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भारत – नेपाल सीमा से सटे महाभारतकालीन भीम – कीचक वध स्थल पर स्थापित की गई मल युद्ध करते भीम की भव्य प्रतिमा, दोनों देशों के श्रद्धालुओं में हर्ष।

विजय गुप्ता, सारस न्यूज, गलगलिया।

भारतीय सीमा के गलगलिया से करीब 03 किलोमीटर पश्चिम दिशा की ओर नेपाल झापा जिला के पृथ्वीनगर स्थित ऐतिहासिक और पुरातात्विक कीचक वध स्थल पर भीम-कीचक की नई प्रतिमा का उद्घाटन किया गया है। पूर्व संविधान सभा सदस्य जीतू गौतम ने शनिवार को एक कार्यक्रम के दौरान भीम-कीचक की नवनिर्मित प्रतिमा का उद्घाटन किया।

मूर्ति के उद्घाटन के बाद संविधान सभा के पूर्व सदस्य श्री गौतम ने कहा कि कीचक वध स्थल सभी जातियों के लिए पवित्र भूमि है और यह नेपाल में सभी जातीय समूहों के लिए एक पवित्र स्थान माना जाता है। उन्होंने कहा कि इसके संरक्षण और विकास के लिए सभी क्षेत्रों का सहयोग आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इस महाभारतकालीन व ऐतिहासिक भूमि के माध्यम से यह देश में पर्यटन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा। किचक वध धार्मिक ऐतिहासिक एवं पर्यटक स्थल संरक्षण समिति के अध्यक्ष दिल बहादुर थेबे ने बताया कि संस्कृति व पर्यटन मंत्रालय द्वारा प्राप्त करीब 62 लाख 50 हजार रुपये की लागत से भीम-कीचक की मूर्तियों का निर्माण के साथ पर्यटन स्थलों की सुरक्षा हेतु घेराबंदी की गई है।

मौजूद अवशेष देते हैं अज्ञातवास की गवाही

पांडवों ने बिहार एवं नेपाल की सीमा पर बसे ठाकुरगंज और इससे सटे नेपाल के महेशपुर में अज्ञातवास बिताया था। यहाँ के विभिन्न जगहों पर मौजूद अवशेष इस बात की गवाही देते नजर आते हैं कि इस इलाके का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है। समय के साथ सब कुछ बदल जाने के बाद भी ठाकुरगंज, महेशपुर में पौराणिक अवशेष आज भी सुरक्षित है जिसे इतिहास के पन्नों में ”भीम  तकिया, भातडाला, सागडाला और किचकबद्ध के  नाम से स्थान दिया गया है।

ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्थल के रूप में परिचित कीचक वध स्थल महाभारत काल का एक ऐसी जगह है जहाँ पुरातत्व विभाग द्वारा अब तक सातवें चरण की खुदाई के दौरान  महाभारत काल से जुड़े विभिन्न प्रकार के पुरातत्व पाया गया है। खुदाई से अनुमान लगाया गया है कि कीचक वध की ऐतिहासिकता बारहवीं सदी से पुरानी हो सकती है। अभी तक प्राप्त चीजों से पता चलता है कि यह कोई मध्यकालिन गढ़ था और इसका इतिहास महाभारत काल यानि शक कुषाण काल तक जा सकता है।

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