सारस न्यूज, अररिया।
आज से भारत आपराधिक न्याय के एक नये युग की शुरुआत होने जा रही है। 01 जुलाई से देश में आइपीसी-सीआरपीसी व भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह तीन नये कानून भारतीय न्याय संहिता भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता व भारतीय साक्ष्य अधिनिमय लागू हो रहे हैं। नये कानून से उम्मीद है कि मुकदमे जल्दी निपटेंगे व तारीख पर तारीख के दिन लद जायेंगे। इसको लेकर जिले के सभी 26 थाना में सोमवार 01 जुलाई को एक सभा का आयोजन किया गया। जिसमें सभी तबके के लोगों को आने की छूट थी। साथ ही वरीय पदाधिकारी द्वारा सभी जनता दरबार में नये कानून को लेकर जानकारी दी गई। नये कानून के तहत बदली गई धाराओं के अंतर्गत जिले के सभी थानों में जनता दरबार लगाया गया। लोगों को धाराओं में हुए बदलाव के साथ नई धाराओं में सजा का प्रविधान होगा आदि की जानकारी दी गई। वहीं नगर थाना परिसर में आयोजित सभा में एसपी अमित रंजन स्वयं मौजूद थे व जनप्रतिनिधियों द्वारा पूछे गये सभी सवालों का जवाब उन्होंने सबको दिया। इधर एसपी अमित रंजन ने जानकारी देते हुए बताया कि एक जुलाई से लागू हो रहे आपराधिक प्रक्रिया तय करने वाले तीन नये कानूनों में त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए एफआइआर से लेकर फैसले तक को समय सीमा में बांधा गया है। आपराधिक ट्रायल को गति देने के लिए नये कानून में 35 जगह टाइम लाइन जोड़ी गई है। बताया गया कि शिकायत मिलने पर एफआइआर दर्ज करने, जांच पूरी करने, अदालत के संज्ञान लेने, दस्तावेज दाखिल करने व ट्रायल पूरा होने के बाद फैसला सुनाने तक की समय सीमा तय है।
- पुलिस अधिकारियों ने लोगों को दी विस्तृत जानकारी
एसपी अमित रंजन के निर्देश पर जिले के विभिन्न थानों में एएसपी व एसडीपीओ, मुख्यालय डीएसपी, प्रशिक्षु डीएसपी सहित संबंधित थाना के थानाध्यक्ष व स्थानीय थाना के पुलिस कर्मी सम्मलित रहे। नगर थाना में आयोजित जनता दरबार में एसपी अमित रंजन ने नये कानून के तहत किये गये महत्वपूर्ण बदलावों के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
- नये कानून से मुकदमे जल्दी निपटेंगे
नये कानून में आधुनिक तकनीक का भरपूर इस्तेमाल व इलेक्ट्रानिक साक्ष्यों को कानून का हिस्सा बनाने से मुकदमों के जल्दी निपटारे का रास्ता आसान हुआ है। शिकायत, सम्मन व गवाही की प्रक्रिया में इलेक्ट्रानिक माध्यमों के इस्तेमाल से न्याय की रफ्तार तेज होगी।
- तीन दिन के अंदर एफआइआर होगी दर्ज
मालूम हो कि आपराधिक मुकदमे की शुरुआत एफआइआर से होती है। नये कानून में तय समय सीमा में एफआइआर दर्ज करना व उसे अदालत तक पहुंचाना सुनिश्चित किया गया है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) में व्यवस्था है कि शिकायत मिलने पर तीन दिन के अंदर एफआइआर दर्ज करनी होगी। 03 से 07 साल की सजा के केस में 14 दिन में प्रारंभिक जांच पूरी करके एफआइआर दर्ज की जायेगी। 24 घंटे में तलाशी रिपोर्ट के बाद उसे न्यायालय के समक्ष पेश किया जायेगा।
