प्रशासनिक उपेक्षा और राजनेताओं की इच्छाशक्ति की कमी के कारण किशनगंज शहर के पश्चिम पाली से लहरा चौक तक सड़क अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है। कई प्रखंड और गांवों को जोड़ने वाली इस सड़क से प्रतिदिन हजारों लोग सफर करते हैं। दिनभर वाहनों की आवाजाही लगी रहती है, फिर भी किसी को इसकी सुध लेने की फुर्सत नहीं है। सड़क में जगह-जगह बने गड्ढे और उबड़-खाबड़ सतह इसकी जर्जरता को बयां करते हैं।
सड़क जर्जर होने के कारण दोपहिया और छोटे वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके चलते इस मार्ग पर अक्सर हादसे भी होते रहते हैं। बरसात के दिनों में तो सड़क की हालत और भी नारकीय हो जाती है। जगह-जगह टूटी सड़क कई स्थानों पर पूरी तरह कीचड़मय हो जाती है, जिससे होकर निकलना राहगीरों के लिए मुश्किल हो जाता है। अब तो हालत यह है कि भाड़े के वाहन भी इस मार्ग से जाने से कतराते हैं। अभिभावक अपने बच्चों को इस सड़क से होकर स्कूल भेजने में डरते हैं, क्योंकि कभी भी हादसा हो सकता है। ऐसा नहीं है कि क्षेत्र के लोगों ने इस सड़क के पुनर्निर्माण की मांग जोर-शोर से नहीं की, लेकिन उनकी आवाज सुनने वाला शायद कोई नहीं है।
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
प्रशासनिक उपेक्षा और राजनेताओं की इच्छाशक्ति की कमी के कारण किशनगंज शहर के पश्चिम पाली से लहरा चौक तक सड़क अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है। कई प्रखंड और गांवों को जोड़ने वाली इस सड़क से प्रतिदिन हजारों लोग सफर करते हैं। दिनभर वाहनों की आवाजाही लगी रहती है, फिर भी किसी को इसकी सुध लेने की फुर्सत नहीं है। सड़क में जगह-जगह बने गड्ढे और उबड़-खाबड़ सतह इसकी जर्जरता को बयां करते हैं।
सड़क जर्जर होने के कारण दोपहिया और छोटे वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके चलते इस मार्ग पर अक्सर हादसे भी होते रहते हैं। बरसात के दिनों में तो सड़क की हालत और भी नारकीय हो जाती है। जगह-जगह टूटी सड़क कई स्थानों पर पूरी तरह कीचड़मय हो जाती है, जिससे होकर निकलना राहगीरों के लिए मुश्किल हो जाता है। अब तो हालत यह है कि भाड़े के वाहन भी इस मार्ग से जाने से कतराते हैं। अभिभावक अपने बच्चों को इस सड़क से होकर स्कूल भेजने में डरते हैं, क्योंकि कभी भी हादसा हो सकता है। ऐसा नहीं है कि क्षेत्र के लोगों ने इस सड़क के पुनर्निर्माण की मांग जोर-शोर से नहीं की, लेकिन उनकी आवाज सुनने वाला शायद कोई नहीं है।
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