दुर्गापूजा के बाद अब बंगाली समुदाय में लक्खी पूजा की तैयारियाँ जोर-शोर से चल रही हैं। किशनगंज शहर और जिले के विभिन्न क्षेत्रों में इस पूजा की तैयारी जोरों पर है। बुधवार को इस पूजा का आयोजन किया जाएगा। एक ओर जहाँ लोग पूजा की तैयारियों में व्यस्त हैं, वहीं मंगलवार को बाजारों में खरीदारी करने वालों की भीड़ देखी गई।
अहले सुबह से ही किशनगंज के विभिन्न बाजारों में माँ लक्ष्मी की प्रतिमा खरीदने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ी रही। मूर्ति के साथ-साथ बाजारों में लोग फल, फूल और अन्य पूजा सामग्री खरीदते नजर आए।
कहा जाता है कि बंगाल में लक्ष्मी पूजा को “कोजागोरी लक्खी पूजा” के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस पूजा के अवसर पर महिलाएँ अपने पति और परिवार की सलामती के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन घरों के आँगन और द्वार पर अल्पना (रंगोली) बनाने की परंपरा भी है, जिसमें माँ लक्ष्मी के चरण चिन्ह और धान की बालियों को चित्रित किया जाता है।
लक्ष्मी पूजा के दिन घर-घर दरवाजों के पास अल्पना के रंग-बिरंगे डिज़ाइन देखने को मिलते हैं। वहीं, घरों में सुबह से ही माँ लक्ष्मी की आराधना की जाती है। माँ लक्ष्मी को तिल का लड्डू, खीर, खिचड़ी और अन्य वस्तुओं का प्रसाद के रूप में भोग लगाया जाता है।
मान्यता है कि लक्ष्मी पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है। माँ लक्ष्मी प्रसन्न होकर अपने भक्तों को मनचाहा वरदान देती हैं और उनकी मनोकामनाएँ पूर्ण करती हैं।
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
दुर्गापूजा के बाद अब बंगाली समुदाय में लक्खी पूजा की तैयारियाँ जोर-शोर से चल रही हैं। किशनगंज शहर और जिले के विभिन्न क्षेत्रों में इस पूजा की तैयारी जोरों पर है। बुधवार को इस पूजा का आयोजन किया जाएगा। एक ओर जहाँ लोग पूजा की तैयारियों में व्यस्त हैं, वहीं मंगलवार को बाजारों में खरीदारी करने वालों की भीड़ देखी गई।
अहले सुबह से ही किशनगंज के विभिन्न बाजारों में माँ लक्ष्मी की प्रतिमा खरीदने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ी रही। मूर्ति के साथ-साथ बाजारों में लोग फल, फूल और अन्य पूजा सामग्री खरीदते नजर आए।
कहा जाता है कि बंगाल में लक्ष्मी पूजा को “कोजागोरी लक्खी पूजा” के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस पूजा के अवसर पर महिलाएँ अपने पति और परिवार की सलामती के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन घरों के आँगन और द्वार पर अल्पना (रंगोली) बनाने की परंपरा भी है, जिसमें माँ लक्ष्मी के चरण चिन्ह और धान की बालियों को चित्रित किया जाता है।
लक्ष्मी पूजा के दिन घर-घर दरवाजों के पास अल्पना के रंग-बिरंगे डिज़ाइन देखने को मिलते हैं। वहीं, घरों में सुबह से ही माँ लक्ष्मी की आराधना की जाती है। माँ लक्ष्मी को तिल का लड्डू, खीर, खिचड़ी और अन्य वस्तुओं का प्रसाद के रूप में भोग लगाया जाता है।
मान्यता है कि लक्ष्मी पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है। माँ लक्ष्मी प्रसन्न होकर अपने भक्तों को मनचाहा वरदान देती हैं और उनकी मनोकामनाएँ पूर्ण करती हैं।
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