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सही जानकारी ही डेंगू से बचाव का मुख्य उपाय।

राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।

मच्छर जनित रोगों में डेंगू अति गंभीर रोगों की श्रेणी में आता है। बरसात के मौसम में इस बीमारी का प्रकोप बढ़ जाता है। गर्मी के बाद बारिश के मौसम में डेंगू के मरीजों में बढ़ोतरी होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए डेंगू से बचाव के प्रति जागरूक रहना भी जरूरी है । जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. मंजर आलम ने बताया कि में आम लोगों के बीच सटीक जानकारी नहीं होने के कारण उनके लिए डेंगू बीमारी ख़तरनाक साबित हो सकता है। यदि इसके विषय में आम लोगों को पूरी जानकारी दी जाए तो लोगों के मन से डेंगू का भय ख़त्म हो सकता है। उन्होंने बताया कि ऐडीज नामक मच्छर के काटने से डेंगू बुखार होता है। यह मच्छर साफ़ पानी में पनपता है जो ज़्यादातर दिन में ही काटता है। डेंगू को हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता है। 3 से 7 दिन तक लगातार बुखार, तेज सर में दर्द, पैरों के जोड़ों मे तेज दर्द, आँख के पीछे तेज दर्द, चक्कर एवं उल्टी, शरीर पर लाल धब्बे आना एवं कुछ मामलों में आंतरिक एवं बाह्य रक्त स्त्राव होना डेंगू के लक्ष्ण में शामिल है। डेंगू का कोई सटीक ईलाज तो उपलब्ध नहीं है पर कुशल प्रबंधन एवं चिकित्सकों की निगरानी से डेंगू को जानलेवा होने से बचाया जा सकत है। इसलिए जरुरी है कि डेंगू के लक्ष्ण दिखाई देने पर चिकित्सकीय सलाह ली जाए। डेंगू के लक्ष्ण दिखाई देने पर बिना चिकित्सकीय सलाह के बुखार की दवा खाना ख़तरनाक हो सकता है।

केवल 1 प्रतिशत डेंगू ही जान लेवा।

सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया कि डेंगू मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं। साधारण डेंगू, डेंगू हैमरेजिक बुखार एवं डेंगू शॉक सिंड्रोम। ज़्यादातर लोगों को साधारण डेंगू ही होता है जो कुछ परहेज करने से ठीक हो जाता है। डेंगू हैमरेजिक बुखार एवं डेंगू शॉक सिंड्रोम गंभीर श्रेणी मे आते हैं। यदि इनका शीघ्र ईलाज शुरू नहीं किया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकता है। डेंगू हैमरेजिक बुखार एवं डेंगू शॉक सिंड्रोम में मरीजों के उपचार के लिए रक्तचाप एवं शरीर में खून के स्त्राव का निरीक्षण करना जरुरी होता है। राष्ट्रीय वेक्टर बोर्न रोग नियंत्रण विभाग के अनुसार 1 प्रतिशत डेंगू ही जानलेवा है, लेकिन बेहतर प्रबंधन के आभाव में डेंगू 50 प्रतिशत तक ख़तरनाक हो सकता है।

ऐसे करें डेंगू से बचाव।


:- आस-पास साफ़-सफाई रखें एवं घर में पानी जमा होने ना दें।
:- सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें।
:- बच्चों को फुल आस्तीन की कमीज एवं फुल पैंट पहनाए।
:- वाटर कूलर या नल के पास पानी जमा नहीं होने दें।

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