित राज्य सरकार द्वारा बनाए गए नियमावली के सभी महत्त्वपूर्ण धाराओं एवं नियमों यथा विधि विरूद्ध बालक, किशोर न्याय परिषद, विशेष किशोर न्याय इकाई, बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी आदि से संबंधित जानकारी दी गई।
इसके अतिरिक्त विधि विरूद्ध बालकों को जेल में नहीं रखे जाने से संबंधित जानकारी, बाल अधिकार, बाल संरक्षण, बाल श्रम की मनाही, विधि विरूद्ध बालक एवं देख रेख़ तथा संरक्षण वाले बालकों के साथ किस तरह का व्यवहार किया जाय आदि से संबंधित प्रावधानों की जानकारी दी गई। देखरेख एवं संरक्षण के दायरे की विस्तृत चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि केवल बिहार में ऐसे बड़ी संख्या में बच्चे हैं जिन्हें किसी न किसी कारण से पुलिस, चाइल्डलाइन, बाल संरक्षण इकाई की जरूरत पड़ती है, समय पर उन्हें सहयोग न मिलने से यह संभावना बनी रहती है कि बच्चे किसी तरह की प्रताड़ना का शिकार बने अथवा गलत संगत में जाकर विधि निरुद्ध बच्चे में परिवर्तित हो जाएं। पोक्सो कानून 2012 के तहत किसी भी बच्चे (18 वर्ष से कम) के साथ किसी भी तरह का यौन दुर्व्यवहार के संबंध में यह दायित्व है कि शिकायत तुरंत दर्ज की जाए, शिकायत दर्ज नहीं करने पर संबंधित पुलिस पदाधिकारी को भी 6 माह की सजा दी जा सकती है। कार्यशाला में यह जानकारी दी गई कि बच्चों से नशे का कारोबार करने वाले या नशीली सामग्री देने वाले को सात साल की सजा का प्रावधान है। ऐसे कई अन्य विषयों पर चर्चा की गई। अंत में सभी थानाध्यक्षों, बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी एवं अन्य से अपने अनुभव बताने के लिए कहा गया, जिसमें उन्होंने अपने अनुभवों को बताने के साथ- साथ ट्रेनिंग सह उन्मुखीकरण कार्यक्रम को काफी संतोषप्रद एवं उपयोगी बताया।
सारस न्यूज, किशनगंज।
जिला बाल संरक्षण इकाई के तत्वावधान में पॉक्सो 2012, जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 एवं बाल संरक्षण से संबंधित अन्य प्रावधानों के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु एक दिवसीय प्रशिक्षण सह उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें जिले के सभी थानाध्यक्षों, सभी बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी एवं अन्य सभी पुलिस पदाधिकारी तथा बाल संरक्षण से जुड़े अन्य हितधारक मौजूद रहे। डीआरडीए के रचना भवन में आयोजित उक्त कार्यशाला का उद्घाटन उप विकास आयुक्त मनन राम द्वारा किया गया। कार्यशाला में जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक रविशंकर तिवारी, सामाजिक सुरक्षा के सहायक निदेशक मो मिनहाजुद्दीन, आईसीडीएस के डीपीओ सुमन सिंहा, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी जावेद अनवर अंसारी, श्रम अधीक्षक बीरेंद्र कुमार महतो, आईसीडीएस के डीपीओ, किशोर न्याय इकाई के सदस्य सहित जिले के कई पदाधिकारी उपस्थित रहे।
कार्यशाला में यूनिसेफ सह एससीपीएस, बिहार के कंसल्टेंट शाहिद जावेद एवं परामर्शी सैफुर्रहमान ने रिसोर्स पर्सन के रूप में सभी थानाध्यक्षों, बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारियों एवं बाल संरक्षण से जुड़े अन्य स्टेकहोल्डर्स को जेजे एक्ट, 2015 एवं पास्को एक्ट, 2012 इनसे संबंधित राज्य सरकार द्वारा बनाए गए नियमावली के सभी महत्त्वपूर्ण धाराओं एवं नियमों यथा विधि विरूद्ध बालक, किशोर न्याय परिषद, विशेष किशोर न्याय इकाई, बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी आदि से संबंधित जानकारी दी गई।
इसके अतिरिक्त विधि विरूद्ध बालकों को जेल में नहीं रखे जाने से संबंधित जानकारी, बाल अधिकार, बाल संरक्षण, बाल श्रम की मनाही, विधि विरूद्ध बालक एवं देख रेख़ तथा संरक्षण वाले बालकों के साथ किस तरह का व्यवहार किया जाय आदि से संबंधित प्रावधानों की जानकारी दी गई। देखरेख एवं संरक्षण के दायरे की विस्तृत चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि केवल बिहार में ऐसे बड़ी संख्या में बच्चे हैं जिन्हें किसी न किसी कारण से पुलिस, चाइल्डलाइन, बाल संरक्षण इकाई की जरूरत पड़ती है, समय पर उन्हें सहयोग न मिलने से यह संभावना बनी रहती है कि बच्चे किसी तरह की प्रताड़ना का शिकार बने अथवा गलत संगत में जाकर विधि निरुद्ध बच्चे में परिवर्तित हो जाएं। पोक्सो कानून 2012 के तहत किसी भी बच्चे (18 वर्ष से कम) के साथ किसी भी तरह का यौन दुर्व्यवहार के संबंध में यह दायित्व है कि शिकायत तुरंत दर्ज की जाए, शिकायत दर्ज नहीं करने पर संबंधित पुलिस पदाधिकारी को भी 6 माह की सजा दी जा सकती है। कार्यशाला में यह जानकारी दी गई कि बच्चों से नशे का कारोबार करने वाले या नशीली सामग्री देने वाले को सात साल की सजा का प्रावधान है। ऐसे कई अन्य विषयों पर चर्चा की गई। अंत में सभी थानाध्यक्षों, बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी एवं अन्य से अपने अनुभव बताने के लिए कहा गया, जिसमें उन्होंने अपने अनुभवों को बताने के साथ- साथ ट्रेनिंग सह उन्मुखीकरण कार्यक्रम को काफी संतोषप्रद एवं उपयोगी बताया।
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