स्थानीय ग्रामीणों से अभियान के संबंध में की गई पड़ताल अभियान के सफल संचालन को लेकर कर्मियों को दिए कई महत्वपूर्ण सुझाव।
डायरिया, पांच साल तक के बच्चों की मौत की एक प्रमुख वजह है। इस गंभीर समस्या को नियंत्रित करने के उद्देश्य से जिले में 23 जुलाई से 22 सितंबर तक स्टॉप डायरिया कैंपेन संचालित किया जा रहा है। अभियान के तहत 0 से 5 साल तक के बच्चों वाले चिन्हित परिवारों के बीच ओआरएस और जिंक टैबलेट का वितरण किया जा रहा है, साथ ही स्वच्छता के महत्व को समझाकर डायरिया से बचाव के प्रति जागरूक किया जा रहा है।
अभियान के सफल संचालन को सुनिश्चित करने के लिए जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. देवेंद्र कुमार और सहयोगी संस्था के प्रतिनिधि द्वारा जिले के विभिन्न प्रखंडों का भ्रमण कर अभियान की प्रगति का जायजा लिया जा रहा है। इस दौरान कई गांवों में ग्रामीणों से संवाद स्थापित कर अभियान के संबंध में जानकारी जुटाई जा रही है। साथ ही, विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों, विद्यालयों, और आंगनबाड़ी केंद्रों पर पहुंचकर भी अभियान का अनुश्रवण किया जा रहा है।
इस निरीक्षण के दौरान बच्चों को डायरिया से बचाने के लिए आवश्यक सुझाव दिए गए और अभियान के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने हेतु संबंधित अधिकारियों को कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए गए। इस निरीक्षण में एसएमसी यूनिसेफ एजाज अफजल, संबंधित प्रखंड के अस्पताल प्रबंधक, बीसीएम, बीएमसी सहित अन्य स्वास्थ्य अधिकारी भी मौजूद थे।
अभियान का उद्देश्य: बच्चों की मौतों को नियंत्रित करना
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. देवेंद्र कुमार ने सीएचसी और हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का दौरा किया और स्थानीय ग्रामीणों, आशा कार्यकर्ताओं, और विद्यालय के प्रधानाध्यापकों से मुलाकात की। उन्होंने अभियान के संबंध में जानकारी लेकर उचित सहयोग और समर्थन की अपील की। उन्होंने कहा कि डायरिया एक ऐसी बीमारी है जिसे समय पर पहचानकर और उचित उपचार से रोका जा सकता है।
स्टॉप डायरिया अभियान का मुख्य उद्देश्य डायरिया से होने वाली बच्चों की मौतों को नियंत्रित करना और समुदाय को इसके रोकथाम के उपायों के प्रति जागरूक करना है, ताकि हर बच्चा सुरक्षित और स्वस्थ रह सके। इस अभियान के माध्यम से न केवल ओआरएस और जिंक टैबलेट का वितरण किया जा रहा है, बल्कि स्वच्छता और साफ-सफाई के महत्व के प्रति समुदाय को जागरूक भी किया जा रहा है। बच्चों की डायरिया से होने वाली मौतों को शून्य तक लाना हमारा प्राथमिक लक्ष्य है।
सही समय पर उचित उपचार है आवश्यक
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि डायरिया से बच्चों के शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स की गंभीर कमी हो जाती है, और समय पर उचित उपचार न मिलने पर यह जानलेवा हो सकता है। डायरिया के मामलों को नियंत्रित करने के लिए जिले में स्टॉप डायरिया कैंपेन संचालित किया जा रहा है। इस अभियान के तहत चिन्हित परिवारों में ओआरएस और जिंक टैबलेट का वितरण किया जा रहा है और इसके प्रयोग से संबंधित जानकारी भी दी जा रही है।
समुदाय को डायरिया से बचाव के प्रति जागरूक करना जरूरी
संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. मंजर आलम ने कहा कि जिले में डायरिया से होने वाली बच्चों की मौत को रोकने के लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। डायरिया एक ऐसी बीमारी है जिसे सरल उपचार और स्वच्छता से रोका जा सकता है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य समुदाय को डायरिया से बचाव के उपायों के प्रति जागरूक करना है। जिले में इस अभियान का सकारात्मक प्रभाव देखा जा रहा है। उन्होंने अभिभावकों से अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए अभियान में सक्रिय सहयोग की अपील की।
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
