पीएम श्री जवाहर नवोदय विद्यालय, अररिया में एक महीने से चल रही दृश्य कला कार्यशाला के अंतर्गत बच्चों को कला के प्रति जागरूक बनाने और उनकी रचनात्मकता को निखारने के उद्देश्य से कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यशाला में वाराणसी के प्रख्यात चित्रकार अनिल शर्मा ने बच्चों को द्विआयामी चित्रांकन और रेखांकन के माध्यम से कला के नए आयाम सिखाए। उनके निर्देशन में बच्चे रचनात्मक चित्रों का निर्माण कर रहे हैं, जिसमें उन्हें गूगल पर निर्भर होने के बजाय मौलिक विचारों से चित्र बनाने पर जोर दिया जा रहा है।
त्रिआयामी कला का प्रशिक्षण: मूर्तिकार दुर्गेश प्रजापति ने बच्चों को माडलिंग क्ले से त्रिआयामी कला, जैसे लोकलुभावन मास्क, मानवाकृतियां और पशु-पक्षियों की आकृतियां बनाने की तकनीक सिखाई। बच्चों को मुलायम मिट्टी से त्रिआयामी आकार बनाते देख विद्यालय के प्राचार्य सुशांत कुमार झा ने कहा कि यह प्रक्रिया सिर्फ कल्पना को आकार देने तक सीमित नहीं है, बल्कि बच्चे अपने भविष्य को भी सृजन कर रहे हैं।
कार्यशाला का उद्देश्य और प्रशिक्षण: कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य बच्चों को कला में कौशल विकास के साथ-साथ नयी शिक्षा नीति के तहत शिक्षा में कला के महत्व को बढ़ावा देना है। इस दौरान बच्चों को “विकसित भारत”, “वूमेन इंपावरमेंट” और “लोक कला के पुनरुत्थान” जैसे मौलिक विषयों पर केंद्रित कलाकृतियों का निर्माण सिखाया जा रहा है। विद्यालय के कला शिक्षक राजेश कुमार ने बताया कि इस कार्यशाला में बच्चों को द्विआयामी और त्रिआयामी कला पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
सम्मान और प्रदर्शनी की योजना: प्राचार्य ने चित्रकार अनिल शर्मा और मूर्तिकार दुर्गेश प्रजापति को बच्चों के कला कौशल को तराशने के लिए धन्यवाद दिया और उन्हें अंगवस्त्र और मिथिला पाग पहनाकर सम्मानित किया। इस कार्यशाला में तैयार की गई कलाकृतियों की प्रदर्शनी नवंबर में जवाहर नवोदय विद्यालय, दुर्गापुर, वर्धमान में क्षेत्रीय स्तर पर आयोजित की जाएगी। स्थानीय लोक कला के प्रशिक्षण में सिंकी कुमारी बच्चों को योगदान दे रही हैं।
सारस न्यूज़, अररिया।
पीएम श्री जवाहर नवोदय विद्यालय, अररिया में एक महीने से चल रही दृश्य कला कार्यशाला के अंतर्गत बच्चों को कला के प्रति जागरूक बनाने और उनकी रचनात्मकता को निखारने के उद्देश्य से कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यशाला में वाराणसी के प्रख्यात चित्रकार अनिल शर्मा ने बच्चों को द्विआयामी चित्रांकन और रेखांकन के माध्यम से कला के नए आयाम सिखाए। उनके निर्देशन में बच्चे रचनात्मक चित्रों का निर्माण कर रहे हैं, जिसमें उन्हें गूगल पर निर्भर होने के बजाय मौलिक विचारों से चित्र बनाने पर जोर दिया जा रहा है।
त्रिआयामी कला का प्रशिक्षण: मूर्तिकार दुर्गेश प्रजापति ने बच्चों को माडलिंग क्ले से त्रिआयामी कला, जैसे लोकलुभावन मास्क, मानवाकृतियां और पशु-पक्षियों की आकृतियां बनाने की तकनीक सिखाई। बच्चों को मुलायम मिट्टी से त्रिआयामी आकार बनाते देख विद्यालय के प्राचार्य सुशांत कुमार झा ने कहा कि यह प्रक्रिया सिर्फ कल्पना को आकार देने तक सीमित नहीं है, बल्कि बच्चे अपने भविष्य को भी सृजन कर रहे हैं।
कार्यशाला का उद्देश्य और प्रशिक्षण: कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य बच्चों को कला में कौशल विकास के साथ-साथ नयी शिक्षा नीति के तहत शिक्षा में कला के महत्व को बढ़ावा देना है। इस दौरान बच्चों को “विकसित भारत”, “वूमेन इंपावरमेंट” और “लोक कला के पुनरुत्थान” जैसे मौलिक विषयों पर केंद्रित कलाकृतियों का निर्माण सिखाया जा रहा है। विद्यालय के कला शिक्षक राजेश कुमार ने बताया कि इस कार्यशाला में बच्चों को द्विआयामी और त्रिआयामी कला पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
सम्मान और प्रदर्शनी की योजना: प्राचार्य ने चित्रकार अनिल शर्मा और मूर्तिकार दुर्गेश प्रजापति को बच्चों के कला कौशल को तराशने के लिए धन्यवाद दिया और उन्हें अंगवस्त्र और मिथिला पाग पहनाकर सम्मानित किया। इस कार्यशाला में तैयार की गई कलाकृतियों की प्रदर्शनी नवंबर में जवाहर नवोदय विद्यालय, दुर्गापुर, वर्धमान में क्षेत्रीय स्तर पर आयोजित की जाएगी। स्थानीय लोक कला के प्रशिक्षण में सिंकी कुमारी बच्चों को योगदान दे रही हैं।
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