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बिंदु अग्रवाल की कविता #9 (अधूरी जिंदगी)

बिंदु अग्रवाल

सारस न्यूज, किशनगंज।

अधूरी जिंदगी

ऐ वक़्त थम जा जरा….
पलट कर देखूँ अतीत के पन्नो को,
याद कर लूं जरा उन लम्हों को
कुछ पराये कुछ अपने,
कुछ आधे-अधूरे सपने
सुख के कुछ पलों के साथ
रंगीन थी यह जिंदगी,
गमों के दौर ने न जाने
कितना दर्द दिल में भर
ऐ वक़्त थम जा जरा….

बाकी है चंद साँसे अभी
कुछ धड़कने है बाकी,
कुछ अधूरे अरमान
कुछ अधूरी ख्वाहिश,
कभी सुख का सूरज
कभी गम की बारिश,
कुछ अंतर्द्वंद भी है
क्या करे,क्या ना करें?
कोई तो बता दे जरा
ऐ वक़्त थम जा जरा….

जरा थम जा
मैं जी लूं अपनी जिंदगी
भर लूं उन खुशियों को
अपने आँचल में ,
जिनके लिये सदा ही
तरसती रही यह जिंदगी।
पर धीरे-धीरे बढ़ रहा यह जीवन
अपने अवसान की ओर,
ऐ वक़्त तू ही बता
कब पूर्ण होगा जीवन?
कुछ अधूरे ख्वाब लिये
कुछ अधूरी चाह लिये,
जीने को आतुर है
अधूरी जिंदगी।

बिंदु अग्रवाल, किशनगंज, बिहार

बिंदु अग्रवाल

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