सारस न्यूज, वेब डेस्क।
इस वर्ष देश भर में 42 स्थानों पर पुरातत्व खुदाई की जाएगी, जिससे हमारे प्राचीन इतिहास को जानने का प्रयास किया जाएगा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने इसके लिए मंजूरी दे दी है। हरियाणा के राखीगढ़ी, दिल्ली के पुराना किला, उत्तर प्रदेश के बागपत स्थित तिलवारा और बिहार के चंपारण के तेजपुर देउर समेत 17 स्थानों पर एएसआई द्वारा खुदाई की जाएगी। इसके अलावा, विश्वविद्यालयों को 12 स्थानों पर और राज्यों को 13 स्थानों पर खुदाई के लिए अनुमति प्रदान की गई है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण हर साल देश के विभिन्न हिस्सों में ऐतिहासिक साक्ष्य खोजने के लिए खुदाई करता है। हरियाणा के राखीगढ़ी में इस बार भी खुदाई की जाएगी, जिसे हड़प्पा सभ्यता से जुड़े सबसे बड़े स्थलों में से एक माना जाता है। यहां की खुदाई से यह सिद्ध हुआ है कि आर्य इस क्षेत्र के ही मूल निवासी थे, न कि बाहर से आए थे। बागपत के सिनौली से करीब 10 किलोमीटर दूर स्थित तिलवारा साकिन को भी इस बार खुदाई की मंजूरी मिली है, जहां महाभारत काल से संबंधित साक्ष्य मिलने की उम्मीद है।
इसके अलावा, असम के चराईदेव में स्थित मोइदम क्षेत्र में भी इस साल खुदाई होगी, जिसे हाल ही में विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता मिली है। बिहार के चंपारण में बुद्धा स्तूप के आसपास भी एएसआई खुदाई करेगा। दिल्ली के पुराना किला में पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ से जुड़े साक्ष्य खोजने के लिए छठी बार खुदाई की जाएगी। राज्यों की श्रेणी में, तमिलनाडु में सबसे अधिक आठ स्थानों पर खुदाई की अनुमति दी गई है।
इस तरह, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किए जा रहे ये प्रयास हमारे देश के समृद्ध इतिहास को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।