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समेकित बाल विकास परियोजना टेढ़ागाछ में पोषण परामर्श केंद्र का उद्घाटन डीपीओ जया मिश्रा किशनगंज द्वारा की गई।

देवाशीष चटर्जी, सारस न्यूज, बहादुरगंज।

बाल विकास परियोजना टेढ़ागाछ में पोषण अभियान के तहत पोषण माह (1-30 सितंबर 2023) तक संचालित हैं। पोषण परामर्श केंद्र का उद्घाटन डीपीओ किशनगंज की अद्ययक्षता में प्रखंड विकास पदाधिकारी, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी एवं प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी टेढ़ागाछ की उपस्थिति में की गयी। इस मौके पर विशेष तौर पर आई.सी.डी.एस के तहत योजनाओं को ग्रामीण लोगों तक पहुँचाने के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। आँगनबाड़ी केन्द्रों में लोगों को सही पोषण की जानकारी देने के साथ ही उसके प्रति जागरूक भी करवाया जा रहा है। प्रखंड के पोषण परामर्श केंद्र में जहां लोगों को पोषण परामर्श देने के साथ ही अन्य आकर्षक गतिविधियाँ जैसे कि रंगोली, मेहंदी प्रतियोगिता, पोषण थाली आदि आयोजित की गई। साथ में घर-घर पोषण सम्बंधित जानकारी देने के लिए पोषण रथ भी रवाना किया गया। कार्यक्रम में लिपिक अरविंद सिंह,प्रखंड समनव्यक रोहन कुमार मंडल, कार्यपालक सहायक रमेश पासवान, महिला पर्यवेक्षिका इंदु कुमारी, अनिता कुमारी मण्डल, रंजु देवी के साथ ही क्षेत्र की सेविका/सहायिका, एएनएम, आशा, जीविका दीदी एवं स्कूली बच्चे भी उपस्थित रहे।

आयोजित हुई विभिन्न गतिविधियाँ :

पोषण परामर्श केंद्र पर लोगों को जागरूक करने के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया गया। घर-घर पोषण जागरूकता फैलाने के लिए पोषण रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। इसके बाद उपस्थित महिलाओं के साथ मेहंदी प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया, जिसमें महिलाओं के हाथों में मेहंदी लगाई गई जिसमें पोषण के संदेश लिखे गए. परामर्श केंद्र पर विभिन्न खाद्य पदार्थों का उपयोग कर रंगोली भी बनाई गई.

नवजात शिशुओं के लिए उनके पहले हजार दिन महत्वपूर्ण :

इस अवसर पर डीपीओ जया मिश्रा ने कहा कुपोषण पर लगाम लगाने के लिए लोगों का जागरूक होना जरूरी है। लोगों के जागरूकता के लिए जिले में पोषण रथ, परामर्श केंद्र के अलावा विभिन्न गतिविधियाँ आयोजित कर पोषण के संदेश को जन-जन तक पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बच्चे के सही पोषण के लिए उनके पहले हजार दिन महत्वपूर्ण हैं, जिसमें गर्भावस्था के 270 दिन, उसके बाद 2 वर्ष तक लगभग 730 दिन होते हैं। इसी समय बच्चे को सही आहार दिया जाना चाहिए जिससे उसका मस्तिष्क तेजी से विकास कर सके। पौष्टिक आहार के रूप में 6 माह तक बच्चे को केवल मां का दूध एवं उसके बाद ऊपरी आहार दिया जाना चाहिये।

प्रखंड विकास पदाधिकारी टेढ़ागाछ गन्नौर पासवान ने कहा कि हमारे देश की बहुत सी महिलाएं और किशोरी को एनीमिया की शिकायत हैं। गर्भवती महिलाओं के एनीमिया ग्रसित होने का असर उनके होने वाले बच्चों में भी पड़ सकता है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा गर्भवती महिलाओं को आईएफए टेबलेट, कैल्शियम टैबलेट, आयरन की गोलियां दी जाती है। छोटे बच्चों में आयरन की कमी रोकने के लिए सीरप दिया जाता है। छोटे बच्चों में डायरिया की शिकायत होती है जिसके लिए ओआरएस घोल दिया जाता है। डायरिया की स्थिति में भी बच्चों का स्तनपान करना बंद नहीं करना चाहिए। उन्होंने पोषण के साथ ही स्वच्छता को भी स्वास्थ्य रहने के लिए महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि लोगों को हाथ सफाई को बच्चों की आदत में शामिल करना चाहिए।

सीडीपीओ निशा कुमारी ने कहा कि कुपोषण से बचने के लिए किसी भी व्यक्ति के आहार में पोषक तत्वों की सही मात्रा होनी चाहिए।भोजन में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन और खनिज सहित पर्याप्त पोषक तत्वों का सेवन करना चाहिये। आँगनबाड़ी केन्द्रों में शिशुओं के लिए स्वादिष्ट व पौष्टिक पोषाहार का वितरण कराया जाता है। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं व धात्री महिलाओं को भी पौष्टिक आहार दिया जाता है, ताकि कोख में पलने वाला बच्चा कुपोषण का शिकार न हो सके।

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