बंगाल से आने वाली सड़कों पर इन दिनों ओवरलोडेड वाहनों का परिचालन बढ़ गया है, जिससे ये क्षेत्र एंट्री माफियाओं के लिए सुरक्षित जोन बन गया है। पूर्वोत्तर का प्रवेश द्वार कहे जाने वाला किशनगंज जिला इस समय इन माफियाओं के आतंक से जूझ रहा है। इसका सबसे अधिक असर एनएच 327 ई की सड़कों पर दिखाई दे रहा है। बंगाल की सीमा पर स्थित गलगलिया के चक्करमारी इलाके से एंट्री माफियाओं का खेल शुरू होता है, जिससे राज्य सरकार को हर महीने करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान होने की संभावना जताई जा रही है।
एंट्री माफियाओं और अधिकारियों के गठजोड़ के कारण चावल और मवेशी लदे ट्रकों के साथ-साथ गिट्टी, ईंट, और अन्य ओवरलोडेड ट्रक और कंटेनर इस मार्ग से बेरोकटोक गुजरते हैं। इसके बदले में ट्रक चालकों से भारी रकम वसूली जाती है। प्रतिदिन लाखों रुपये की अवैध कमाई हो रही है। इस मार्ग का उपयोग कर बिहार सीमा से बंगाल और असम की ओर सरकारी चावल और मवेशी की कालाबाजारी की जा रही है। इसके अलावा, प्रतिदिन सैकड़ों ओवरलोड बालू, गिट्टी, कोयला, और ईंट लदे दर्जनों ट्रक बंगाल से सिक्किम तक भेजे जा रहे हैं।
बंगाल से आने वाला बालू और गिट्टी, किशनगंज पहुंचते ही एंट्री माफियाओं के लिए सोने में तब्दील हो जाता है। चौंकाने वाली बात यह है कि इस मामले में जिम्मेदार अधिकारी कुछ भी बोलने से कतराते हैं। इस चुप्पी का कारण समझ से परे है।
सारस न्यूज़, किशनगंज।
बंगाल से आने वाली सड़कों पर इन दिनों ओवरलोडेड वाहनों का परिचालन बढ़ गया है, जिससे ये क्षेत्र एंट्री माफियाओं के लिए सुरक्षित जोन बन गया है। पूर्वोत्तर का प्रवेश द्वार कहे जाने वाला किशनगंज जिला इस समय इन माफियाओं के आतंक से जूझ रहा है। इसका सबसे अधिक असर एनएच 327 ई की सड़कों पर दिखाई दे रहा है। बंगाल की सीमा पर स्थित गलगलिया के चक्करमारी इलाके से एंट्री माफियाओं का खेल शुरू होता है, जिससे राज्य सरकार को हर महीने करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान होने की संभावना जताई जा रही है।
एंट्री माफियाओं और अधिकारियों के गठजोड़ के कारण चावल और मवेशी लदे ट्रकों के साथ-साथ गिट्टी, ईंट, और अन्य ओवरलोडेड ट्रक और कंटेनर इस मार्ग से बेरोकटोक गुजरते हैं। इसके बदले में ट्रक चालकों से भारी रकम वसूली जाती है। प्रतिदिन लाखों रुपये की अवैध कमाई हो रही है। इस मार्ग का उपयोग कर बिहार सीमा से बंगाल और असम की ओर सरकारी चावल और मवेशी की कालाबाजारी की जा रही है। इसके अलावा, प्रतिदिन सैकड़ों ओवरलोड बालू, गिट्टी, कोयला, और ईंट लदे दर्जनों ट्रक बंगाल से सिक्किम तक भेजे जा रहे हैं।
बंगाल से आने वाला बालू और गिट्टी, किशनगंज पहुंचते ही एंट्री माफियाओं के लिए सोने में तब्दील हो जाता है। चौंकाने वाली बात यह है कि इस मामले में जिम्मेदार अधिकारी कुछ भी बोलने से कतराते हैं। इस चुप्पी का कारण समझ से परे है।
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