उत्तर बिहार में स्थित दरभंगा को मिथिलांचल की हृदय स्थली भूमि कही जाती है। यहां की संस्कृति और विरासत इस जिले को और खास बना देती है। यहां पर रामायण काल से जुड़ी हुई कई सारी रहस्यमय कहानियां है। ऐसा ही रामायण काल से जुड़ी हुई कुछ कहानी जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर स्थित जाले के अहिल्या नगरी में है। यहां यह एक कुआं है जिसमें नहाने से सारे पाप धूल जाते हैं।
जानिए गौतम कुंड का इतिहास
यहीं पर स्थित है गौतम कुंड जहां स्थानीय पुजारी और स्थानीय जानकार विकास कुमार और राम स्वरूप पंडित की माने तो गौतम ऋषि अपने आश्रम से नित्य दिन सुबह इस जगह पर आकर स्नान आदि कर तपस्या में लीन हो जाते थे। वह एक बड़े तपस्वी भी थे न्याय चौथ के प्रणेता के साथ इसीलिए इस कुंड का नाम आज गौतम कुंड रखा गया है। माना जाता है कि इस कुंड में स्नान इत्यादि करने के पश्चात लोगों के पाप धुल जाते हैं।
माता अहिल्या को यहीं मिली थी मुक्ति
माना जाता है कि इसी जगह पर न्याय स्त्रोत के प्रथम प्रणेता ऋषि गौतम आश्रम बनाकर अपनी धर्म पत्नी अहिल्या के साथ रहते थे और छः ऋषियों और उनके परिवार भी यहां पर आश्रम बनाकर रहा करते थे और गौतम ऋषि के साथ तपस्या किया करते थे। रामायण काल में जब प्रभु श्री राम जनकपुर स्वयंवर में शामिल होने जा रहे थे तो माना जाता है कि इसी रास्ते से उनके चरण कमल गुजरे थे और श्रापित अहिल्या को उन्होंने श्राप मुक्त भी किया था। सीएम नीतीश कुमार भी आ चूके हैं यहांस्थानीय विकास कुमार बताते हैं कि जब एक बार सुबह के मुखिया नीतीश कुमार एक कार्यक्रम में जाने के लिए इस जगह पर हेलीकॉप्टर से उतरे थे तो उनके कदम गौतम कुंड की तरफ खिंचे चले आए और यहां के वातावरण से वहां प्रसन्न होकर इस गौतम कुंड के चौमुखी विकास के लिए लगभग एक करोड़ रूपया देने की घोषणा कर दी। उसी राशि से इस जगह का कायाकल्प बदल गया। इस जगह पर न्याय शोध के प्रणेता ऋषि गौतम का भव्य मंदिर बना हुआ है। वहां आपको महर्षि गौतम ऋषि का प्रतिमा भी देखने को मिल जाएगा बिल्कुल शांत और मनमोहक वातावरण इस परिसर में हमेशा बना रहता है।
सारस न्यूज, बिहार/दरभंगा।
उत्तर बिहार में स्थित दरभंगा को मिथिलांचल की हृदय स्थली भूमि कही जाती है। यहां की संस्कृति और विरासत इस जिले को और खास बना देती है। यहां पर रामायण काल से जुड़ी हुई कई सारी रहस्यमय कहानियां है। ऐसा ही रामायण काल से जुड़ी हुई कुछ कहानी जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर स्थित जाले के अहिल्या नगरी में है। यहां यह एक कुआं है जिसमें नहाने से सारे पाप धूल जाते हैं।
जानिए गौतम कुंड का इतिहास
यहीं पर स्थित है गौतम कुंड जहां स्थानीय पुजारी और स्थानीय जानकार विकास कुमार और राम स्वरूप पंडित की माने तो गौतम ऋषि अपने आश्रम से नित्य दिन सुबह इस जगह पर आकर स्नान आदि कर तपस्या में लीन हो जाते थे। वह एक बड़े तपस्वी भी थे न्याय चौथ के प्रणेता के साथ इसीलिए इस कुंड का नाम आज गौतम कुंड रखा गया है। माना जाता है कि इस कुंड में स्नान इत्यादि करने के पश्चात लोगों के पाप धुल जाते हैं।
माता अहिल्या को यहीं मिली थी मुक्ति
माना जाता है कि इसी जगह पर न्याय स्त्रोत के प्रथम प्रणेता ऋषि गौतम आश्रम बनाकर अपनी धर्म पत्नी अहिल्या के साथ रहते थे और छः ऋषियों और उनके परिवार भी यहां पर आश्रम बनाकर रहा करते थे और गौतम ऋषि के साथ तपस्या किया करते थे। रामायण काल में जब प्रभु श्री राम जनकपुर स्वयंवर में शामिल होने जा रहे थे तो माना जाता है कि इसी रास्ते से उनके चरण कमल गुजरे थे और श्रापित अहिल्या को उन्होंने श्राप मुक्त भी किया था। सीएम नीतीश कुमार भी आ चूके हैं यहांस्थानीय विकास कुमार बताते हैं कि जब एक बार सुबह के मुखिया नीतीश कुमार एक कार्यक्रम में जाने के लिए इस जगह पर हेलीकॉप्टर से उतरे थे तो उनके कदम गौतम कुंड की तरफ खिंचे चले आए और यहां के वातावरण से वहां प्रसन्न होकर इस गौतम कुंड के चौमुखी विकास के लिए लगभग एक करोड़ रूपया देने की घोषणा कर दी। उसी राशि से इस जगह का कायाकल्प बदल गया। इस जगह पर न्याय शोध के प्रणेता ऋषि गौतम का भव्य मंदिर बना हुआ है। वहां आपको महर्षि गौतम ऋषि का प्रतिमा भी देखने को मिल जाएगा बिल्कुल शांत और मनमोहक वातावरण इस परिसर में हमेशा बना रहता है।
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