सामरिक महत्व के निर्माणाधीन ठाकुरगंज-अररिया रेलखंड के मध्य में स्थित लक्ष्मीपुर स्टेशन को फारबिसगंज से जोड़ने के लिए एक नए बाईपास रेल संपर्क के निर्माण हेतु पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के निर्माण संगठन द्वारा निविदा जारी की गई है। इससे रेल संघर्ष समिति के सदस्यों में अपार खुशी व्याप्त है। इस रेल संपर्क को बनवाने के लिए रेल संघर्ष समिति पिछले अढाई वर्षों से संघर्षशील रही है और विभिन्न चरणों में आंदोलन किया है, जिसमें धरना-प्रदर्शन, नुक्कड़ सभा, पोस्टकार्ड अभियान, मंत्रालय और रेल विभाग से पत्राचार, व्यापक जनसंपर्क अभियान शामिल थे।
15 जुलाई को जारी निविदा के तहत अंतिम स्थल सर्वेक्षण में 17.60 किलोमीटर लंबी रेल लाइन का निर्माण होगा, जिसमें भूमि की आवश्यकता के साथ-साथ सर्वेक्षण, मिट्टी की जांच, बोर हॉल ड्रिलिंग द्वारा पुलों के लिए भू-वैज्ञानिक जांच, प्रस्तावित पुलों के लिए जल मार्ग, स्टेशन यार्ड, ट्रैफिक सर्वेक्षण रिपोर्ट जैसे कई कार्य शामिल हैं। इस महत्वपूर्ण परियोजना के प्रथम चरण की मंजूरी के लिए सांसद प्रदीप सिंह का काफी योगदान रहा है, जिन्होंने एनएफ रेलवे के महाप्रबंधक निर्माण और चीफ इंजीनियर के साथ एक बैठक की थी। इस बैठक में उनके रेल प्रतिनिधि सह डीआरयुसीसी सदस्य विनोद सरावगी, संघर्ष समिति के अध्यक्ष मांगीलाल गोलछा, संरक्षक बछराज राखेचा, अजातशत्रु अग्रवाल, और राकेश रोशन भी मौजूद थे। बैठक में सांसद प्रदीप सिंह ने रेल अधिकारियों को लक्ष्मीपुर/खवासपुर-फारबिसगंज रेल संपर्क हेतु सर्वे कराए जाने का निर्देश दिया था।
यह क्षेत्र, जिसे चिकन नेक के नाम से जाना जाता है, सुरक्षा की दृष्टि से काफी संवेदनशील है। इस क्षेत्र में रेल नेटवर्क को मजबूत करने पर केंद्र सरकार का विशेष ध्यान है। इस संदर्भ में विनोद सरावगी ने बताया कि प्रतिकूल परिस्थिति में बारसोई का रेल संपर्क अलुवाबाड़ी रोड (इस्लामपुर) से भंग हो जाता है, तो पूरा पूर्वोत्तर भारत शेष भारत से कट जाएगा। प्रथम चरण में ठाकुरगंज-अररिया रेल लाइन बनेगी जो आगे सुपौल तक जाएगी, और दूसरे चरण में लक्ष्मीपुर को फारबिसगंज से जोड़ने की योजना पर काम शुरू होगा।
रेल मामलों के जानकार बच्छराज राखेचा ने बताया कि इस रेल संपर्क के बन जाने पर सिलीगुड़ी से फारबिसगंज-दरभंगा की दूरी 38 किलोमीटर कम हो जाएगी, जो काफी मायने रखती है। भूतपूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्रा के समय भी फारबिसगंज-ठाकुरगंज रेल लाइन का जो सर्वेक्षण हुआ था वह भी भाया लक्ष्मीपुर ही था।
नए रेल संपर्क हेतु निविदा आमंत्रित किए जाने पर रेल संघर्ष समिति के अध्यक्ष मांगीलाल गोलछा, संरक्षक बछराज राखेचा, विनोद सरावगी, सचिव इंजीनियर आयुष अग्रवाल, कोषाध्यक्ष पुनम पांडिया, प्रवक्ता पवन मिश्रा, वरिष्ठ सदस्य अजातशत्रु अग्रवाल, प्रकाश चौधरी, मूलचंद गोलछा, अवधेश कुमार साह, गुड्डू अली, रमेश सिंह, राकेश रौशन, सुशील घोषल, ब्रजेश राय, राशिद जुनैद, गोपाल कृष्ण सोनू, मंगल चंद चैनवाला सहित अन्य ने हर्ष जताते हुए रेल मंत्री के अलावा सांसद प्रदीप सिंह, विधायक विद्यासागर केसरी और रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों के प्रति आभार जताया है। फाइनल लोकेशन सर्वे की घोषणा से संघर्ष समिति में आशा की एक किरण जागी है और यह रेल संपर्क इस उपेक्षित क्षेत्र के विकास के लिए मील का एक पत्थर साबित होगा।
सारस न्यूज़, फारबिसगंज।
