बच्चों में होने वाले गंभीर संक्रामक रोगों की जानकारी जरूरी है। विशेषकर बच्चों की रोग प्रतिरोधी क्षमता को अधिक ध्यान में रखना इसलिए आवश्यक होता है ताकि भविष्य में वे किसी भी रोग से सामना कर सकें। संक्रामक बीमारियों में खसरा एक गंभीर और घातक बीमारी है, जो बच्चों की मौत का कारण भी बन सकती है। ऐसे में बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाकर उनकी सुरक्षा की जा सकती है, और इसका सबसे प्रभावी तरीका टीकाकरण है।
लाल चकत्ते व सूखी खांसी को नहीं करें नजरअंदाज
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. देवेंद्र कुमार ने बताया कि खसरा रोग को मीजल्स भी कहा जाता है। यह रूबेला वायरस के कारण होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, खसरा संक्रमित व्यक्ति की खांसी या छींक से निकलने वाली बूंदों में मौजूद वायरस से फैलता है, जो हवा में प्रसारित होकर दूसरों को प्रभावित करता है। इसके लक्षण प्रकट होने में 14 दिन का समय लग सकता है। संक्रमण के कारण मरीज को खांसी और बुखार के साथ शरीर पर खुजली वाले लाल चकत्ते हो जाते हैं। ये चकत्ते पहले कानों के पीछे, गर्दन और सिर पर उभरते हैं। इसके बाद मरीज निमोनिया और गंभीर डायरिया से पीड़ित हो जाता है, और इलाज न होने पर मौत का खतरा होता है। लक्षणों की पहचान इस प्रकार की जा सकती है:
सूखी खांसी
गले में खराश
बहती नाक
आंखों में सूजन
त्वचा पर चकत्ते
विटामिन ए की कमी और कुपोषण संक्रमण की वजह
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि खसरा कई शारीरिक जटिलताओं, जैसे अंधापन, मीनिन्जाइटिस या मस्तिष्क में सूजन सहित ब्रेन डैमेज का कारण बन सकता है। इस संक्रमण का एक बड़ा कारण पोषण की कमी है। कुपोषित बच्चों में संक्रामक बीमारियां तेजी से फैलती हैं और उनका शरीर जल्दी बीमार हो जाता है। विटामिन ए की कमी के साथ कमजोर रोग प्रतिरक्षा प्रणाली वाले बच्चों को यह संक्रमण जल्दी और गंभीर रूप से प्रभावित करता है।
एमएमआर का टीका बच्चों को जरूर लगवाएं
डॉ. देवेंद्र कुमार ने बताया कि नियमित टीकाकरण प्रत्येक बुधवार और शुक्रवार को जिले के सभी आंगनवाड़ी केंद्रों पर तथा सोमवार, गुरुवार और शनिवार को किया जाता है। एमएमआर टीकाकरण में खसरा का टीका मंप्स और रुबेला के टीके के साथ लगाया जाता है। यह टीकाकरण शिशु के एक साल की उम्र में कराना आवश्यक है। यह एक मिथ्या धारणा है कि खसरा संक्रमण से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। सही समय पर इलाज न होने से बच्चे की मौत हो सकती है। खसरा संक्रमण की रोकथाम के लिए एमएमआर टीकाकरण ही सबसे प्रभावी उपाय है। टीकाकरण नौ माह और डेढ़ साल की उम्र में किया जाता है। इसके साथ ही शिशु को विटामिन ए की खुराक भी दी जाती है।
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
रोग से जा सकती है आंखों की रोशनी, हो सकती है मौत
कुपोषित बच्चे अधिक होते हैं प्रभावित
बच्चों का ज़रूर करवाएं एमएमआर टीकाकरण
जिले में किया जा रहा है नियमित टीकाकरण कार्यक्रम
बच्चों में होने वाले गंभीर संक्रामक रोगों की जानकारी जरूरी है। विशेषकर बच्चों की रोग प्रतिरोधी क्षमता को अधिक ध्यान में रखना इसलिए आवश्यक होता है ताकि भविष्य में वे किसी भी रोग से सामना कर सकें। संक्रामक बीमारियों में खसरा एक गंभीर और घातक बीमारी है, जो बच्चों की मौत का कारण भी बन सकती है। ऐसे में बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाकर उनकी सुरक्षा की जा सकती है, और इसका सबसे प्रभावी तरीका टीकाकरण है।
लाल चकत्ते व सूखी खांसी को नहीं करें नजरअंदाज
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. देवेंद्र कुमार ने बताया कि खसरा रोग को मीजल्स भी कहा जाता है। यह रूबेला वायरस के कारण होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, खसरा संक्रमित व्यक्ति की खांसी या छींक से निकलने वाली बूंदों में मौजूद वायरस से फैलता है, जो हवा में प्रसारित होकर दूसरों को प्रभावित करता है। इसके लक्षण प्रकट होने में 14 दिन का समय लग सकता है। संक्रमण के कारण मरीज को खांसी और बुखार के साथ शरीर पर खुजली वाले लाल चकत्ते हो जाते हैं। ये चकत्ते पहले कानों के पीछे, गर्दन और सिर पर उभरते हैं। इसके बाद मरीज निमोनिया और गंभीर डायरिया से पीड़ित हो जाता है, और इलाज न होने पर मौत का खतरा होता है। लक्षणों की पहचान इस प्रकार की जा सकती है:
सूखी खांसी
गले में खराश
बहती नाक
आंखों में सूजन
त्वचा पर चकत्ते
विटामिन ए की कमी और कुपोषण संक्रमण की वजह
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि खसरा कई शारीरिक जटिलताओं, जैसे अंधापन, मीनिन्जाइटिस या मस्तिष्क में सूजन सहित ब्रेन डैमेज का कारण बन सकता है। इस संक्रमण का एक बड़ा कारण पोषण की कमी है। कुपोषित बच्चों में संक्रामक बीमारियां तेजी से फैलती हैं और उनका शरीर जल्दी बीमार हो जाता है। विटामिन ए की कमी के साथ कमजोर रोग प्रतिरक्षा प्रणाली वाले बच्चों को यह संक्रमण जल्दी और गंभीर रूप से प्रभावित करता है।
एमएमआर का टीका बच्चों को जरूर लगवाएं
डॉ. देवेंद्र कुमार ने बताया कि नियमित टीकाकरण प्रत्येक बुधवार और शुक्रवार को जिले के सभी आंगनवाड़ी केंद्रों पर तथा सोमवार, गुरुवार और शनिवार को किया जाता है। एमएमआर टीकाकरण में खसरा का टीका मंप्स और रुबेला के टीके के साथ लगाया जाता है। यह टीकाकरण शिशु के एक साल की उम्र में कराना आवश्यक है। यह एक मिथ्या धारणा है कि खसरा संक्रमण से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। सही समय पर इलाज न होने से बच्चे की मौत हो सकती है। खसरा संक्रमण की रोकथाम के लिए एमएमआर टीकाकरण ही सबसे प्रभावी उपाय है। टीकाकरण नौ माह और डेढ़ साल की उम्र में किया जाता है। इसके साथ ही शिशु को विटामिन ए की खुराक भी दी जाती है।
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