स्थानीय ग्रामीणों से अभियान के संबंध में की गई पड़ताल अभियान के सफल संचालन को लेकर कर्मियों को दिए कई महत्वपूर्ण सुझाव।
डायरिया, पांच साल तक के बच्चों की मौत की एक प्रमुख वजह है। इस गंभीर समस्या को नियंत्रित करने के उद्देश्य से जिले में 23 जुलाई से 22 सितंबर तक स्टॉप डायरिया कैंपेन संचालित किया जा रहा है। अभियान के तहत 0 से 5 साल तक के बच्चों वाले चिन्हित परिवारों के बीच ओआरएस और जिंक टैबलेट का वितरण किया जा रहा है, साथ ही स्वच्छता के महत्व को समझाकर डायरिया से बचाव के प्रति जागरूक किया जा रहा है।
अभियान के सफल संचालन को सुनिश्चित करने के लिए जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. देवेंद्र कुमार और सहयोगी संस्था के प्रतिनिधि द्वारा जिले के विभिन्न प्रखंडों का भ्रमण कर अभियान की प्रगति का जायजा लिया जा रहा है। इस दौरान कई गांवों में ग्रामीणों से संवाद स्थापित कर अभियान के संबंध में जानकारी जुटाई जा रही है। साथ ही, विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों, विद्यालयों, और आंगनबाड़ी केंद्रों पर पहुंचकर भी अभियान का अनुश्रवण किया जा रहा है।
इस निरीक्षण के दौरान बच्चों को डायरिया से बचाने के लिए आवश्यक सुझाव दिए गए और अभियान के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने हेतु संबंधित अधिकारियों को कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए गए। इस निरीक्षण में एसएमसी यूनिसेफ एजाज अफजल, संबंधित प्रखंड के अस्पताल प्रबंधक, बीसीएम, बीएमसी सहित अन्य स्वास्थ्य अधिकारी भी मौजूद थे।
अभियान का उद्देश्य: बच्चों की मौतों को नियंत्रित करना
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. देवेंद्र कुमार ने सीएचसी और हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का दौरा किया और स्थानीय ग्रामीणों, आशा कार्यकर्ताओं, और विद्यालय के प्रधानाध्यापकों से मुलाकात की। उन्होंने अभियान के संबंध में जानकारी लेकर उचित सहयोग और समर्थन की अपील की। उन्होंने कहा कि डायरिया एक ऐसी बीमारी है जिसे समय पर पहचानकर और उचित उपचार से रोका जा सकता है।
स्टॉप डायरिया अभियान का मुख्य उद्देश्य डायरिया से होने वाली बच्चों की मौतों को नियंत्रित करना और समुदाय को इसके रोकथाम के उपायों के प्रति जागरूक करना है, ताकि हर बच्चा सुरक्षित और स्वस्थ रह सके। इस अभियान के माध्यम से न केवल ओआरएस और जिंक टैबलेट का वितरण किया जा रहा है, बल्कि स्वच्छता और साफ-सफाई के महत्व के प्रति समुदाय को जागरूक भी किया जा रहा है। बच्चों की डायरिया से होने वाली मौतों को शून्य तक लाना हमारा प्राथमिक लक्ष्य है।
सही समय पर उचित उपचार है आवश्यक
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि डायरिया से बच्चों के शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स की गंभीर कमी हो जाती है, और समय पर उचित उपचार न मिलने पर यह जानलेवा हो सकता है। डायरिया के मामलों को नियंत्रित करने के लिए जिले में स्टॉप डायरिया कैंपेन संचालित किया जा रहा है। इस अभियान के तहत चिन्हित परिवारों में ओआरएस और जिंक टैबलेट का वितरण किया जा रहा है और इसके प्रयोग से संबंधित जानकारी भी दी जा रही है।
समुदाय को डायरिया से बचाव के प्रति जागरूक करना जरूरी
संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. मंजर आलम ने कहा कि जिले में डायरिया से होने वाली बच्चों की मौत को रोकने के लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। डायरिया एक ऐसी बीमारी है जिसे सरल उपचार और स्वच्छता से रोका जा सकता है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य समुदाय को डायरिया से बचाव के उपायों के प्रति जागरूक करना है। जिले में इस अभियान का सकारात्मक प्रभाव देखा जा रहा है। उन्होंने अभिभावकों से अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए अभियान में सक्रिय सहयोग की अपील की।
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