सारस न्यूज, किशनगंज।
मंगलवार को ठाकुरगंज नगर स्थित भातढाला में आनंद मार्ग प्रचारक संघ जिला इकाई किशनगंज द्वारा दो दिवसीय बाबा नाम केवलम कीर्तन दिवस कार्यक्रम का समापन हुआ। जिला भुक्ति प्रधान के आवास पर आयोजित आनंदमार्गियों ने उक्त दो दिवसीय अष्टाक्षरी सिद्ध महामंत्र बाबा नाम केवलम कीर्तन दिवस सादगी पूर्ण तरीके से मनाया गया।
इस अवसर पर संघ द्वारा 24 घंटे का बाबा नाम केवलम अखंड संकीर्तन कार्यक्रम के उपरांत आनंद मार्ग प्रचारक संघ जिला भुक्ति प्रधान सुमन भारती ने कहा कि आनंद मार्ग प्रचारक संघ के प्रवर्तक भगवान श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने 8 अक्टूबर 1970 को झारखंड के अमझरिया (लातेहार) में अष्टाक्षरी सिद्ध महामंत्र बाबा नाम केवलम का अवदान मानवता के कल्याण हेतु सिद्ध कर प्रदान किया था। इस अवसर पर पिछले 54 वर्षों से आनंदमार्गियों द्वारा प्रत्येक वर्ष बाबा नाम केवलम कीर्तन का आयोजन होता रहा है। उन्होंने कहा कि अष्टाक्षरी सिद्ध महामंत्र बाबा नाम केवलम कीर्तन करने से मन निर्मल होता है और साधना में उन्नति होती है। उन्होंने कहा कि विकट स्थिति से निजात पाने में सामूहिक कीर्तन बहुत ही कारगर सिद्ध होता है।
इस दौरान आचार्य लीलाधिशानंद अवधूत ने बताया कि बाबा नाम केवलम कीर्तन के प्रभाव से शांति का माहौल कायम हुआ है। बाबा शब्द का अर्थ है सबसे अधिक प्रिय। कीर्तन करने से यह साधना में सहायक, अनंददायक, बाधा को दुर करने वाला, मोक्ष प्रदान करने वाला, भूत प्रेत को नाश करने वाला होता है। कीर्तन हमलोगों को परमात्मा की ओर ले जाने में मदद करता है।
भक्तों को संबोधित करते हुए उन्होंने अपने आध्यात्मिक उद्बोधन में भक्तों के जीवन का लक्ष्य विषय पर बताते हुए कहा कि शास्त्रों में तो मोक्ष प्राप्ति के तीन मार्ग बताए गए हैं – ज्ञान, कर्म और भक्ति। परंतु बाबा श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने इसे खंडन करते हुए कहा कि भक्ति पथ नहीं है बल्कि भक्ति लक्ष्य है जिसे हमें प्राप्त करना है । साधारणत: लोग ज्ञान और कर्म के साथ भक्ति को भी पथ या मार्ग ही मानते हैं, परंतु ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा कि परमात्मा कहते हैं कि मैं भक्तों के हृदय में वास करता हूं, जहां वे मेरा गुणगान करते हैं, कीर्तन करते हैं। परम पुरुष के प्रति जो प्रेम है उसे ही भक्ति कहते हैं। निर्मल मन से जब इष्ट का ध्यान किया जाता है तो भक्ति सहज उपलब्ध हो जाता है।
इस अवसर पर आनंद चितोव्रता आचार्य, आनंद आनंदिता आचार्या, ब्रह्माचार्य अनुरागा आचार्य, सुमन भारती, त्रिलोकी साह, कुंदन गुप्ता, प्रकाश मंडल, अमोद साह, कृष्ण कुमार सिंह, चयन कुमार, सरस्वती देवी, मंगला देवी, चंद्रमाया देवी, सीता देवी, भूमिका सिंह सहित बड़ी संख्या में आनंदमार्गी उपस्थित थे।
