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मां ही मंदिर, मां ही पूजा, मां से बड़ा ना कोई दूजा।

चंदन मंडल, सारस न्यूज, सिलीगुड़ी।

नेपाल से नक्सलबाड़ी तक चंदना रॉय 11 महीने की मासूम को गोद में लेकर चलाती है टोटो

मां ही मंदिर, मां ही पूजा, मां से बड़ा ना कोई दूजा। मां एक ऐसा शब्द है जिसके महत्व के विषय में जितनी भी बात की जाये कम ही है। मां के बिना अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। मां के महानता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इंसान भगवान का नाम लेना भले ही भूल जाये लेकिन मां का नाम लेना नहीं भूलता है। मां को प्रेम व करुणा का प्रतीक माना गया है। एक मां दुनियां भर के कष्ट सहकर भी अपने संतान को अच्छी से अच्छी सुख-सुविधाएं देना चाहती है। ऐसी ही मां की ममता की कहानी नक्सलबाड़ी से करीब पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित भारत-नेपाल सीमांत के पानीटंकी की सुनाते हैं। जहां एक मां अपनी गोद में 11 महीने का बच्चा लेकर टोटो चला रही है। ताकि उनके बच्चों को कोई दिक्कत परेशानी नहीं हो और आगे अपने बच्चों की पढ़ाई लिखाई करवा सकें। इसलिए पानीटंकी निवासी उस मां के जीवन संघर्ष की कहानी सुनकर आप भी हैरान रह जायेंगे। वह प्रत्येक दिन सुबह साढ़े छह बजे मां चंदना रॉय टोटो के साथ बाहर निकलती है। मां सीट पर बैठी है और उस मां की कमर से एक छोटा बच्चा बंधा हुआ है। दूध पिलाने की बोतल टोटो में है। वहीं से वह कभी-कभी बच्चे को खाना खिलाती है। फिर वह दोपहर में घर आती है बच्चे को नहलाती है और खाना खिलाती है और टोटो के साथ फिर बाहर चली जाती है। ये उनके रोजाना के संघर्ष की कहानी है। इस तरह वह दो बच्चों के पालन-पोषण के साथ-साथ परिवार भी चला रही है। चंदना रॉय नेपाल के काकरभिट्ठा से नक्सलबाड़ी तक सड़क पर टोटो चलाती हैं। परिवार की हालत नमक लाने तक की नहीं है। टोटो का पहिया नहीं घूमता तो घर भी नहीं चलता है। घर में 11 माह के बच्चे शुभंकर रॉय के अलावा साढ़े तीन साल का बेटा इंद्रजीत रॉय भी है। चंदना हर दिन अपने बड़े बेटे इंद्रजीत को अपने बीमार ससुर बसंत रॉय के पास घर पर छोड़कर टोटो के साथ बाहर जाती है। उसका छोटा बेटा शुभांकर उसके साथ रहता है। कभी-कभी वह टोटो को सड़क पर ही रोक कर छोटे बच्चे शुभंकर को अपने आंचल का दूध पिलाती है।

पति कमल रॉय की एक साल पहले हो गई थी मौत

चंदना ने कहा कि उसके पति कमल रॉय की एक साल पहले मौत हो गई थी। तबसे चंदना ने सारी जिम्मेदारी ले ली। विधवा होने के बाद भी मुझे कोई भत्ता या सरकारी सुविधाएं नहीं मिल रही है। उसने स्थानीय ग्राम पंचायत प्रशासन से संपर्क किया लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ है। घर में बीमार ससुर हैं, उनके हाथ-पैर नहीं चलते। इसके बाद चंदना ने टोटो को चलाना सीखा और टोटो चलाने लगी । आज टोटो चलाकर अपना परिवार का भरण पोषण कर रही है।

क्या कहते हैं कर्माअध्यक्ष

सिलीगुड़ी महकमा परिषद के कर्माअध्यक्ष किशोरी मोहन सिंह ने कहा, “विधवा भत्ता के लिए द्वारे सरकार में आवेदन करने वाले सभी लोगों को यह मिल गया है। डॉक्युमेंट्स कोई त्रुटि होने पर कुछ लोगों को नहीं मिला है लेकिन चंदना को अब तक विधवा भत्ता क्यों नहीं मिला है। इस मामले की जांच कर कार्रवाई की जायेगी। साथ ही पानीटंकी निवासी चंदना रॉय को जल्द से जल्द विधवा भत्ता दिलाने का प्रयास किया जायेगा।


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