ठाकुरगंज में श्रद्धा व सम्मान के साथ मनाई गई शहीद सुखदेव की 116वीं जयंती, महज 24 वर्ष की आयु में अपने प्राणों की आहुति दे देशवासियों को मातृभूमि पर मिटने का दिया संदेश।
सोमवार को कला एवं संस्कृति मंच, ठाकुरगंज द्वारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान स्वतंत्रता सेनानी एवं भगत सिंह और राजगुरु के साथ हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर लटकने वाले अमर शहीद सुखदेव थापर की 116वीं जयंती श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाई। ठाकुरगंज क्लब ग्राउंड में स्थापित शहीद सुखदेव थापर की प्रतिमा पर पूर्व नगर अध्यक्ष सह मंच के मुख्य संरक्षक प्रमोद कुमार चौधरी के नेतृत्व में स्थानीय युवाओं ने माल्यार्पण व पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रृद्धांजलि दे स्मरण किया।
इस मौके पर पूर्व नगर अध्यक्ष सह मंच के मुख्य संरक्षक प्रमोद कुमार चौधरी ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि सुखदेव थापर ने मात्र 24 वर्ष की आयु में अपने प्राणों की आहुति देकर देशवासियों को जो मातृभूमि पर मिटने का संदेश दिया, उसके लिए सदियों तक देश उनका आभारी रहेगा। उन्होंने बताया कि सुखदेव थापर का जन्म 15 मई, 1907 को लुधियाना में हुआ था। बचपन से ही सुखदेव ने ब्रिटिश राज के अत्याचारों को देखा और समझना शुरू कर दिया था। 1919 में जब सुखदेव महज 12 वर्ष के थे तो अमृतसर के जलियांवाला बाग में हुए भीषण नरसंहार का बालक सुखदेव के मन पर बहुत गहरा असर हुआ।स्कूल की पढ़ाई समाप्त करने के बाद इन्होंने 1922 लाहौर के नेशनल कॉलेज में प्रवेश लिया, जहां भगत सिंह से इनकी मुलाकात हुई। उसके बाद वह स्वतंत्रता की लड़ाई में कूद पड़े।
वहीं छात्र जदयू के उपाध्यक्ष प्रशांत पटेल ने कहा कि युवाओं में न सिर्फ देशभक्ति का जज्बा भरने बल्कि खुद भी क्रांतिकारी गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेकर सुखदेव थापर ने ब्रिटिश साम्राज्य को हिलाकर रख दिया था। क्रांतिकारी गतिविधियों से अंग्रेजों को हिलाने वाले सुखदेव 23 मार्च 1931 को भगत सिंह व राजगुरु के साथ हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए और देश के युवाओं के मन में आजादी पाने की नई ललक पैदा कर गए। वहीं इस दौरान गौरी शंकर चौधरी, सुमित कुमार सरकार उर्फ खोखा दा, रामबाबू प्रसाद, अजय चौधरी, राजा कुंडू, आकाश सोनी, विशाल राय, मुन्ना शर्मा आदि सहित अन्य स्थानीय नागरिक मौजूद रहे।
सारस न्यूज, किशनगंज।
सोमवार को कला एवं संस्कृति मंच, ठाकुरगंज द्वारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान स्वतंत्रता सेनानी एवं भगत सिंह और राजगुरु के साथ हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर लटकने वाले अमर शहीद सुखदेव थापर की 116वीं जयंती श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाई। ठाकुरगंज क्लब ग्राउंड में स्थापित शहीद सुखदेव थापर की प्रतिमा पर पूर्व नगर अध्यक्ष सह मंच के मुख्य संरक्षक प्रमोद कुमार चौधरी के नेतृत्व में स्थानीय युवाओं ने माल्यार्पण व पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रृद्धांजलि दे स्मरण किया।
इस मौके पर पूर्व नगर अध्यक्ष सह मंच के मुख्य संरक्षक प्रमोद कुमार चौधरी ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि सुखदेव थापर ने मात्र 24 वर्ष की आयु में अपने प्राणों की आहुति देकर देशवासियों को जो मातृभूमि पर मिटने का संदेश दिया, उसके लिए सदियों तक देश उनका आभारी रहेगा। उन्होंने बताया कि सुखदेव थापर का जन्म 15 मई, 1907 को लुधियाना में हुआ था। बचपन से ही सुखदेव ने ब्रिटिश राज के अत्याचारों को देखा और समझना शुरू कर दिया था। 1919 में जब सुखदेव महज 12 वर्ष के थे तो अमृतसर के जलियांवाला बाग में हुए भीषण नरसंहार का बालक सुखदेव के मन पर बहुत गहरा असर हुआ।स्कूल की पढ़ाई समाप्त करने के बाद इन्होंने 1922 लाहौर के नेशनल कॉलेज में प्रवेश लिया, जहां भगत सिंह से इनकी मुलाकात हुई। उसके बाद वह स्वतंत्रता की लड़ाई में कूद पड़े।
वहीं छात्र जदयू के उपाध्यक्ष प्रशांत पटेल ने कहा कि युवाओं में न सिर्फ देशभक्ति का जज्बा भरने बल्कि खुद भी क्रांतिकारी गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेकर सुखदेव थापर ने ब्रिटिश साम्राज्य को हिलाकर रख दिया था। क्रांतिकारी गतिविधियों से अंग्रेजों को हिलाने वाले सुखदेव 23 मार्च 1931 को भगत सिंह व राजगुरु के साथ हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए और देश के युवाओं के मन में आजादी पाने की नई ललक पैदा कर गए। वहीं इस दौरान गौरी शंकर चौधरी, सुमित कुमार सरकार उर्फ खोखा दा, रामबाबू प्रसाद, अजय चौधरी, राजा कुंडू, आकाश सोनी, विशाल राय, मुन्ना शर्मा आदि सहित अन्य स्थानीय नागरिक मौजूद रहे।
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