विजय गुप्ता, सारस न्यूज, गलगलिया।
भारत के पड़ोसी राष्ट्र नेपाल के नारायणहिटी पैलेस में हुए नरसंहार को 23 साल हो गए हैं। 01 जून 2001 की शाम को तत्कालीन राजा बीरेंद्र शाह की महल के अंदर हत्या कर दी गई थी। यह घटना शुक्रवार शाम को एक पारिवारिक समारोह के दौरान हुई। इस घटना में राजा बीरेंद्र के साथ रानी ऐश्वर्या, राजकुमार दीपेंद्र, राजकुमार नीराजन और राजकुमारी श्रुति की मौत हो गई। इसी प्रकार राजा के भाई धीरेन्द्र, राजकुमारी जयंती, राजकुमारी शांति, राजकुमारी शारदा तथा कुमार खड्गविक्रम भी मारे गए। हत्या के बाद सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश केशव प्रसाद उपाध्याय के समन्वय में एक उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया गया था। समिति के एक सदस्य, तत्कालीन अध्यक्ष तारानाथ राणाभट ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की। जिसके अनुसार क्राउन प्रिंस दीपेंद्र ने परिवार के सदस्यों को गोली मार दी और अंत में खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली।
समिति ने निष्कर्ष निकाला कि ‘चूँकि वह अपनी पसंद की लड़की से शादी नहीं कर सका, इसलिए उसने ड्रग्स लेकर शाही परिवार के सदस्यों को मार डाला और आत्महत्या भी कर ली। इस रिपोर्ट पर ज्यादातर नेपालियों को यकीन नहीं हुआ है। कड़ी सुरक्षा वाले शाही महल में हुई हत्या अभी भी रहस्य में डूबी हुई है।
एक उदार राजा की छवि बनाने वाले बीरेंद्र के के बाद नेपाल में राजशाही ज्यादा समय तक नहीं टिकी। उनकी मृत्यु के बाद उनके भाई ज्ञानेंद्र शाह, जो गद्दी पर बैठे, राजशाही को नहीं बचा सके। सन 2005/06 के जनआंदोलन के माध्यम से बहाल की गई संसद ने राजा से उसकी सभी शक्तियां छीन ली। 2008 में गणतंत्र की स्थापना के साथ ही देश में राजशाही समाप्त हो गई। दरबार हत्याकांड के बाद नारायणहिटी राजदरबार को एक संग्रहालय में बदल दिया गया है।