रविवार को आनंद मार्ग प्रचारक संघ, किशनगंज की ओर से नगर पंचायत ठाकुरगंज के वार्ड नं चार फौदारबस्ती में संचालित आनंद मार्ग जागृति केंद्र में नीलकंठ दिवस मनाया गया। इस अवसर पर स्थानीय आनंदमर्गियों ने 3 घंटे का बाबा नाम केवलम अखंड कीर्तन का आयोजन किया गया।
इस संबंध में आनंद मार्ग प्रचारक संघ, किशनगंज के भुक्ति प्रधान सुमन भारती ने बताया कि 12 फरवरी 1973 को आनंद मार्ग के संस्थापक गुरु श्री श्री आनंदमूर्ति को बिहार के पटना बांकीपुर सेंट्रल जेल में चिकित्सा के नाम पर दवा के रूप में जहर दिया गया था। इसका असर पूरे शरीर पर पड़ा। आनंदमूर्ति जी का शरीर सिकुड़ गया। आंखों की रोशनी चली गई और सिर के बाल उड़ गए। सभी दांत भी झड़ गए। उसके बावजूद गुरु आनंद मूर्ति जी जीवित रहे। इसलिए हम सब आनंदमार्गी 12 फरवरी के दिन पूरे विश्व में नीलकंठ दिवस के रूप में मनाते हैं।
इस ऐतिहासिक अवसर पर आनंद मार्ग के संस्थापक के जीवन के विषय में बताते हुए सुमन भारती ने कहा कि आनंदमूर्ति ने विष का पान कर दुनिया को यह बताया कि दुनिया मे कितनी कड़ी से कड़ी मुसीबत आए उसका का सामना हर नैतिकवान पुरुष को करना चाहिए। तभी मनुष्य अपने जीवन में बड़ा से बड़ा कार्य कर सकता है। सुख और दुख दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू होते हैं। जहां सुख है वहां दुख भी है। केवल सुख रहने से ही जीवन का अनुभव नहीं किया जा सकता। दुख का आना भी मनुष्य के जीवन में जरूरी है। इससे मनुष्य को तथा आने वाली पीढ़ी को मुसीबत का सामना कैसे किया जाए सीखने का मौका मिलता है।
इस मौके पर रंजीत सरकार, कृष्ण कुमार सिंह, नीरज यादव, प्रकाश मंडल, सरस्वती देवी, चंद्रमाया देवी, मंगला देवी, कमला देवी, सीता देवी सहित कई आनंदमार्गी मौजूद थे।
सारस न्यूज, किशनगंज।
रविवार को आनंद मार्ग प्रचारक संघ, किशनगंज की ओर से नगर पंचायत ठाकुरगंज के वार्ड नं चार फौदारबस्ती में संचालित आनंद मार्ग जागृति केंद्र में नीलकंठ दिवस मनाया गया। इस अवसर पर स्थानीय आनंदमर्गियों ने 3 घंटे का बाबा नाम केवलम अखंड कीर्तन का आयोजन किया गया।
इस संबंध में आनंद मार्ग प्रचारक संघ, किशनगंज के भुक्ति प्रधान सुमन भारती ने बताया कि 12 फरवरी 1973 को आनंद मार्ग के संस्थापक गुरु श्री श्री आनंदमूर्ति को बिहार के पटना बांकीपुर सेंट्रल जेल में चिकित्सा के नाम पर दवा के रूप में जहर दिया गया था। इसका असर पूरे शरीर पर पड़ा। आनंदमूर्ति जी का शरीर सिकुड़ गया। आंखों की रोशनी चली गई और सिर के बाल उड़ गए। सभी दांत भी झड़ गए। उसके बावजूद गुरु आनंद मूर्ति जी जीवित रहे। इसलिए हम सब आनंदमार्गी 12 फरवरी के दिन पूरे विश्व में नीलकंठ दिवस के रूप में मनाते हैं।
इस ऐतिहासिक अवसर पर आनंद मार्ग के संस्थापक के जीवन के विषय में बताते हुए सुमन भारती ने कहा कि आनंदमूर्ति ने विष का पान कर दुनिया को यह बताया कि दुनिया मे कितनी कड़ी से कड़ी मुसीबत आए उसका का सामना हर नैतिकवान पुरुष को करना चाहिए। तभी मनुष्य अपने जीवन में बड़ा से बड़ा कार्य कर सकता है। सुख और दुख दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू होते हैं। जहां सुख है वहां दुख भी है। केवल सुख रहने से ही जीवन का अनुभव नहीं किया जा सकता। दुख का आना भी मनुष्य के जीवन में जरूरी है। इससे मनुष्य को तथा आने वाली पीढ़ी को मुसीबत का सामना कैसे किया जाए सीखने का मौका मिलता है।
इस मौके पर रंजीत सरकार, कृष्ण कुमार सिंह, नीरज यादव, प्रकाश मंडल, सरस्वती देवी, चंद्रमाया देवी, मंगला देवी, कमला देवी, सीता देवी सहित कई आनंदमार्गी मौजूद थे।
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