सामरिक महत्व के निर्माणाधीन ठाकुरगंज-अररिया रेलखंड के मध्य में स्थित लक्ष्मीपुर स्टेशन को फारबिसगंज से जोड़ने के लिए एक नए बाईपास रेल संपर्क के निर्माण हेतु पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के निर्माण संगठन द्वारा निविदा जारी की गई है। इससे रेल संघर्ष समिति के सदस्यों में अपार खुशी व्याप्त है। इस रेल संपर्क को बनवाने के लिए रेल संघर्ष समिति पिछले अढाई वर्षों से संघर्षशील रही है और विभिन्न चरणों में आंदोलन किया है, जिसमें धरना-प्रदर्शन, नुक्कड़ सभा, पोस्टकार्ड अभियान, मंत्रालय और रेल विभाग से पत्राचार, व्यापक जनसंपर्क अभियान शामिल थे।
15 जुलाई को जारी निविदा के तहत अंतिम स्थल सर्वेक्षण में 17.60 किलोमीटर लंबी रेल लाइन का निर्माण होगा, जिसमें भूमि की आवश्यकता के साथ-साथ सर्वेक्षण, मिट्टी की जांच, बोर हॉल ड्रिलिंग द्वारा पुलों के लिए भू-वैज्ञानिक जांच, प्रस्तावित पुलों के लिए जल मार्ग, स्टेशन यार्ड, ट्रैफिक सर्वेक्षण रिपोर्ट जैसे कई कार्य शामिल हैं। इस महत्वपूर्ण परियोजना के प्रथम चरण की मंजूरी के लिए सांसद प्रदीप सिंह का काफी योगदान रहा है, जिन्होंने एनएफ रेलवे के महाप्रबंधक निर्माण और चीफ इंजीनियर के साथ एक बैठक की थी। इस बैठक में उनके रेल प्रतिनिधि सह डीआरयुसीसी सदस्य विनोद सरावगी, संघर्ष समिति के अध्यक्ष मांगीलाल गोलछा, संरक्षक बछराज राखेचा, अजातशत्रु अग्रवाल, और राकेश रोशन भी मौजूद थे। बैठक में सांसद प्रदीप सिंह ने रेल अधिकारियों को लक्ष्मीपुर/खवासपुर-फारबिसगंज रेल संपर्क हेतु सर्वे कराए जाने का निर्देश दिया था।
यह क्षेत्र, जिसे चिकन नेक के नाम से जाना जाता है, सुरक्षा की दृष्टि से काफी संवेदनशील है। इस क्षेत्र में रेल नेटवर्क को मजबूत करने पर केंद्र सरकार का विशेष ध्यान है। इस संदर्भ में विनोद सरावगी ने बताया कि प्रतिकूल परिस्थिति में बारसोई का रेल संपर्क अलुवाबाड़ी रोड (इस्लामपुर) से भंग हो जाता है, तो पूरा पूर्वोत्तर भारत शेष भारत से कट जाएगा। प्रथम चरण में ठाकुरगंज-अररिया रेल लाइन बनेगी जो आगे सुपौल तक जाएगी, और दूसरे चरण में लक्ष्मीपुर को फारबिसगंज से जोड़ने की योजना पर काम शुरू होगा।
रेल मामलों के जानकार बच्छराज राखेचा ने बताया कि इस रेल संपर्क के बन जाने पर सिलीगुड़ी से फारबिसगंज-दरभंगा की दूरी 38 किलोमीटर कम हो जाएगी, जो काफी मायने रखती है। भूतपूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्रा के समय भी फारबिसगंज-ठाकुरगंज रेल लाइन का जो सर्वेक्षण हुआ था वह भी भाया लक्ष्मीपुर ही था।
नए रेल संपर्क हेतु निविदा आमंत्रित किए जाने पर रेल संघर्ष समिति के अध्यक्ष मांगीलाल गोलछा, संरक्षक बछराज राखेचा, विनोद सरावगी, सचिव इंजीनियर आयुष अग्रवाल, कोषाध्यक्ष पुनम पांडिया, प्रवक्ता पवन मिश्रा, वरिष्ठ सदस्य अजातशत्रु अग्रवाल, प्रकाश चौधरी, मूलचंद गोलछा, अवधेश कुमार साह, गुड्डू अली, रमेश सिंह, राकेश रौशन, सुशील घोषल, ब्रजेश राय, राशिद जुनैद, गोपाल कृष्ण सोनू, मंगल चंद चैनवाला सहित अन्य ने हर्ष जताते हुए रेल मंत्री के अलावा सांसद प्रदीप सिंह, विधायक विद्यासागर केसरी और रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों के प्रति आभार जताया है। फाइनल लोकेशन सर्वे की घोषणा से संघर्ष समिति में आशा की एक किरण जागी है और यह रेल संपर्क इस उपेक्षित क्षेत्र के विकास के लिए मील का एक पत्थर साबित होगा।
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