ठाकुरगंज से उमराह हज यात्रा पर जाने का सिलसिला जारी है। आगामी 18 सितंबर सोमवार को 25 की संख्या में उमराह हज यात्री ठाकुरगंज से रवाना होंगे। हिंदू धर्म में ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए जिस तरह से चारधाम यात्रा की जाती है ठीक उसी तरह से इस्लाम को मानने वाले मुसलमान उमराह करते हैं और हज पर जाते हैं। इसी क्रम में शुक्रवार को अल बदर संस्था, इस्लामपुर के द्वारा उमराह हज यात्रा जाने से पुर्व उमराह यात्रा में जाने वाले अकीदतमंदों को एम एच आजाद नेशनल कॉलेज ठाकुरगंज के प्रांगण में उमराह में इबादत के तरीके को सिलसिलेवार तरीके से बताया गया। अल बदर संस्था के निदेशक अल्हाज मो गुलजार सकौफी ने बताया कि इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग उमराह करके सुकून पाते हैं। उमराह करने के लिए लोग सऊदी अरब के सबसे पुराने और पवित्र शहर मक्का जाते हैं। एक आम मुसलमान जो आर्थिक रूप से समर्थ है और अल्लाह की इबादत में यकीन रखता है, वह उमराह के लिए जरूर जाता है। उन्होंने कहा कि मक्का की जियारत को उमराह कहा जाता है। उमराह हज का ही एक छोटा रूप है। अल्लाह की इबादत करने और अपने गुनाहों की माफी मांगने के लिए मुसलमान उमराह के लिए जाते हैं। इस्लामिक मान्यता है कि उमराह करने से इंसान को अपने जीवनभर के पापों से मुक्ति मिल जाती है। उमराह के लिए मक्का पहुंचे लोग काबा के चारों तरफ तवाफ करते हैं। जिनका तवाफ पूरा हो जाता है उनका उमराह मुकम्मल माना जाता है। उमराह के दौरान कुरान पढ़ी जाती है और अल्लाह की इबादत सच्चे मन से की जाती है। उन्होंने बताया कि हज और उमराह दोनों के लिए ही मुसलमान सऊदी अरब के सबसे पुराने शहर मक्का जाते हैं। लेकिन उमराह पूरे साल किया जा सकता है लेकिन हज की जियारत का एक निश्चित समय होता है। हज यात्रा इस्मामिक कैलेंडर के आखिरी महीने में की जाती है। इस अवसर पर हाजी इदरीस, मुश्ताक आलम, मो निजामुद्दीन, चेयरमैन अब्दुल रहीम, मीर अनिसुर रहमान, हाफिज मुजम्मिल मदनी, इजहार अशरफ, फखरुल हुदा, मो मुस्तकीम, हाजी अनीस, मो सलीम, फजलुर रहमान आदि लोग मौजुद थे।
सारस न्यूज, किशनगंज।
ठाकुरगंज से उमराह हज यात्रा पर जाने का सिलसिला जारी है। आगामी 18 सितंबर सोमवार को 25 की संख्या में उमराह हज यात्री ठाकुरगंज से रवाना होंगे। हिंदू धर्म में ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए जिस तरह से चारधाम यात्रा की जाती है ठीक उसी तरह से इस्लाम को मानने वाले मुसलमान उमराह करते हैं और हज पर जाते हैं। इसी क्रम में शुक्रवार को अल बदर संस्था, इस्लामपुर के द्वारा उमराह हज यात्रा जाने से पुर्व उमराह यात्रा में जाने वाले अकीदतमंदों को एम एच आजाद नेशनल कॉलेज ठाकुरगंज के प्रांगण में उमराह में इबादत के तरीके को सिलसिलेवार तरीके से बताया गया। अल बदर संस्था के निदेशक अल्हाज मो गुलजार सकौफी ने बताया कि इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग उमराह करके सुकून पाते हैं। उमराह करने के लिए लोग सऊदी अरब के सबसे पुराने और पवित्र शहर मक्का जाते हैं। एक आम मुसलमान जो आर्थिक रूप से समर्थ है और अल्लाह की इबादत में यकीन रखता है, वह उमराह के लिए जरूर जाता है। उन्होंने कहा कि मक्का की जियारत को उमराह कहा जाता है। उमराह हज का ही एक छोटा रूप है। अल्लाह की इबादत करने और अपने गुनाहों की माफी मांगने के लिए मुसलमान उमराह के लिए जाते हैं। इस्लामिक मान्यता है कि उमराह करने से इंसान को अपने जीवनभर के पापों से मुक्ति मिल जाती है। उमराह के लिए मक्का पहुंचे लोग काबा के चारों तरफ तवाफ करते हैं। जिनका तवाफ पूरा हो जाता है उनका उमराह मुकम्मल माना जाता है। उमराह के दौरान कुरान पढ़ी जाती है और अल्लाह की इबादत सच्चे मन से की जाती है। उन्होंने बताया कि हज और उमराह दोनों के लिए ही मुसलमान सऊदी अरब के सबसे पुराने शहर मक्का जाते हैं। लेकिन उमराह पूरे साल किया जा सकता है लेकिन हज की जियारत का एक निश्चित समय होता है। हज यात्रा इस्मामिक कैलेंडर के आखिरी महीने में की जाती है। इस अवसर पर हाजी इदरीस, मुश्ताक आलम, मो निजामुद्दीन, चेयरमैन अब्दुल रहीम, मीर अनिसुर रहमान, हाफिज मुजम्मिल मदनी, इजहार अशरफ, फखरुल हुदा, मो मुस्तकीम, हाजी अनीस, मो सलीम, फजलुर रहमान आदि लोग मौजुद थे।
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