सारस न्यूज, वेब डेस्क।
अगर कुछ अच्छा करने की सोच हो तो बाधाओं के बीच भी रास्ते बनाए जा सकते हैं। इसे साबित किया है सिधवलिया प्रखंड के अपग्रेड मिडिल स्कूल कबीरपुर के शिक्षक अष्टभुजा सिंह ने। स्कूल में काफी संख्या में गरीब बच्चे पढ़ते हैं। जिनके सामने अक्सर कॉपी, किताब व कलम आदि संसाधनों के लिए आर्थिक बाधाएं आती थीं। समस्या को देखकर अष्टभुजा सिंह के दिमाग में वर्ष 2019 के मई महीने में स्कूल में एक चिल्ड्रेन बैंक खोलने की बात आई। जब इस पर उन्होंने चर्चा की तो शिक्षकों व बच्चों ने इस आइडिया की सराहना की। उसी दिन स्कूल के रसोइया सुरेश राय ने अपनी तरफ से 500 रुपए देकर बैंक की शुरुआत की। इसके बाद शिक्षकों व कुछ संपन्न अभिभावकों के सहयोग से करीब दस हजार रुपए जमा हो गए। चिल्ड्रेन बैंक द्वारा बच्चों से 20 रुपए लेकर अधिकतम 200 रुपए तक का लोन दिया जाता है। लोन लेने वाले बच्चे अपने अभिभावक की सहूलियत से पैसा किस्त में या फिर एकमुश्त राशि वापस कर देते हैं। अब तक इस स्कूल में अध्ययनरत 800 बच्चों में से 183 बच्चे लोन लेकर कॉपी, किताब व कलम खरीद कर पढ़ाई कर रहे हैं। बैंक के संचालक शिक्षक अष्टभुजा सिंह कहते हैं कि यह व्यवस्था हर सरकारी स्कूल में होनी चाहिए। जिससे गरीब बच्चों की पढ़ाई में सौ – दो सौ रुपए की आर्थिक बाधा उत्पन्न ना हो।
दोस्त ही गारंटर बनकर दिलाते हैं लोन
चिल्ड्रेन बैंक से लोन दिलाने के लिए स्कूल में साथ में पढ़ रहे दोस्त ही गारंटर बनते हैं। बच्चे ही गारंटर बनकर दोस्त को पढ़ाई के लिए लोन दिलवाते हैं। जिस कारण बच्चे को दिये जानेवाले लोन के डूबने का सवाल ही नहीं पैदा होता है। गारंटर बना बच्चा ही लोन लिए दोस्त को जागरूक कर वापस बैंक में रुपए जमा करा देता है। फिलहाल यह बैंक बच्चों के साथ-साथ शिक्षकों के सहयोग से निर्बाध गति से संचालित हो रहा है।