- नये कानून में आरोप पत्र की भी टाइम लाइन तय
दुष्कर्म के मामले में 07 दिन के भीतर पीड़िता की चिकित्सक रिपोर्ट पुलिस थाने व न्यायालय भेजी जायेगी। 30 जुलाई तक लागू सीआरपीसी में इसकी कोई समय सीमा तय नहीं थी। नये कानून में आरोप पत्र की भी टाइम लाइन तय है। आरोप पत्र दाखिल करने के लिए पहले की तरह 60 व 90 दिन का समय तो है। लेकिन 90 दिन के बाद जांच जारी रखने के लिए कोर्ट से इजाजत लेनी होगी व जांच को 180 दिन से ज्यादा लंबित नहीं रखा जा सकता है। 180 दिन में आरोप पत्र दाखिल करना होगा। मजिस्ट्रेट 14 दिन के भीतर केस का संज्ञान लेंगे। केस ज्यादा से ज्यादा 120 दिनों में ट्रायल पर आ जाये। इसके लिए कई काम किये गये हैं। प्ली बार्गेनिंग का भी समय तय है। यदि आरोप तय होने के 30 दिन के भीतर आरोपी गुनाह स्वीकार कर लेता है तो सजा कम होगी। ट्रायल पूरा होने के बाद न्यायलय 30 दिन में फैसला सुनायेंगे।
- 511 में से रह गईं सिर्फ 358 धाराएं
पुलिस अधिकारियों से मिली जानकारी अनुसार पहले आइपीसी एक्ट के तहत 511 धाराएं थीं। जो अब 358 रह गई हैं। उन्होंने बताया कि अब न्याय प्रणाली में तेजी आयेगी। महिलाओं पर होने वाले उत्पीड़न के दृष्टिगत कानून सख्त किये गये हैं। महिलाओं का उत्पीड़न रोकने के लिए कई नये धाराएं भी बनाई गई हैं।
- अब बहला-फुसलाकर ले जाने पर दर्ज होगा मुकदमा
बताया गया कि विवाहित महिलाओं को बहला-फुसलाकर ले जाने पर अब नई धारा-84 के तहत मामला दर्ज होगा। इतना ही नहीं इस धारा के तहत मामला दर्ज होने पर 02 साल की सजा का प्रावधान है।
- दूसरी शादी करने पर होगी सात साल की सजा
यदि पहली शादी होते हुए कोई कपटपूर्वक किसी महिला से शादी करता है या पत्नी के जिंदा रहते हुए दूसरी शादी करता है तो ऐसे मामलों में 07 साल की सजा हो सकती है। किसी के अपहरण, डकैती, हत्या, साइबर अपराध, अवैध माल की सप्लाई आदि के लिए संगठित अपराध के लिए नई धारा बनाई गई है। अब 111 के तहत मामला दर्ज होगा। इसमें 05 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।
- क्या है नये कानून में
मॉब लिंचिंग के मामले में आजीवन कारावास या मौत की सजा
पीड़ित कहीं भी दर्ज करा सकेंगे एफआइआर, जांच की प्रगति रिपोर्ट भी मिलेगी
राज्य को एक तरफा केस वापस लेने का अधिकार नहीं, पीड़ित का पक्ष सुना जायेगा
तकनीक के इस्तेमाल पर जोर, एफआइआर, केस डायरी, चार्जशीट, जजमेंट सभी होंगे डिजिटल
तलाशी व जब्ती में ऑडियो वीडियो रिकार्डिंग अनिवार्य
गवाहों के लिए ऑडियो वीडियो से बयान रिकार्ड कराने का विकल्प
सात साल या उससे अधिक सजा के अपराध में फारेंसिक विशेषज्ञ द्वारा सबूत जुटाना अनिवार्य
छोटे-मोटे अपराधों में जल्द निपटारे के लिए समरी ट्रायल (छोटी प्रक्रिया में निपटारा) का प्रविधान
पहली बार के अपराधी के ट्रायल के दौरान एक तिहाई सजा काटने पर मिलेगी जमानत
भगोड़े अपराधियों की संपत्ति होगी जब्त
इलेक्ट्रानिक डिजिटल रिकार्ड माने जायेंगे साक्ष्य
भगोड़े अपराधियों की अनुपस्थिति में भी चलेगा मुकदमा