जैन श्वेताम्बर समुदाय के महापर्व पर्युषण पर्व की रविवार से शुरुआत हो गयी है। पर्युषण पर्व को पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व के रूप में जैन समाज मनाता है। यह पर्व आठ दिनों तक चलता है। पर्युषण पर्व में जैन धर्मावलम्बी आध्यात्म और संयम का अनुसरण करते हैं। आपको बता दें कि किशनगंज में तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य श्री महाश्रमणजी के आध्यत्मिक निर्देशन में तेरापंथ धर्मसंघ के उपासक सुशील कुमार बाफना एवं सुमेरमल बैद किशनगंज में पर्युषण पर्व के अवसर पर प्रवास में हैं। उपासक द्वय के सानिध्य में रविवार को जैन धर्म के आठ दिवसीय महान पर्व पर्युषण का प्रारम्भ हुआ। इस अवसर पर श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ युवक परिषद्, अणुव्रत समिति, तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम आदि अनेक संघीय संस्थाओें ने उपासक द्वय का अभिनन्दन किया।
पर्युषण पर्व का प्रथम दिन-खाद्य संयम दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर अपने प्रवचन में उपासक जी ने कहा कि निर्जरा के 12 प्रकार में से प्रथम चार प्रकार खाद्य संयम से जुड़े हुए है। संवर और निर्जरा मोक्ष मार्ग की ओर अग्रसर होने का एक साधन है। उन्होंने श्रावक समाज से निवेदन किया कि अधिक से अधिक संख्या में पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व में त्याग-तप करके कर्म निर्जरा का मार्ग प्रशस्त करें।
राहुल कुमार, सारस न्यूज, किशनगंज।
जैन श्वेताम्बर समुदाय के महापर्व पर्युषण पर्व की रविवार से शुरुआत हो गयी है। पर्युषण पर्व को पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व के रूप में जैन समाज मनाता है। यह पर्व आठ दिनों तक चलता है। पर्युषण पर्व में जैन धर्मावलम्बी आध्यात्म और संयम का अनुसरण करते हैं। आपको बता दें कि किशनगंज में तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य श्री महाश्रमणजी के आध्यत्मिक निर्देशन में तेरापंथ धर्मसंघ के उपासक सुशील कुमार बाफना एवं सुमेरमल बैद किशनगंज में पर्युषण पर्व के अवसर पर प्रवास में हैं। उपासक द्वय के सानिध्य में रविवार को जैन धर्म के आठ दिवसीय महान पर्व पर्युषण का प्रारम्भ हुआ। इस अवसर पर श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ युवक परिषद्, अणुव्रत समिति, तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम आदि अनेक संघीय संस्थाओें ने उपासक द्वय का अभिनन्दन किया।
पर्युषण पर्व का प्रथम दिन-खाद्य संयम दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर अपने प्रवचन में उपासक जी ने कहा कि निर्जरा के 12 प्रकार में से प्रथम चार प्रकार खाद्य संयम से जुड़े हुए है। संवर और निर्जरा मोक्ष मार्ग की ओर अग्रसर होने का एक साधन है। उन्होंने श्रावक समाज से निवेदन किया कि अधिक से अधिक संख्या में पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व में त्याग-तप करके कर्म निर्जरा का मार्ग प्रशस्त करें।
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