बच्चों के जन्म के तुरंत बाद ही जरूरी होता है स्वस्थ आहार पद्धति का पालन
खराब पोषण से शारीरिक व मानसिक क्षमता भी प्रभावित होती है
आज हर कोई स्वस्थ और निरोग रहना चाहता है, लेकिन इसके लिए लोगों को अपनी दिनचर्या के साथ भोजन की आदतों में भी बदलाव करना आवश्यक है। इस भागदौड़ भरे जीवन में हमें उचित और पर्याप्त पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। शरीर की आहार संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए संतुलित और उचित पोषण बेहद जरूरी है। नियमित शारीरिक गतिविधियों के साथ संतुलित आहार ही अच्छे स्वास्थ्य का आधार है। खराब पोषण से न केवल शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, बल्कि यह शारीरिक और मानसिक क्षमता पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। बढ़ते शहरीकरण, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन और बदलती जीवनशैली के कारण हमारे खानपान के व्यवहार में काफी बदलाव आया है, जिससे पोषण से जुड़ी कई भ्रांतियाँ और अंधविश्वास बढ़ते जा रहे हैं। ये हमारे संपूर्ण शारीरिक विकास में बाधक बनते हैं।
साबुत अनाज के सेवन का चलन घट रहा है
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि आजकल लोगों में अधिक ऊर्जा, वसा, चीनी, नमक और सोडियम युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन का चलन बढ़ रहा है। इसके विपरीत, पर्याप्त मात्रा में फल, सब्जी और रेशायुक्त साबुत अनाज का सेवन घटता जा रहा है, जिससे असंतुलित आहार का चलन बढ़ा है। उम्र, लिंग, जीवनशैली, शारीरिक गतिविधियों, संस्कृति और स्थानीयता के आधार पर खानपान में भिन्नता हो सकती है, लेकिन संतुलित आहार के मूल सिद्धांत हमेशा एक जैसे ही रहते हैं। असंतुलित आहार के कारण आज लोग विभिन्न रोगों से पीड़ित हो रहे हैं।
अपर्याप्त और असंतुलित आहार सबसे बड़ी बाधा
सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ. अनवर आलम के अनुसार, उचित आहार में विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं जो संपूर्ण स्वास्थ्य, जीवन शक्ति और तंदुरूस्ती के लिए आवश्यक हैं। उचित पोषण के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा अपर्याप्त और असंतुलित आहार है, जो कम वजन वाले बच्चों के जन्म और कुपोषण का प्रमुख कारण है। स्वस्थ आहार पद्धति का पालन जीवन में जल्द ही शुरू होना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान पोषण की कमी, आगे चलकर आहार संबंधी चिरकालिक रोगों का कारण बन सकती है। वहीं, स्तनपान बच्चों के समुचित विकास को बढ़ावा देता है।
आहार विविधता एक महत्वपूर्ण पहलू
महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. शबनम यास्मीन ने कहा कि कई लोग सोचते हैं कि उनका दैनिक आहार उनकी सभी पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा कर रहा है, लेकिन कुछ मामलों में ऐसा नहीं होता। आहार विविधता एक महत्वपूर्ण पहलू है। पोषाहार वाले अनाज, फल और सब्जियों की स्थानीय स्तर पर उपलब्धता पर्याप्त है, लेकिन जागरूकता की कमी के कारण लोग इसका सही ढंग से सेवन नहीं कर पाते। जैसे सहजन, शलजम, चुकंदर, गाजर, पपीता और कई प्रकार के साग, जो हमारे आस-पास आसानी से उपलब्ध होते हैं, पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, लेकिन लोग इनका सेवन करने से बचते हैं।
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
बच्चों के जन्म के तुरंत बाद ही जरूरी होता है स्वस्थ आहार पद्धति का पालन
खराब पोषण से शारीरिक व मानसिक क्षमता भी प्रभावित होती है
आज हर कोई स्वस्थ और निरोग रहना चाहता है, लेकिन इसके लिए लोगों को अपनी दिनचर्या के साथ भोजन की आदतों में भी बदलाव करना आवश्यक है। इस भागदौड़ भरे जीवन में हमें उचित और पर्याप्त पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। शरीर की आहार संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए संतुलित और उचित पोषण बेहद जरूरी है। नियमित शारीरिक गतिविधियों के साथ संतुलित आहार ही अच्छे स्वास्थ्य का आधार है। खराब पोषण से न केवल शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, बल्कि यह शारीरिक और मानसिक क्षमता पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। बढ़ते शहरीकरण, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन और बदलती जीवनशैली के कारण हमारे खानपान के व्यवहार में काफी बदलाव आया है, जिससे पोषण से जुड़ी कई भ्रांतियाँ और अंधविश्वास बढ़ते जा रहे हैं। ये हमारे संपूर्ण शारीरिक विकास में बाधक बनते हैं।
साबुत अनाज के सेवन का चलन घट रहा है
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि आजकल लोगों में अधिक ऊर्जा, वसा, चीनी, नमक और सोडियम युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन का चलन बढ़ रहा है। इसके विपरीत, पर्याप्त मात्रा में फल, सब्जी और रेशायुक्त साबुत अनाज का सेवन घटता जा रहा है, जिससे असंतुलित आहार का चलन बढ़ा है। उम्र, लिंग, जीवनशैली, शारीरिक गतिविधियों, संस्कृति और स्थानीयता के आधार पर खानपान में भिन्नता हो सकती है, लेकिन संतुलित आहार के मूल सिद्धांत हमेशा एक जैसे ही रहते हैं। असंतुलित आहार के कारण आज लोग विभिन्न रोगों से पीड़ित हो रहे हैं।
अपर्याप्त और असंतुलित आहार सबसे बड़ी बाधा
सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ. अनवर आलम के अनुसार, उचित आहार में विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं जो संपूर्ण स्वास्थ्य, जीवन शक्ति और तंदुरूस्ती के लिए आवश्यक हैं। उचित पोषण के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा अपर्याप्त और असंतुलित आहार है, जो कम वजन वाले बच्चों के जन्म और कुपोषण का प्रमुख कारण है। स्वस्थ आहार पद्धति का पालन जीवन में जल्द ही शुरू होना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान पोषण की कमी, आगे चलकर आहार संबंधी चिरकालिक रोगों का कारण बन सकती है। वहीं, स्तनपान बच्चों के समुचित विकास को बढ़ावा देता है।
आहार विविधता एक महत्वपूर्ण पहलू
महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. शबनम यास्मीन ने कहा कि कई लोग सोचते हैं कि उनका दैनिक आहार उनकी सभी पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा कर रहा है, लेकिन कुछ मामलों में ऐसा नहीं होता। आहार विविधता एक महत्वपूर्ण पहलू है। पोषाहार वाले अनाज, फल और सब्जियों की स्थानीय स्तर पर उपलब्धता पर्याप्त है, लेकिन जागरूकता की कमी के कारण लोग इसका सही ढंग से सेवन नहीं कर पाते। जैसे सहजन, शलजम, चुकंदर, गाजर, पपीता और कई प्रकार के साग, जो हमारे आस-पास आसानी से उपलब्ध होते हैं, पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, लेकिन लोग इनका सेवन करने से बचते हैं।