शनिवार की देर ठाकुरगंज नगर स्थित रेलवे फाटक के समीप श्री श्री सिद्धपीठ काली मंदिर में धार्मिक अनुष्ठान एवं पुजा अर्चना कार्यक्रम आयोजित कर बड़े ही धूमधाम से हरियाली अमावस्या मनाया गया। खासकर बंगाली समुदाय के परंपरा के अनुसार ढाक-बाजे के साथ मां काली की पूजा अर्चना की गई। इस अवसर पर मां के भक्तों की अपार भीड़ उमड़ी। इस दौरान नगर के लोगों में आस्था दिखा। इस शुभ अवसर आध्यात्मिक स्वतंत्रता और आनंद का जश्न मनाते हुए भक्त मां की आराधना व पूजा अर्चना में पुरे लीन दिखे। पूजा अर्चना के दौरान मां को भोग चढ़ाया गया। उसके उपरांत मंदिर कमिटी के द्वारा मां के भक्तों के बीच महाप्रसाद बांटे गए।
इस संबंध में मंदिर के पुरोहित मुन्ना पांडे ने बताया कि हरियाली अमावस्या को हिंदू पंचांग में श्रावण मास की अमावस्या के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन शिव-पार्वती की आराधना करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और देवता उन पर अपना आशीर्वाद बरसाते हैं। हरियाली अमावस्या के दिन पितृ श्राद्ध, दान, होम और देव पूजा करने तथा वृक्षारोपण करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। हिंदू संस्कृति में वृक्षों को देवता का स्वरूप माना जाता है और उन्हें लगाने से पूजा करने वालों की इच्छाएं पूरी होती है।
उन्होंने बताया कि हरियाली अमावस्या का त्योहार न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि पृथ्वी को हरा-भरा और टिकाऊ बनाने की प्रतिबद्धता भी है। यह हमें याद दिलाता है कि पेड़ प्रकृति का एक अनमोल उपहार हैं जो ऑक्सीजन प्रदान करते हैं और पर्यावरण को संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं। पेड़ लगाकर हम पृथ्वी को हरा-भरा और टिकाऊ बनाने में योगदान दे सकते हैं और साथ ही अपने धार्मिक कर्तव्यों को भी पूरा कर सकते हैं।
इस अवसर पर मंदिर कमिटी के मोहितोष राहा उर्फ मंता दा, नरेश ठाकुर, सुजीत अधिकारी, सुभाष घोष, राकेश चौधरी उर्फ गज्जू आदि मुख्य रूप से मौजुद थे।
सारस न्यूज़, किशनगंज।
शनिवार की देर ठाकुरगंज नगर स्थित रेलवे फाटक के समीप श्री श्री सिद्धपीठ काली मंदिर में धार्मिक अनुष्ठान एवं पुजा अर्चना कार्यक्रम आयोजित कर बड़े ही धूमधाम से हरियाली अमावस्या मनाया गया। खासकर बंगाली समुदाय के परंपरा के अनुसार ढाक-बाजे के साथ मां काली की पूजा अर्चना की गई। इस अवसर पर मां के भक्तों की अपार भीड़ उमड़ी। इस दौरान नगर के लोगों में आस्था दिखा। इस शुभ अवसर आध्यात्मिक स्वतंत्रता और आनंद का जश्न मनाते हुए भक्त मां की आराधना व पूजा अर्चना में पुरे लीन दिखे। पूजा अर्चना के दौरान मां को भोग चढ़ाया गया। उसके उपरांत मंदिर कमिटी के द्वारा मां के भक्तों के बीच महाप्रसाद बांटे गए।
इस संबंध में मंदिर के पुरोहित मुन्ना पांडे ने बताया कि हरियाली अमावस्या को हिंदू पंचांग में श्रावण मास की अमावस्या के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन शिव-पार्वती की आराधना करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और देवता उन पर अपना आशीर्वाद बरसाते हैं। हरियाली अमावस्या के दिन पितृ श्राद्ध, दान, होम और देव पूजा करने तथा वृक्षारोपण करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। हिंदू संस्कृति में वृक्षों को देवता का स्वरूप माना जाता है और उन्हें लगाने से पूजा करने वालों की इच्छाएं पूरी होती है।
उन्होंने बताया कि हरियाली अमावस्या का त्योहार न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि पृथ्वी को हरा-भरा और टिकाऊ बनाने की प्रतिबद्धता भी है। यह हमें याद दिलाता है कि पेड़ प्रकृति का एक अनमोल उपहार हैं जो ऑक्सीजन प्रदान करते हैं और पर्यावरण को संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं। पेड़ लगाकर हम पृथ्वी को हरा-भरा और टिकाऊ बनाने में योगदान दे सकते हैं और साथ ही अपने धार्मिक कर्तव्यों को भी पूरा कर सकते हैं।
इस अवसर पर मंदिर कमिटी के मोहितोष राहा उर्फ मंता दा, नरेश ठाकुर, सुजीत अधिकारी, सुभाष घोष, राकेश चौधरी उर्फ गज्जू आदि मुख्य रूप से मौजुद थे।
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