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कुपोषणमुक्त समाज निर्माण के लिए सामुदायिक स्तर पर लोगों का भी सहयोग जरूरी।

  • समाज के हर तबके के व्यक्ति तक पोषण का उद्देश्य और महत्व की जानकारी होना जरूरी

– सामुदायिक स्तर पर जागरूकता से कुपोषण मुक्त समाज का निर्माण संभव

राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।

कुपोषण किसी एक व्यक्ति या परिवार की समस्या नहीं, बल्कि यह पूरे समाज की समस्या है। इसे मिटाने के लिए सामुदायिक स्तर एक-एक व्यक्ति की भागीदारी जरूरी और यह सबकी जिम्मेदारी है। इसलिए, कुपोषण मुक्त समाज निर्माण को बढ़ावा देने के लिए एक-एक व्यक्ति को पुराने ख्यालातों और अवधारणाओं से बाहर आने की जरूरत है। क्योंकि, यह तभी संभव है, जब समाज के हर तबके के व्यक्ति तक उचित पोषण का महत्व और उद्देश्य की जानकारी पहुँच पाएगी। उक्त बातें आईसीडीएस की मो अजमल खुर्शीद ने कही। वहीं, उन्होंने कहा, सामुदायिक स्तर पर जन जागरूकता से कुपोषण की समस्या को खत्म करना संभव है। इसके लिए शासन-प्रशासन द्वारा तमाम आवश्यक और जरूरी पहल तो की ही जा रही है। इसके अलावा सामुदायिक स्तर आमजनों के सहयोग की भी जरूरत है। क्योंकि, किसी भी कुरीति को मिटाने के लिए सामाजिक सहयोग की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अच्छा पोषण स्वास्थ्य को बनाए रखने, बीमारियों को रोकने और जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है । राष्ट्रीय पोषण माह जिला सहित पुरे भारत में 01 सितम्बर से 30 सितम्बर राष्ट्रीय पोषण माह, पोषण अभियान के तहत एक पहल है जिसका उद्देश्य कमज़ोर आबादी के लिए पोषण संबंधी परिणामों को बढ़ाना है।

  • पुराने ख्यालातों और अवधारणाओं से बाहर आने की जरूरत

    पोठिया प्रखंड की सीडीपीओ प्रियंका श्रीवास्तव ने बताया, कुपोषण मुक्त समाज निर्माण के लिए खासकर महिलाओं को जागरूक होने की विशेष जरूरत है। क्योंकि, आज भी ऐसा देखा जा रहा है कि महिलाओं के मन से पुराने ख्यालात और अवधारणा दूर नहीं हो पा रही है। जैसे – पुरुष खाने के बाद ही महिलाएं खाएंगी, यह एक पुरानी अवधारणा और ख्यालात है। जिसका पारिवारिक रिश्ता और जिम्मेदारी से कोई लेना-देना नहीं है।यह सिर्फ और सिर्फ उचित पोषण के लिए बाधक है। खासकर गर्भवती महिलाओं के लिए तो यह और घातक है । क्योंकि, अगर गर्भवती माताएं समय पर खाना नहीं खाएंगी तो गर्भवती एवं गर्भस्थ शिशु दोनों को कुपोषण की परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए, मैं तमाम महिलाओं से अपील करती हूँ कि ऐसी सोच से बाहर आएं और समय पर खाना खाएं। यही आपके स्वस्थ शरीर और कुपोषण मुक्त समाज निर्माण को बढ़ावा देने के लिए सबसे बेहतर और कारगर कदम होगा तथा पारिवारिक जिम्मेदारी के प्रति सबसे बड़ी और सच्ची पहल भी होगी।
  • बच्चों के शिक्षा के प्रति जागरूक होना भी जरूरी

    आईसीडीएस के पोठिया प्रखंड की महिला पर्यवेक्षिक प्रीति सिंह ने बताया, कुपोषण मुक्त समाज निर्माण के लिए हर व्यक्ति को खान-पान के प्रति जागरूक रहने एवं पोषण से संबंधित बेहतर आदतों को बढ़ावा देने की जरूरत है। जैसे – समय पर खाना खाएं, साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखने समेत अन्य दिनचर्या के प्रति सजग रहना। इसके अलावा हर अभिभावक को अपने बच्चों की शिक्षा का प्रति भी जागरूक होने की जरूरत है। क्योंकि, कुपोषण को मिटाने के लिए जितना उचित पोषण जरूरी है, उतना शिक्षा की भी जरूरत है। इसलिए, सभी अभिभावकों को अपने बच्चे के शिक्षा के प्रति गंभीर रहना चाहिए।

    सतत विकास लक्ष्य 2 का उधेश्य 2030 तक भूखमुक्त और कुपोषण मुक्त समाज का निर्माण करना है।
    सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया की भारत में कुपोषण एक गंभीर समस्या है, जो न केवल बच्चों और महिलाओं के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है बल्कि देश के समग्र विकास में भी बाधा उत्पन्न करती है। कुपोषण से निपटने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं और कार्यक्रम शुरू किए गए हैं, जैसे कि पोषण अभियान और मध्याह्न भोजन योजना। लेकिन सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने के लिए सामुदायिक सहयोग अत्यंत आवश्यक है।सतत विकास लक्ष्य 2 (एसडीजी 2) का उद्देश्य 2030 तक भूखमुक्त और कुपोषण मुक्त समाज का निर्माण करना है। इसके तहत यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सभी लोगों, विशेष रूप से कमजोर और गरीब वर्गों को पर्याप्त पोषण प्राप्त हो। यह लक्ष्य तभी प्राप्त हो सकता है जब सरकार, गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ), और समुदाय एक साथ मिलकर काम करें। कुपोषण मुक्त समाज निर्माण के लिए समाज के प्रत्येक व्यक्ति के सहयोग और पुरुष सहभागिता बेहद जरूरी है। क्योंकि, सामाजिक जागरूकता से ही सामुदायिक स्तर पर सकारात्मक बदलाव संभव है। इसलिए, सभी व्यक्ति को कुपोषण मिटाने के आगे आना चाहिए और सहयोग करना चाहिए।कुपोषण मुक्त समाज का निर्माण केवल सरकारी प्रयासों से संभव नहीं है। इसके लिए सामुदायिक स्तर पर सहयोग, सहभागिता, और जागरूकता अत्यधिक महत्वपूर्ण है। सतत विकास लक्ष्य 2 को प्राप्त करने के लिए सामुदायिक जागरूकता और समर्थन ही वह महत्वपूर्ण तत्व है, जो समाज को कुपोषण के दुष्चक्र से बाहर निकाल सकता है।

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