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ईश्वर के स्वरूप को जाने बिना दिशाहीन होती है भक्ति:कृष्णदेव बाबा।

सारस न्यूज, किशनगंज।

टेढ़ागाछ प्रखंड अंतर्गत चिल्हनियां पंचायत स्थित  देवरी में मंगलवार को एक दिवसीय संतमत सत्संग का आयोजन भक्तिमय वातावरण में सम्पन हो गया। इस संतमत सत्संग कार्यक्रम का आयोजन संत सेवानिवृत शिक्षक स्वर्गीय भदाई बहरदार के पुण्य तिथि व बरसी के अवसर पर किया गया। मंगलवार को प्रातः कालीन सत्संग के साथ आरंभ होकर संध्या कालीन सत्संग के साथ सम्पन हो गया। इस सत्संग के प्रथम चरण प्रातः कालीन व द्वतीय चरण संध्या कालीन सत्संग में महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के शिष्य बाबा कृष्णदेव जी महाराज ने ईश्वर के स्वरुपों के बारे में बताया कि ईश्वर के स्वरूप को जाने बिना दिशाहीन होती है भक्ति। सत्संग से भगवान के रूप का होता है दर्शन।उन्होंने बताया संसार में जितने भी प्राणी हैं, सभी परमात्मा के अंश हैं। सत्संग के माध्यम से ईश्वर स्वरूप का दर्शन होता है। मनुष्य के कल्याण के लिए सत्संग बहुत जरूरी है। संत महात्मा मनुष्य के कल्याण के लिए आते हैं। संतों का ज्ञान अगाध समुद्र की तरह है। संत और भगवंत शरणागत को त्याग नहीं देते। वे शरणागत को बीच राह में नहीं छोड़ देते। उसे स्वयं समर्थ बनने तक वे सहारा देते रहते हैं। साधना और ध्यान के माध्यम से मन पर विजय पाया जा सकता है। जिस प्रकार पानी का बहाव ढलान की ओर बढ़ता है, ठीक उसी प्रकार मन का बहाव भी निचले संसार की ओर बढ़ता है। मन को वश में करने के लिए संयम चाहिए। संयम के लिए आसन और प्राणायाम जरूरी है।

इस सत्संग में महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के विभिन्न संतमत सत्संग मंदिर से संतमत के वरिष्ठ महात्मागण तथा अन्य विद्वान साधु संत पधारे हैं। इस मौके पर समाज से भारी की संख्या में सत्संग प्रेमी व श्रद्धालु पहुंचे थे।

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