भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र के गलगलिया में पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्ल्लाहु अलैही वस्ल्लम की पैदाइश का जश्न पूरी अकीदत और एहतराम के साथ मनाया जा रहा है। ईद-मिलाद-उन- नबी पर गलगलिया में जगह-जगह से जुलूस निकाले गए। वहीं जुलूस में सांप्रदायिक सौहार्द, सद्भाव और एकता की मिसाल पेश करते हुए भातगाँव पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि बृजमोहन सिंह उर्फ मुन्ना सिंह, पंसस मनोज गिरी, पूर्व उपसरपंच मुरारी सहनी सहित अन्य लोग शामिल हुए। ‘सरकार की आमद मरहबा, दिलदार की आमद मरहबा…’ के नारों से पूरी फिजा गुलजार हो उठी। जुलूस में लोगों ने नातिया कलाम के साथ ही पैगंबर-ए-इस्लाम के नारे बुलंद करते हुए भातगाँव से शुरू कर लकड़ी डिपो, ठीका टोली, घोषपाड़ा गलगलिया बाजार से होते हुए बसस्टैंड तक गये। इस दौरान उलेमाओं ने हजरत मोहम्मद के उपदेशों पर प्रकाश डालते हुए लोगों को उनके बताए रास्ते पर चलने की नसीहत दी। बताया गया कि हजरत मोहम्मद साहेब किसी जाति विशेष के लिए नहीं आए बल्कि पूरी दुनिया के लिए रहनुमा बनकर तशरीफ लाए और अमन व शांति का पैगाम दिया। उनके आने के बाद दुनिया की बुराइयों पर अंकुश लगा। सभी कौम को नेकी करने का संदेश दिया। वहीं जुलूस के दौरान गलगलिया पुलिस द्वारा सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए गए थे। मनचले व आवारा किस्म के लोगों से निपटने के लिए खुद थानाध्यक्ष खुशबू कुमारी चप्पे -चप्पे पर नजर बनाई हुई थी। मुहम्मद साहब को याद करते हुए लोगों ने एक दूसरे से गले मिलकर बरावफात की बधाईयां भी दी। बड़े, बुजुर्ग, नौजवान और बच्चे पूरी अकीदत से जुलूस में शामिल हुए। फिजा में इत्र और फूलों की खुश्बू के साथ नबी का जिक्र गूंज रहा था। हाथों में इस्लामी झंडा लिए बड़े, बुजुर्ग और बच्चे सभी नबी की आमद का पैगाम दे रहे थे।
जुलूस के दौरान सुरक्षा में तैनात थानाध्यक्ष व अन्य पुलिसकर्मी।
विजय कुमार गुप्ता, सारस न्यूज, गलगलिया।
भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र के गलगलिया में पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्ल्लाहु अलैही वस्ल्लम की पैदाइश का जश्न पूरी अकीदत और एहतराम के साथ मनाया जा रहा है। ईद-मिलाद-उन- नबी पर गलगलिया में जगह-जगह से जुलूस निकाले गए। वहीं जुलूस में सांप्रदायिक सौहार्द, सद्भाव और एकता की मिसाल पेश करते हुए भातगाँव पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि बृजमोहन सिंह उर्फ मुन्ना सिंह, पंसस मनोज गिरी, पूर्व उपसरपंच मुरारी सहनी सहित अन्य लोग शामिल हुए। ‘सरकार की आमद मरहबा, दिलदार की आमद मरहबा…’ के नारों से पूरी फिजा गुलजार हो उठी। जुलूस में लोगों ने नातिया कलाम के साथ ही पैगंबर-ए-इस्लाम के नारे बुलंद करते हुए भातगाँव से शुरू कर लकड़ी डिपो, ठीका टोली, घोषपाड़ा गलगलिया बाजार से होते हुए बसस्टैंड तक गये। इस दौरान उलेमाओं ने हजरत मोहम्मद के उपदेशों पर प्रकाश डालते हुए लोगों को उनके बताए रास्ते पर चलने की नसीहत दी। बताया गया कि हजरत मोहम्मद साहेब किसी जाति विशेष के लिए नहीं आए बल्कि पूरी दुनिया के लिए रहनुमा बनकर तशरीफ लाए और अमन व शांति का पैगाम दिया। उनके आने के बाद दुनिया की बुराइयों पर अंकुश लगा। सभी कौम को नेकी करने का संदेश दिया। वहीं जुलूस के दौरान गलगलिया पुलिस द्वारा सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए गए थे। मनचले व आवारा किस्म के लोगों से निपटने के लिए खुद थानाध्यक्ष खुशबू कुमारी चप्पे -चप्पे पर नजर बनाई हुई थी। मुहम्मद साहब को याद करते हुए लोगों ने एक दूसरे से गले मिलकर बरावफात की बधाईयां भी दी। बड़े, बुजुर्ग, नौजवान और बच्चे पूरी अकीदत से जुलूस में शामिल हुए। फिजा में इत्र और फूलों की खुश्बू के साथ नबी का जिक्र गूंज रहा था। हाथों में इस्लामी झंडा लिए बड़े, बुजुर्ग और बच्चे सभी नबी की आमद का पैगाम दे रहे थे।
जुलूस के दौरान सुरक्षा में तैनात थानाध्यक्ष व अन्य पुलिसकर्मी।