राहुल कुमार, सारस न्यूज, किशनगंज।
अस्पतालों के प्रसव वार्ड में कार्यरत एएनएम,जीएनएम को दिया गया एसबीए का प्रशिक्षण।
जिले में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देकर मातृ-शिशु मृत्यु दर के मामलों में कमी लाने के लिये जरूरी प्रयास किया जा रहा है। मातृ-शिशु मृत्यु के मामलों में कमी लाने के लिये प्रसव वार्ड में कार्यरत कर्मियों का कुशल व दक्ष होना जरूरी है। लिहाजा कर्मियों को जरूरी प्रशिक्षण देकर उनके कौशल विकास के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग द्वारा जरूरी पहल की जा रही है। प्रसव वार्ड में कार्यरत कर्मियों के लिये सदर अस्पताल सभागार में 21 दिवसीय एसबीए यानी स्किल्ड बर्थ अटेनडेंट प्रशिक्षण उपरान्त प्रमाणपत्र वितरण प्रभारी सिविल सर्जन डॉ मंजर आलम के द्वारा किया गया । विदित हो कि यह प्रशिक्षण 21 जनवरी से 03 फरवरी तक कुल 12, प्रतिभागियों जिसमे सभी प्रखंड से एक एएनएम एवं सदर अस्पताल से 06 जीएनएम को दिया गया है। प्रमाण पत्र वितरण कार्यक्रम में एनसीडीओ डॉ उर्मिला कुमारी, डिपीएम डॉ मुनाजिम, डीडीए सुमन सिंह भी उपस्थित रहे।
कुशल कर्मियों की देखरेख में प्रसव जरूरी-
प्रभारी सिविल सर्जन डॉ मंजर आलम ने बताया कि एसबीए प्रशिक्षण के दौरान कर्मियों को प्रसव संबंधी जटिलताओं को लेकर थ्योरी व प्रैक्टिकल दोनों माध्यम से प्रशिक्षित किया जाता है। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य मातृ-मृत्यु दर के मामलों में कमी लाना है। जो तभी संभव है जब गर्भवती महिला संस्थागत प्रसव के महत्व को समझते हुए सुरक्षित प्रसव के लिये स्किल्ड बर्थ अटेंडेंट की सेवाओं को प्राथमिकता दे। वरीय चिकित्सक जीतेंद्र प्रसाद ने बताया कि प्रशिक्षण में प्रसव पूर्व देखभाल, सामान्य गर्भावस्था, प्रसव व प्रसव के बाद की अवधि का कुशल प्रबंधन नवजात शिशु की देखभाल संबंधी तकनीकों से स्वास्थ्य कर्मियों को अवगत कराते हुए उन्हें ज्यादा दक्ष व योग्य बनाने की पहल की जा रही है।
प्रसव संबंधी जटिलताओं का कुशल प्रबंधन जरूरी-
प्रशिक्षण कार्यक्रम में उपस्थित गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ उर्मिला कुमारी ने बताया कि मातृ-शिशु मृत्यु के मामलों में कमी लाने व संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने में स्टाफ नर्स, एएनएम, की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। ताकि प्रसव संबंधी जटिल मामलों का समय पर प्रबंधन किया जा सके। प्रशिक्षुओं को प्रसव के दौरान एनीमिया प्रबंधन, पीपीएच प्रबंधन, एंक्लैप्सिया यानी अधिक बीपी की वजह से प्रसव पूर्व या बाद में गर्भवती को दौरा पड़ने जैसी शिकायतों से निपटने के लिये जरूरी प्रशिक्षण दिया गया है। सीनियर स्टाफ नर्स मनीषा कुमारी ने बताया कि प्रशिक्षण में प्री व पोस्ट नेटल केयर के साथ आवश्यक नवजात शिशु देखभाल, किसी तरह के संक्रमण की रोकथाम व बायोमेडिकल अपशिष्ट प्रबंधन संबंधी विषयों पर कर्मियों को प्रशिक्षित करना कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है।
कर्मियों को दक्ष व योग्य बनाने की है पहल –
प्रभारी सिविल सर्जन डॉ मंजर आलम ने बताया कि प्रसव सेवाओं को बेहतर व विश्वसनीय बनाने के लिये विभिन्न स्वास्थ्य संस्थान के प्रसव वार्ड में कार्यरत कर्मियों को जरूरी प्रशिक्षण देकर उन्हें दक्ष व योग्य बनाना प्रशिक्षण का उद्देश्य है। ताकि जिले में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देते हुए मातृ-शिशु मृत्यु के मामलों पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित की जा सके।
