स्थानीय साहित्यिक संस्था इंद्रधनुष साहित्य परिषद द्वारा स्थानीय प्रोफेसर कॉलोनी स्थित पीडब्लूडी प्रांगण में मांगण मिश्र मार्तंड की अध्यक्षता व विनोद कुमार तिवारी के सफल संचालन में एक कार्यक्रम का आयोजन कर कथा सम्राट प्रेमचंद की जयंती समारोहपूर्वक मनाई गई। इस मौके पर मौजूद साहित्यकारों, साहित्य प्रेमियों व गणमान्य लोगों ने सर्वप्रथम कथा सम्राट प्रेमचंद की तस्वीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए और उनके जीवनी व लेखनी पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला।
इस मौके पर बाल साहित्यकार हेमंत यादव, परितोष कुमार, हरिनंदन मेहता, मांगण मिश्र मार्तंड, विनोद कुमार तिवारी, रघुनंदन मंडल, सुनील दास सहित अन्य वक्ताओं ने प्रेमचंद के व्यक्तित्व व कृतित्व के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि प्रेमचंद ऐसे साहित्यकार थे जिनके हृदय में व्यक्ति, समाज और देश तीनों विराजते थे। वे एक महान मानवतावादी साहित्यकार थे। प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को काशी के लमही नामक गांव में हुआ था। प्रेमचंद का वास्तविक नाम धनपत राय था।
प्रेमचंद ने विपुल साहित्य सृजन किया था। उनके साहित्य सृजन को देखकर बांग्ला के मशहूर साहित्यकार शरत् चंद्र चट्टोपाध्याय ने उन्हें कथा सम्राट कहकर संबोधित किया था। वे ऐसे साहित्यकार थे जो साहित्यकार होने के साथ-साथ स्वतंत्रता सेनानी भी थे। प्रेमचंद की कहानियों में हमें स्वतंत्रता पूर्व के ग्राम्य जीवन की सच्चाई मिलती है। प्रेमचंद ने लगभग तीन सौ कहानियां और चौदह उपन्यास लिखे हैं। गोदान, सेवा सदन, कर्मभूमि, निर्मला, रंगभूमि, वरदान आदि उनके प्रमुख उपन्यास हैं। प्रेमचंद का निधन 18 अक्टूबर 1936 को हुआ।
कार्यक्रम में मौजूद जवाहर साह ने अपने मधुर आवाज में देशभक्ति के गीत गाकर मौजूद साहित्यकारों व गणमान्य लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर मुख्य रूप से शिव नारायण चौधरी, पलकधारी मंडल, अशोक यादव, श्यामानंद यादव, शिवराम साह, मनीष तिवारी, सीताराम बिहारी सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।
सारस न्यूज़, अररिया।
जयंती समारोह में मौजूद साहित्यकार और गणमान्य लोग
स्थानीय साहित्यिक संस्था इंद्रधनुष साहित्य परिषद द्वारा स्थानीय प्रोफेसर कॉलोनी स्थित पीडब्लूडी प्रांगण में मांगण मिश्र मार्तंड की अध्यक्षता व विनोद कुमार तिवारी के सफल संचालन में एक कार्यक्रम का आयोजन कर कथा सम्राट प्रेमचंद की जयंती समारोहपूर्वक मनाई गई। इस मौके पर मौजूद साहित्यकारों, साहित्य प्रेमियों व गणमान्य लोगों ने सर्वप्रथम कथा सम्राट प्रेमचंद की तस्वीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए और उनके जीवनी व लेखनी पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला।
इस मौके पर बाल साहित्यकार हेमंत यादव, परितोष कुमार, हरिनंदन मेहता, मांगण मिश्र मार्तंड, विनोद कुमार तिवारी, रघुनंदन मंडल, सुनील दास सहित अन्य वक्ताओं ने प्रेमचंद के व्यक्तित्व व कृतित्व के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि प्रेमचंद ऐसे साहित्यकार थे जिनके हृदय में व्यक्ति, समाज और देश तीनों विराजते थे। वे एक महान मानवतावादी साहित्यकार थे। प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को काशी के लमही नामक गांव में हुआ था। प्रेमचंद का वास्तविक नाम धनपत राय था।
प्रेमचंद ने विपुल साहित्य सृजन किया था। उनके साहित्य सृजन को देखकर बांग्ला के मशहूर साहित्यकार शरत् चंद्र चट्टोपाध्याय ने उन्हें कथा सम्राट कहकर संबोधित किया था। वे ऐसे साहित्यकार थे जो साहित्यकार होने के साथ-साथ स्वतंत्रता सेनानी भी थे। प्रेमचंद की कहानियों में हमें स्वतंत्रता पूर्व के ग्राम्य जीवन की सच्चाई मिलती है। प्रेमचंद ने लगभग तीन सौ कहानियां और चौदह उपन्यास लिखे हैं। गोदान, सेवा सदन, कर्मभूमि, निर्मला, रंगभूमि, वरदान आदि उनके प्रमुख उपन्यास हैं। प्रेमचंद का निधन 18 अक्टूबर 1936 को हुआ।
कार्यक्रम में मौजूद जवाहर साह ने अपने मधुर आवाज में देशभक्ति के गीत गाकर मौजूद साहित्यकारों व गणमान्य लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर मुख्य रूप से शिव नारायण चौधरी, पलकधारी मंडल, अशोक यादव, श्यामानंद यादव, शिवराम साह, मनीष तिवारी, सीताराम बिहारी सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।
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