इंदिरा गांधी ने संविधान की प्रस्तावना में जो परिवर्तन करना चाहा कर दिया, सरकार का अधिकार है कानून बनाना, लेकिन अगर वो जनता की आशा के खिलाफ हुआ तो जनता उन्हें समय पर जवाब भी देगी: प्रशांत किशोर।
जन सुराज पदयात्रा के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा कि देश में 75 सालों में कितने साल से मोदी की सरकार है? अभी तो 9 साल ही हुआ है, क्यों घबरा रहे हैं? इंदिरा गांधी की सरकार थी तो उन्होंने संविधान की प्रस्तावना में जो परिवर्तन करना चाहा कर दिया। कई तरह के कानून बने। जो भी सरकार में आता है उसका अधिकार होता है कानून बनाना। लेकिन जनता का भी अधिकार है कि जिस बात पर आपको बहुमत दिया है अगर आप उनके लिए कानून बना रहे हैं वो उनकी आशाओं, अपेक्षाओं और भावनाओं के खिलाफ जाएगा तो जनता फिर उन्हें धरती पर ला देगी। प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि छह महीने बाद चुनाव होंगे। अगर एक नई सरकार चुनकर आ गई तो फिर कह सकती है कि इसका नाम आईएनडीआईए ही रहेगा। आज नहीं तो 5 बरस बाद जो भी सरकार आएगी वो कर सकती है। जनता की क्या भावना है, जनता क्या चाहती है आप और हम मत के द्वारा व्यक्त करते हैं। जो जनप्रतिनिधि पार्लियामेंट में चुन कर जाता है वही लोग तो निर्णय लेंगे। नेता अगर आपकी भावना के अनुरूप निर्णय लेंगे तो जनता आपके साथ खड़ी रहेगी। अगर वो आपकी भावना के अनुरूप निर्णय नहीं लेंगे तो उनको चुनाव हारना पड़ेगा। नई व्यवस्था आएगी उस चीज को करेक्ट कर देगी। आप इसे एक कानून एक निर्णय एक पार्लियामेंट से मत जज कीजिए।
सारस न्यूज, किशनगंज।
जन सुराज पदयात्रा के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा कि देश में 75 सालों में कितने साल से मोदी की सरकार है? अभी तो 9 साल ही हुआ है, क्यों घबरा रहे हैं? इंदिरा गांधी की सरकार थी तो उन्होंने संविधान की प्रस्तावना में जो परिवर्तन करना चाहा कर दिया। कई तरह के कानून बने। जो भी सरकार में आता है उसका अधिकार होता है कानून बनाना। लेकिन जनता का भी अधिकार है कि जिस बात पर आपको बहुमत दिया है अगर आप उनके लिए कानून बना रहे हैं वो उनकी आशाओं, अपेक्षाओं और भावनाओं के खिलाफ जाएगा तो जनता फिर उन्हें धरती पर ला देगी। प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि छह महीने बाद चुनाव होंगे। अगर एक नई सरकार चुनकर आ गई तो फिर कह सकती है कि इसका नाम आईएनडीआईए ही रहेगा। आज नहीं तो 5 बरस बाद जो भी सरकार आएगी वो कर सकती है। जनता की क्या भावना है, जनता क्या चाहती है आप और हम मत के द्वारा व्यक्त करते हैं। जो जनप्रतिनिधि पार्लियामेंट में चुन कर जाता है वही लोग तो निर्णय लेंगे। नेता अगर आपकी भावना के अनुरूप निर्णय लेंगे तो जनता आपके साथ खड़ी रहेगी। अगर वो आपकी भावना के अनुरूप निर्णय नहीं लेंगे तो उनको चुनाव हारना पड़ेगा। नई व्यवस्था आएगी उस चीज को करेक्ट कर देगी। आप इसे एक कानून एक निर्णय एक पार्लियामेंट से मत जज कीजिए।
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