बहादुरगंज प्रखंड के हाटगाव, धवेली, हवाकॊल, मटयारी, चिलहानिया, बैगना, झुनकी मुसहरा, कालपीर, भोरहा, खानियाबाद पंचायत सहित कई अन्य गांवों में लगाएं गए लघु सिंचाई विभाग की बोरिंग से किसानों को सिंचाई की सुविधा नहीं मिल रही है। इन गांवों के किसानों के खेतों तक बिजली कनेक्शन भी नहीं पहुंचा है इस कारण किसान निजी पंपसेट से अपने खेतों की सिंचाई करने को विवश हैं।
पिछले 20 वर्ष पहले खेतों के सिंचाई के लिए लघु सिंचाई विभाग की ओर से बोरिंग लगाया गया। सिंचाई के लिए बोरिंग से खेतों तक नालो का निर्माण कार्य भी करवाना था जो की आज तक नहीं हो पाया। आवश्यक देखरेख व कर्मचारी के अभाव में बोरिंग का मशीन खराब हो चुका है। परिणाम यह हुआ की बोरिंग ने पानी देना बंद कर दिया है।
प्रखंड क्षेत्र के कई पंचायत में स्टेट बोरिंग सोभा की वस्तु बनकर रह गया है। कई किसानों ने बताया कि विभाग की लापरवाही की वजह से महंगे दाम में डीजल खरीद कर सिंचाई करने को मजबूर है, जबकि किशनगंज जिला के 80% लोग किसानी पर निर्भर करता है इसके बावजूद भी किसानों को कोई सरकारी सहायता नहीं मिल पा रहा है जिससे किसानों में आक्रोश है।
देवाशीष चटर्जी, सारस न्यूज, टेढ़ागाछ।
बहादुरगंज प्रखंड के हाटगाव, धवेली, हवाकॊल, मटयारी, चिलहानिया, बैगना, झुनकी मुसहरा, कालपीर, भोरहा, खानियाबाद पंचायत सहित कई अन्य गांवों में लगाएं गए लघु सिंचाई विभाग की बोरिंग से किसानों को सिंचाई की सुविधा नहीं मिल रही है। इन गांवों के किसानों के खेतों तक बिजली कनेक्शन भी नहीं पहुंचा है इस कारण किसान निजी पंपसेट से अपने खेतों की सिंचाई करने को विवश हैं।
पिछले 20 वर्ष पहले खेतों के सिंचाई के लिए लघु सिंचाई विभाग की ओर से बोरिंग लगाया गया। सिंचाई के लिए बोरिंग से खेतों तक नालो का निर्माण कार्य भी करवाना था जो की आज तक नहीं हो पाया। आवश्यक देखरेख व कर्मचारी के अभाव में बोरिंग का मशीन खराब हो चुका है। परिणाम यह हुआ की बोरिंग ने पानी देना बंद कर दिया है।
प्रखंड क्षेत्र के कई पंचायत में स्टेट बोरिंग सोभा की वस्तु बनकर रह गया है। कई किसानों ने बताया कि विभाग की लापरवाही की वजह से महंगे दाम में डीजल खरीद कर सिंचाई करने को मजबूर है, जबकि किशनगंज जिला के 80% लोग किसानी पर निर्भर करता है इसके बावजूद भी किसानों को कोई सरकारी सहायता नहीं मिल पा रहा है जिससे किसानों में आक्रोश है।
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