विजय गुप्ता, सारस न्यूज़, गलगलिया।
आओ हम मनमीत लिखें
कुछ नये वर्ष के गीत लिखें।
कुछ घाव लिखें बीते कल के
कुछ आगत कल की प्रीत लिखें।।
जो भूल गए जीवन पथ पर
यादों की वो रीत लिखें।
जो हारे नही हो जीवन से
अपने मन की वो जीत लिखें।।
जीवन के अधूरे ख्वाब लिखें
अपने कर्मो का हिसाब लिखें।
जो पुलकित कर दे हर दिल को
प्रीत की ऐसी किताब लिखें।।
नफरत को ना मिले जगह
प्रेम ही प्रेम बेहिसाब लिखें।
मिटे बैर सभी दिल के
रिश्तों की डोर नायब लिखें।।
नये वर्ष में सब मिलकर
मानवता की पहचान बनें।
ना जात – पात,ना धर्म भेद हो
बने तो बस इंसान बने।।
बिंदु अग्रवाल
