सारस न्यूज़, बहादुरगंज, किशनगंज।
इन दिनों लॉटरी की लत युवाओं पर काफी बुरा प्रभाव डाल रही है, विशेषकर 18 से 30 वर्ष की आयु वर्ग के युवाओं पर। लॉटरी के माध्यम से कम समय में अधिक धनवान बनने की चाह और अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने की लालसा में ये युवा इस दलदल में लगातार फंसते जा रहे हैं। इसका असर केवल युवाओं तक ही सीमित नहीं है; गरीब तबके के लोग भी इस लत के शिकार हो रहे हैं। वे अपनी दैनिक मजदूरी का एक हिस्सा लॉटरी में लगाकर अधिक पैसा कमाने की उम्मीद में अपनी मेहनत की कमाई गंवा देते हैं।
हालांकि, यह व्यवसाय बिहार में पूर्णतः प्रतिबंधित है, फिर भी प्रशासन की आंखों में धूल झोंककर यह कारोबार फल-फूल रहा है। इन लॉटरी टिकटों का व्यवसाय सीमावर्ती क्षेत्र बंगाल के माध्यम से बिहार में पहुंचाया जाता है। सूत्रों का कहना है कि बंगाल की सीमा निकट होने के कारण एजेंटों को डिलीवरी देने में कोई खास दिक्कत नहीं होती, जिससे वे इस प्रतिबंधित लॉटरी के कारोबार से रोजाना मालामाल हो रहे हैं।
प्रखंड क्षेत्र के चौक-चौराहों पर एजेंट मुसाफिरों की तरह घूमते हुए इन लॉटरी टिकटों की बिक्री करते हैं। चाय और पान की दुकानों सहित अन्य छोटे स्थानों पर इन एजेंटों का अड्डा होता है, जहां उनके ग्राहक उनका इंतजार करते हुए मिल जाएंगे। पुलिस प्रशासन की लाख कोशिशों के बावजूद इन कारोबारियों पर नकेल कसना मुश्किल साबित हो रहा है।