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बैंड-बाजा व बरात की मचेगी धूम, 2024 में शादी-विवाह के 72 मुहूर्त, 15 को खत्म होगा खरमास, फिर गूंजेगी शहनाई।

सारस न्यूज, अररिया।

खरमास रहने के कारण एक माह तक मांगलिक कार्यों पर लगा रहा विराम

  • 2024 के मई व जून माह में इस बार नहीं है लग्न

    शास्त्रों में शादी-विवाह के लिए शुभ मुहूर्त का होना बड़ा महत्वपूर्ण होता है। वैवाहिक बंधन को सबसे पवित्र रिश्ता माना गया है। इसलिए इसमें शुभ मुहूर्त का होना जरूरी है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शादी के शुभ योग के लिए बृहस्पति, शुक्र और सूर्य का शुभ होना जरूरी है। रवि गुरु का संयोग सिद्धिदायक और शुभफलदायी होते हैं। इन तिथियों पर शादी-विवाह को बेहद शुभ माना गया है।
    मंगलवार 16 जनवरी से बैंड-बाजा के साथ बराती एक बार फिर से थिरकने लगेंगे। ज्ञात हो कि 15 जनवरी को एक महीना का खरमास खत्म होने जा रहा है। 2024 में शादी-विवाह के कुल 72 लग्न होगें। शादी-विवाह का पहला लग्न 16 जनवरी को है। इसके बाद अगले चार माह 25 अप्रैल तक लगातार लग्न है। इस बीच कुल 44 लग्न हैं। लेकिन मई व जून माह में इस बार लग्न नहीं है। जबकि इसके बाद शेष लग्न है। ऐसे लग्न की उपलब्धता के कारण नये साल में ज्यादातर शादियां अप्रैल तक ही होंगी। वहीं, जुलाई में केवल आठ लग्न हैं। इसके बाद तीन माह के अंतराल के बाद नवंबर व दिसंबर में कुल 16 लग्न है। रामपुर कोदरकट्टी निवासी आचार्य पंडित शिवादित्य पांडेय ने बताया कि शनिवार 16 दिसंबर 2023 से लेकर साल में 15 जनवरी 2024 तक खरमास चल रहा है। सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही खरमास समाप्त हो जायेगा। इसके बाद से हिंदुओं के सभी शुभ कार्य शुरू हो जायेंगे।
  • 17 से शुरू होगा नये साल का वैवाहिक मुहूर्त

आचार्य पंडित शिवादित्य पांडेय ने बताया कि सूर्य के धनुराशि से मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही महीने भर से चला आ रहा खरमास 15 जनवरी को समाप्त हो जायेगा। खरमास के समापन के साथ ही मांगलिक कार्य का सिलसिला आरंभ हो जायेगा। उनके अनुसार पिछले वर्ष के मुकाबले इस साल मलमास होने के कारण वैवाहिक शुभ मुहूर्त की संख्या कम होगी। उन्होंने कहा कि 16 जनवरी से लेकर 12 मार्च तक कुल 38 वैवाहिक शुभ लग्न है।

  • 13 जुलाई से चार माह नहीं होंगे वैवाहिक कार्य

पंडित के अनुसार इस साल 13 जुलाई में वैवाहिक या मांगलिक शुभ कार्य नहीं हो पायेगा, क्योंकि 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी पड़ रहा है। इस दिन भगवान विष्णु शयन के लिए क्षीरसागर में चले जाते हैं। इस दौरान सावन, भाद्रपद, आश्विन व कार्तिक मास इन चार मास में श्रीहरि के शयन के बाद सभी प्रकार के शुभ कार्य पर रोक लग जाता है।

  • विवाह के शुभ मुहूर्त

बनारसी पंचाग के अनुसार

जनवरीः 16, 17, 18, 20, 21, 22, 27, 29, 30, 31

फरवरी: 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 12, 13, 14, 17, 18, 19, 23, 24, 25, 26, 27

मार्च: 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 11, 12

  • मिथिला पंचांग के अनुसार

जनवरीः 17, 18, 21, 22, 31

फरवरी: 1, 4, 5, 7, 15, 18, 19, 25, 26, 28

मार्च: 3, 4, 6, 7, 8, 10, 11

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