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कुष्ठ रोगी खोजी अभियान किशनगंज जिले में जारी।

राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।

कुष्ठ रोग, जिसे हैनसेन रोग भी कहा जाता है, एक संक्रामक बीमारी है जो त्वचा, तंत्रिकाओं और अन्य अंगों को प्रभावित करती है। इसका समय पर निदान और उपचार न होने पर यह शारीरिक विकलांगता का कारण बन सकता है, जो रोगियों के लिए एक गंभीर समस्या बन जाती है। यह बीमारी अक्सर ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में छिपी रहती है, क्योंकि लोग इसके लक्षणों को पहचान नहीं पाते। जिले में संभावित कुष्ठ रोगियों की खोज के लिए विशेष अभियान संचालित किया जा रहा है। यह अभियान 19 सितंबर से 2 अक्टूबर तक चलेगा। इस दौरान जिले के सभी सात प्रखंडों में आशा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और स्वैच्छिक महिला व पुरुष कार्यकर्ता घर-घर जाकर संभावित कुष्ठ रोगियों की पहचान करेंगे और उन्हें जरूरी जांच व इलाज के लिए प्रेरित करेंगे।

अभियान की रूपरेखा

सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि इस अभियान की सफलता के लिए सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं। अभियान के दौरान आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अपने-अपने पोषक क्षेत्रों में घर-घर जाकर लोगों का शारीरिक परीक्षण करेंगी। सतत विकास लक्ष्य 3 का उद्देश्य सभी के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना है, जिसमें कुष्ठ जैसे रोगों का उन्मूलन एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस अभियान के माध्यम से न केवल रोगियों को समय पर उपचार मिलेगा, बल्कि समाज में कुष्ठ रोग को लेकर फैले कलंक और भ्रामक धारणाओं को भी समाप्त किया जा सकेगा।

कुष्ठ रोग का उपचार

सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि कुष्ठ रोग का इलाज संभव है और इसके लिए बहु-औषधीय चिकित्सा (MDT) का उपयोग किया जाता है, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा मान्यता प्राप्त है। सरकार ने इस उपचार को निःशुल्क उपलब्ध कराया है और यह सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। हालांकि, इस उपचार को लंबे समय तक जारी रखना होता है, लेकिन सही समय पर शुरू करने से रोगी पूरी तरह से ठीक हो सकता है। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि मरीज इलाज में नियमितता बनाए रखें ताकि संक्रमण का पूरी तरह से उन्मूलन हो सके और रोगी स्वस्थ जीवन जी सके। इस उपचार से मरीज विकलांगता से बच सकता है, जिससे उसकी जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार होता है।

देर से चलता है रोग का पता

सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि कुष्ठ के मामले में रोगियों को अक्सर देर से इसका पता चलता है, जिससे इलाज संबंधी जटिलताएं बढ़ जाती हैं। इसलिए, कुष्ठ के लक्षणों के प्रति ज्यादा सतर्क और सावधान रहने की जरूरत है। यदि शरीर के किसी भाग में किसी तरह का दाग या सुन्नपन हो, तो तुरंत जांच करानी चाहिए ताकि समय रहते रोग का पता लगाया जा सके। संक्रमण से बचाव के लिए व्यक्तिगत स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना जरूरी है। इस्तेमाल में आने वाले कपड़े, चादरें और दैनिक उपयोग की चीजों को नियमित रूप से साफ करके धूप में सुखाना कुष्ठ रोग से बचाव के लिए आवश्यक है।

शरीर में दाग-धब्बे व सुन्न होना कुष्ठ के लक्षण

सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. अनवर हुसैन ने बताया कि यदि शरीर के किसी अंग में दाग-धब्बे उभरते हैं और सुन्नता महसूस होती है, तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इस तरह के शुरुआती लक्षणों को अनदेखा करना बाद में घातक हो सकता है। त्वचा की क्षति, मांसपेशियों की कमजोरी और हाथ-पैर का सुन्न होना कुष्ठ रोग के लक्षण हो सकते हैं। यह रोग मुख्य रूप से त्वचा और नसों को प्रभावित करता है, जिससे त्वचा विकृत हो जाती है और संक्रमित व्यक्ति की त्वचा पर गांठ, घाव और बंप्स उभर आते हैं।

नि:शुल्क इलाज की सुविधा

सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि कुष्ठ रोग एक साधारण बीमारी है, जो किसी को भी हो सकती है। जिले के सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में इसके नि:शुल्क इलाज की सुविधा है। समय पर पहचान होने पर 6 से 12 महीने तक लगातार दवा लेने से यह बीमारी पूरी तरह से ठीक हो सकती है। उन्होंने लोगों से अपील की कि रोगी खोज अभियान की सफलता में अपना सक्रिय सहयोग दें, ताकि एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो सके।

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